
सबसे पहले समझते हैं, क्या है ताजा मामला. लगभग सालभर से ज्यादा समय से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़े रूस पर बहुत से देश लगातार बरस रहे हैं. आरोप लग रहा है कि इस देश के लीडर के आदेश पर रूसी सेना ने यूक्रेन को तहस-नहस करके रख दिया. वॉर क्राइम की एक लंबी लिस्ट है, जिसमें दो बड़े आरोप पुतिन के सिर आए हैं. कथित तौर पर उनके कहने पर यूक्रेनी मूल के बच्चों को जबरन रूस लाया गया. उनपर यूक्रेन के नागरिकों से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने ये मामला ICC में उठाया था, जिसके बाद पुतिन के खिलाफ वारंट निकला. उनके अलावा रूस के कई दूसरे अधिकारी भी वारंट की जद में हैं.
क्या है आईसीसी?
ICC के इस कदम की तुलना टॉयलेट पेपर से करते हुए रूसी अधिकारियों ने इसे बेकार बता दिया. तो क्या ICC के पास ऐसी कोई ताकत नहीं है कि वो रूस के खिलाफ कार्रवाई कर सके! ये समझने के लिए एक बार आईसीसी की हिस्ट्री समझते हैं. देशों के अपने क्रिमिनल कोर्ट तो होते हैं, लेकिन ये इंटरनेशनल कोर्ट है जो अंतरराष्ट्रीय अपराधियों के खिलाफ मामला लेता है.नीदरलैंड के हेग में इसका बेस है.
साल 2002 बना ये कोर्ट वॉर क्राइम, मानवीयता पर खतरे, नरसंहार और, दंगे-फसाद के अपराधियों पर कार्रवाई की बात करता है. लेकिन देश खुद भी तो ऐसा करते हैं, फिर आईसीसी की क्या जरूरत! तो ये कोर्ट तब दखल देती है, जब देश अपराधी पर खुद एक्शन न ले रहा हो, या फिर चाहकर भी ऐसा न कर पा रहा हो.
कई बड़े देश नहीं हैं सदस्य
कुल 123 देश इसके सदस्य हैं. इसमें ब्रिटेन जापान, जर्मनी और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं. वहीं भारत, चीन और अमेरिका जैसे बड़े देश इसके सदस्य नहीं हैं. यहां तक कि जिसके खिलाफ वारंट जारी हुआ, वो रूस भी इसका मेंबर नहीं है. यूनाइटेड नेशन्स से भी इसका कोई संबंध नहीं. यहां तक कि ये कोर्ट वही मामले ले सकती है, जो साल 2002 के बाद आए हों. इससे इसका दायरा अपने-आप कम हो जाता है.
आईसीसी ने वारंट तो जारी कर दिया, लेकिन इसके पास अपनी कोई पुलिस फोर्स नहीं है. गिरफ्तारी के लिए वो पूरी तरह से अपने सदस्य देशों पर निर्भर है. यानी भविष्य में अगर पुतिन ऐसे आईसीसी के किसी सदस्य देश में ट्रैवल करते हैं तो उस देश की अपनी पुलिस के पास ये अधिकार है कि वो इंटरनेशनल कोर्ट के वारंट पर उन्हें अरेस्ट कर सके. इसके बाद आरोपी को हेग कती जेल में डाल दिया जाता है. उसकी संपत्ति फ्रीज हो जाती है और कार्रवाई चलती है.
तो क्या पुतिन की गिरफ्तारी मुमकिन है?
आईसीसी ने प्रक्रिया तो शुरू कर दी, लेकिन ये लगभग असंभव है कि इंटरनेशनल कोर्ट पुतिन पर हाथ डाल सके. अगर किसी तरह से ऐसा हो भी जाए तो भी उसके पास इतनी ताकत नहीं कि वो आगे कार्रवाई कर सकेगा. अपने लगभग 21 साल के इतिहास में ऐसा कोई भी मामला नहीं, जिसमें इसने किसी देश के नेता या ताकतवर शख्स के खिलाफ कार्रवाई की हो.
इतने वक्त में 5 जुर्म ही साबित हुए, वो भी सामान्य लोगों के खिलाफ. इसके सबसे हाई प्रोफाइल मामलों में दक्षिण अफ्रीकी देश आइवरी कोस्ट के पूर्व राष्ट्रपति लॉरेंट ग्बेग्बो का केस था, जिनके खिलाफ कोर्ट में हत्या, रेप और कई यौन हिंसाओं की पुष्टि हुई थी. कुछ सालों की सजा के बाद उन्हें भी छोड़ दिया गया.
क्या इंटरनेशनल स्तर पर और भी कोर्ट्स हैं?
ऐसे कई कोर्ट हैं जो इंटरनेशनल लेवल पर कार्रवाई की बात करते हैं. इसमें सबसे ज्यादा बात इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस की होती है, जिसे आम भाषा में वर्ल्ड कोर्ट भी कहा जाता है. ये देशों की सरकारों के बीच लड़ाई-झगड़े देखता है, लेकिन लोगों पर एक्शन नहीं ले सकता. इसके अलावा कई दूसरे कोर्ट भी हैं, जो अलग-अलग मामले देखते हैं, जैसे कोई समुद्र से जुड़े अतिक्रमण के मामले सुनता है, तो कोई जमीनी दखल से जुड़े केस सुनता है. आमतौर पर कोई एक देश इसमें मामला लेकर जाता है, तभी सुनवाई शुरू होती है, जबकि आईसीसी बिना किसी के मामला उठाए खुद भी दखल देने का अधिकार रखता है.
वैसे आईसीसी, जो युद्ध और तमाम तरह की हिंसाओं के निपटारे की बात करता है, वो खुद आरोपों से बरी नहीं. कई बार इसपर नस्लभेदी सोच के आरोप लगे. माना जाता है कि ये कोर्ट अफ्रीकी हिंसाओं और मामलों पर ही फोकस करती है ताकि उसका काम चलता रहे और कोई बड़ा खतरा भी न आए. आईसीसी के उठाए गए मामलों में अफ्रीकी देशों के केस ज्यादा होना इस आरोप में हल्की सच्चाई भी दिखाता है.