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ताइवान में भूकंप से दहशत, 2 की मौत, रविवार से अब तक आए 100 झटके

देर रात सोशल मीडिया पर एक ऊंची बिल्डिंग के टेढ़े होने की तस्वीर भी सामने आई थी. जो कि काफी चौंकाने वाली थी. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार भूकंप स्थानीय समयानुसार रात 11 बजकर 50 मिनट पर आया.

भूकंप से टेढ़ी हो गई बिल्डिंग भूकंप से टेढ़ी हो गई बिल्डिंग
मोहित ग्रोवर
  • ताइपे,
  • 07 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:51 AM IST

पूर्वी ताइवान में मंगलवार देर रात भूकंप के झटकों ने पूरे इलाके को हिला दिया. भूकंप की तीव्रता रिक्टेर स्केल पर 6.4 मापी गई थी. भूकंप के कारण करीब दो लोगों की मौत हो गई, वहीं 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इस भूकंप में कई इमारतों को नुकसान पहुंचने की आशंका है.

देर रात सोशल मीडिया पर एक ऊंची बिल्डिंग के टेढ़े होने की तस्वीर भी सामने आई थी. जो कि काफी चौंकाने वाली थी. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार भूकंप स्थानीय समयानुसार रात 11 बजकर 50 मिनट पर आया. इसका केंद्र बंदरगाह शहर हुआलिन से करीब 21 किलोमीटर पूर्वोत्तर दिशा में था. रविवार से अभी तक बड़े भूकंप के बाद से करीब 100 छोटे झटके आ चुके हैं, जिनसे पूरे देश में दहशत का माहौल है.

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ताइवान कैबिनेट ने राष्ट्रीय दमकल एजेंसी के हवाले से बताया कि भूकंप की वजह से ताइवान के पूर्वी तट स्थित एक होटल 6.4 की तीव्रता के भूकंप की वजह से धराशायी हो गया. ताइवान कैबिनेट ने कहा कि एक अन्य होटल क्षतिग्रस्त हुआ है. स्थानीय मीडिया ने बताया कि कई इमारतें गिर गई हैं. धराशायी होटल में करीब 30 व्यक्ति फंसे हुए हैं.

पिछले कुछ दिनों से इस देश में भूकंप के कई झटके आ चुके हैं. रविवार को भी इस देश में केवल दो घंटे के भीतर भूकंप के पांच झटके आए थे. ये झटके ताइवान के पूर्वी समुद्री तट पर आए थे.

आपको बता दें कि ताइवान दो भूगर्भीय टेक्टोनिक प्लेटों के ऊपर बसा हुआ है. इसलिए इस देश पर भूकंप की मार अक्सर देखने को मिलती रहती है. इससे पहले, इस देश में 1999 में 7.6 मैग्नीट्यूड का तेज भूकंप आया था. इसमें कम से कम 2,400 लोगों की मौत हो गई थी.

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इसलिए आता है भूकंप

धरती चार परतों से बनी है- इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है. लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है. ये परत वर्गों में बंटी है और इन्हें टेक्टोनिकल प्लेट्स कहते हैं. जब इन टेक्टोनिकल प्लेटों में हलचल तेज होती है तो भूकंप आता है. यही नहीं, उल्का के प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट और माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं.

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