
पाकिस्तान में सियासी, न्यायपालिका और सैन्य नेतृत्व के मोर्चे पर हलचल तेज है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पाक सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल विस्तार की अधिसूचना को बुधवार तक के लिए निलंबित कर दिया, वहीं इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट से पूर्व राष्ट्रपति जनरल (रिटायर्ड) परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे में फैसला स्थगित करने की मांग की. मुशर्रफ के मामले में फैसला 28 नवंबर को सुनाया जाना था.
हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में सरकार ने कोर्ट के 19 नवंबर के फैसले को टाले रखने की मांग की. कोर्ट ने मुशर्रफ के खिलाफ साल 2007 में संविधान को पलटने की वजह से देशद्रोह के आरोपों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. वर्षों से चल रहे मुकदमे में पहले पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ से स्वदेश वापस आकर इसका सामना करने के लिए कहा गया था. मुशर्रफ के नहीं लौटने पर कोर्ट ने उनकी गैर मौजूदगी में ही फैसला सुनाने की बात कही थी.
पाकिस्तान सरकार की याचिका में ना सिर्फ कोर्ट से फैसले को स्थगित रखने का आग्रह किया गया, बल्कि केस की मेरिट पर भी सवाल उठाए. ऐसा करने से सरकार के रुख को लेकर अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई है. मुशर्रफ के वकीलों ने भी लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ऐसी ही मांग की है. याचिका में मुशर्रफ के खिलाफ मुकदमे को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है.
2016 से स्वदेश नहीं लौटे मुशर्रफ
बता दें कि परवेज मुशर्रफ 2016 के बाद से पाकिस्तान नहीं लौटे हैं. 2016 में मुशर्रफ इलाज के लिए यूएई गई थे. उसके बाद कोर्ट ने उनके वकीलों से बार- बार उन्हें स्वदेश वापस ला कर मुकदमे का सामना करने के लिए कहा. इमरान सरकार की ओर से मुशर्रफ़ के समर्थन वाली याचिका दाखिल किए जाने पर पाकिस्तान के कई वर्गों में हैरत जताई जा रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि क्योंकि इमरान को पाकिस्तान में ताकतवर सेना का समर्थन हासिल है, सेना नहीं चाहती कि उसके किसी पूर्व अध्यक्ष पर नागरिक अदालत फैसला सुनाए.
मुशर्रफ ने निलंबित किया था संविधान
पाकिस्तान के 1973 संविधान के तहत इमरान खान की मौजूदा सरकार अपना कामकाज कर रही है. इसी संविधान को मुशर्रफ ने निलंबित किया था और नवाज शरीफ की सरकार का तख्ता पलट कर खुद हुकूमत संभाली थी. पाकिस्तान के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी पूर्व सेनाध्यक्ष पर देशद्रोह के आरोप में नागरिक अदालत में मुकदमा चला है.