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नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी-सेंटर) ने सोमवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया.
सीपीएन(एम-सी) के इस फैसले से ओली सरकार संकट में पड़ गई है. पार्टी नेतृत्व ने एक बैठक में ओली सरकार से समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया.
पत्र लिखकर बताया पार्टी का फैसला
दैनिक अखबार 'काठमांडू पोस्ट' के अनुसार, पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने ओली को एक पत्र लिख कर समर्थन वापस लेने के पार्टी के निर्णय से अवगत कराया.
पत्र लेकर पीएम और राष्ट्रपति से मिले जनार्दन
सरकार से समर्थन वापसी का पत्र लेकर पार्टी नेता जनार्दन शर्मा और हितराज पांडे प्रधानमंत्री निवास 'बालुवाटार' और राष्ट्रपति आवास 'शीतल निवास' गए. पार्टी के एक अन्य नेता कृष्ण बहादुर महारा पत्र लेकर नेपाली संसद की अध्यक्ष ओनसारी घारती मागर के पास गए.
पहले भी मंडराया था ओली सरकार पर सकंट
पोस्ट के अनुसार, पत्र में कहा गया है कि मौजूदा सरकार से समर्थन वापस लेने के सीपीएन(एम-सी) के निर्णय का उद्देश्य सर्वसम्मत सरकार के गठन के लिए मार्ग प्रशस्त करना है. सीपीएन(एम-सी) ने राष्ट्रीय सहमति वाली सरकार के गठन हेतु पहल शुरू करने के लिए अध्यक्ष पुष्प कमल दहाल प्रचंड को अधिकृत किया है. पिछले रविवार को हुई एक बैठक में सत्ताधारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) से पहले उनके साथ हुए सभी समझौतों को पूरी तरह लागू करने को कहा गया था. इससे पहले गत पांच मई को भी के.पी. शर्मा ओली की सरकार पर संकट मंडराने लगा था, जब सीपीएन(एम-सी) ने सरकार से अलग होने का नोटिस दिया था.
प्रचंड ने ओली को दिया था ऑफर
प्रचंड ने ओली को अपने नेतृत्व में सरकार में शामिल होने को कहा था, क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने सीपीएन (एम-सी) के नेता को समर्थन देने का फैसला किया था. नेपाली कांग्रेस सदन में सबसे बड़ी पार्टी है. प्रचंड को संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चा (यूडीएमएफ) का भी समर्थन मिला था. गत 20 सितम्बर को देश में संविधान की घोषणा के बाद यूडीएमएफ ने ओली सरकार के विरोध में पांच महीने तक आन्दोलन किया था. अगर ओली सरकार इस्तीफा देती है तो प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो जाएगा.