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'वन बेल्ट वन रोड' पर समिट से पहले मोदी के श्रीलंकाई दौरे से चीन में खलबली

मोदी की इस यात्रा के कई राजनीतिक और कूटनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. मोदी के पहुंचने के बाद श्रीलंका ने कोलंबो में चीनी पनडुब्बी को खड़ा करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया, जिससे चीन के माथे पर शिकन और बढ़ गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2017,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST

कूटनीति के माहिर खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय श्रीलंकाई दौरे ने चीन की चिंता बढ़ा दी है. भारत सरकार भले ही यह कह रही है कि पीएम मोदी के इस दौरे में किसी तरह के कोई समझौते नहीं होंगे. हालांकि 14-15 मई को आयोजित होने वाली 'वन बेल्ट, वन रोड' (OBOR) समिट से पहले पीएम मोदी के इस दौरे से चीन में खलबली मची हुई है.

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मोदी की इस यात्रा के कई राजनीतिक और कूटनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. मोदी के पहुंचने के बाद श्रीलंका ने कोलंबो में चीनी पनडुब्बी को खड़ा करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया, जिससे चीन के माथे पर शिकन और बढ़ गई. 2014 में भारत ने चीनी पनडुब्बी के श्रीलंकाई बंदरगाह में खड़ा करने का कड़ा विरोध किया था. हालांकि OBOR समिट से पहले चीन किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से बच रहा है.

उसको डर है कि उलटी बयानबाजी से उसकी सबसे महत्वाकांक्षी OBOR योजना खटास में पड़ सकती है. मोदी के श्रीलंकाई दौरे की भनक लगने पर चीन की सरकारी मीडिया ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत को हल्के में लेना उसके लिए ठीक नहीं है. मोदी ने श्रीलंका के लोगों को सौगात देते हुए कोलंबो और वाराणसी के बीच सीधे हवाई सेवा शुरू करने का ऐलान किया. साथ ही डिकोया अस्पताल का उद्घाटन किया.

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OBOR में भारत को शामिल करना चाहता है चीन
2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने OBOR को प्रस्तावित किया था. चीन भारत को इस परियोजना में शामिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है. अमेरिका ने भी चीन की परियोजना को लेकर चिंता जाहिर कर चुका है. हाल ही में श्रीलंका और चीन के बीच बढ़ी नजदीकियों ने भारत की चिंता बढ़ाई है. ऐसे में मोदी का यह दौरा कई लिहाज से अहम है. कई श्रीलंकाई नेताओं ने भी मोदी के दौरे को कूटनीतिक नजरिए से अहम बताया है.

मोदी जैसा बोल्ड नेता चीन के हित में नहीं
मोदी के सत्ता में आने के बाद से ही चीन भारत को लेकर बेहद चिंतित है. यूपी चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद चीनी मीडिया ने चेताया था कि मोदी जैसा बोल्ड नेता चीन के हित में नहीं है. इससे चीन और भारत के संबंधों में भारत का रुख और सख्त होगा. हाल ही में चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मोदी को 'मैन ऑफ एक्शन' और 'हाईलाइन एटीट्यूड' वाला बताया था. उसने कहा कि नोटबंदी का फैसला मोदी के कड़े फैसले लेने की क्षमता को दर्शाता है.

मोदी की शख्सियत के चलते दुनिया मान रही भारत का लोहा
पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से दुनिया के देशों से भारत के रिश्ते प्रखर हुए हैं. चीनी मीडिया कह चुकी है कि नोटबंदी जैसे बड़े एवं बोल्ड फैसले और वैश्विक मंच पर मोदी की प्रखर आवाज ने एक नए भारत को दुनिया के सामने रखा है. विदेश नीति के मामले में मोदी की अगुवाई में भारत ने पहले की रक्षात्मक नीति को किनारे किया है और दूसरे देशों के मामलों में अपने हित को प्राथमिकता देते हुए बोल्ड फैसले लिए हैं. मोदी की शख्सियत के चलते भारत वैश्विक स्तर पर अब अपना लोहा मनवाने लगा है.

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चीनी रणनीति को कमजोर करने में कामयाब हो रहा भारत
भारत को घेरने के मकसद से श्रीलंका के करीब आने की चीन की कोशिश अब कमजोर होती नजर आ रही हैं. श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में चीनी निवेश को लेकर स्थानीय ग्रामीण और बौद्ध भिक्षु विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. चीन श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में भारी भरकम निवेश कर रहा है. इसके लिए उसने चीनी कंपनी को 99 साल के लिए जमीन लीज पर दी है. उसके निवेश का मकसद भारत को चारो ओर से घेरना है. ऐसे में श्रीलंका के दोबारा से भारत के करीब आना चीन के लिए झटका माना जा रहा है.

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