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रोहिंग्या मुस्लिमों को भगाने के लिए म्यांमार सेना को ट्रेनिंग दे रहा इजरायल

इजरायली सैनिकों की कंपनी TAR आइडल ने म्यांमार भेजे जाने वाले सैनिकों को खास तौर पर रखाइन प्रांत के रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की तैयारियां भी कराई है.

रोहिंग्या मुस्लिम रोहिंग्या मुस्लिम
विजय रावत
  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

 

रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर पूरे देश में चर्चा चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी म्यांमार दौरे के दौरान गुरुवार को ये मुद्दा उठाया. मगर, अब रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर इजरायल की बड़ी भूमिका सामने आई है.

इजरायल ने म्यांमार को हथियार सप्लाई रोकने से इनकार कर दिया है. बताया जा रहा है कि इजरायल म्यांमार को हथियार देकर रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से भगाने में मदद कर रहा है.

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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मानवाधिकार समूहों ने इजरायल ने म्यांमार को हथियार सप्लाई करने पर रोक लगाने की मांग की थी. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि इजरायल से हथियार लेकर म्यांमार सेना रोहिंग्या मुसलमानों पर जुल्म कर रही है.

मानव अधिकार समूहों और बर्मा अधिकारियों ने कहा कि इजरायल ने म्यांमार को बेचने वाले हथियारों में 100 से अधिक टैंक और हथियार दिए हैं. साथ ही सीमा पुलिस की मदद के लिए नौकाएं भी दी हैं.

जवानों को ट्रेनिंग

सिर्फ हथियार की सप्लाई तक इजरायल सीमित नहीं है. बल्कि वो म्यांमार की स्पेशल फोर्स के जवानों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. ये ट्रेनिंग रखाइन इलाके में दी जा रही है, जहां सबसे अधिक रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं. यहीं पिछले कई दिनों से हिंसा फैली हुई है. इजरायल हथियारों की ये सप्लाई ऐसे वक्त में कर रहा है जब म्यांमार पर अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) ने हथियारों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. ये प्रतिबंध अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत लगाया गया है.

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25 अगस्त को शुरु हुई हिंसा

बता दें कि म्यांमार में 25 अगस्त को शुरू हुई हिंसा में कम से कम 400 रोहिंग्या मुस्लिम मारे गए हैं. वहीं करीब 1,46,000 भूखे और भयभीत रोहिंग्या बांग्लादेश के लिए पलायन कर चुके हैं. सैटेलाइट तस्वीरों में दिखा कि म्यांमार सेना ने दर्जनों रोहिंग्या गांवों को जला दिया है.

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एक वेबसाइट इर्राबेडी ने बताया कि दिसंबर 2016 में इजरायल के वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपने देश के रक्षा मंत्रालय को लिखा था कि म्यांमार सेना में सैन्य शिपमेंट को निलंबित किया जाए. उन्होंने कहा कि म्यांमार अभी भी अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ मानवाधिकारों का दुरुपयोग करता है. यह आश्चर्यजनक है कि इजरायल, ईरान के खिलाफ निरंतर प्रतिबंधों के लिए संघर्ष कर रहा है, इसके बावजूद इजरायल अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को नजरअंदाज कर म्यांमार की लगातार सहायता कर रहा है.

 

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