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पुरानी राह पर तालिबान! कहा- अफगानी फौज के खिलाफ शुरू होगा जंगी अभियान

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगान-तालिबान समझौते पर संतोष जताते हुए यह चेतावनी दी कि अगर समझौते को लागू करने में किसी तरह की गड़बड़ी की गई, तो फिर 'अमेरिका, अफगानिस्तान में इतनी बड़ी फौज भेजेगा जितनी कभी किसी ने देखी नहीं होगी.

कतर में शांति समझौते पर दस्तखत के दौरान तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल बरादर (फोटो-ANI) कतर में शांति समझौते पर दस्तखत के दौरान तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल बरादर (फोटो-ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 8:59 PM IST

  • संघर्ष विराम खत्म होने से शांति समझौते को झटका
  • विदेशी सैनिकों पर हमले न करने का किया ऐलान

तालिबान ने आंशिक संघर्ष विराम खत्म करने का फैसला किया है. तालिबान ने सोमवार को कहा कि अब अफगान सुरक्षा बलों के खिलाफ आक्रामक अभियान की शुरुआत होगी. अगर ऐसा हुआ तो यह शांति समझौते को बड़ा झटका होगा जो अमेरिका और तालिबान विद्रोहियों के बीच हुआ है.

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तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्ला मुजाहिद ने सोमवार को एक बयान में कहा, 'हिंसक वारदातों में कमी...अब रुक जाएगी और हमारे अभियान पहले की तरह शुरू हो जाएंगे.' प्रवक्ता ने कहा, समझौते (अमेरिका-तालिबान) के मुताबिक हमारे मुजाहिद्दीन विदेशी सुरक्षा बलों पर वार नहीं करेंगे लेकिन काबुल के सुरक्षा बलों के खिलाफ अपने आक्रामक अभियान जारी रखेंगे.

ये भी पढ़ें: समझौते में रोड़ा, अफगान राष्ट्रपति ने 5 हजार तालिबानी कैदियों की रिहाई से किया इनकार

दो दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगान-तालिबान समझौते पर संतोष जताते हुए यह चेतावनी दी कि अगर समझौते को लागू करने में किसी तरह की गड़बड़ी की गई, तो फिर 'अमेरिका, अफगानिस्तान में इतनी बड़ी फौज भेजेगा जितनी कभी किसी ने देखी नहीं होगी.' व्हाइट हाउस में अपने एक संबोधन में ट्रंप ने अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि वह 'बहुत जल्द तालिबान के नेताओं से मुलाकात करेंगे. अमेरिकी फौज को भी वापस बुलाना शुरू कर देंगे.'

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ये भी पढ़ें: अमेरिका-तालिबान के बीच शांति समझौते में पाकिस्तान को दिखने लगा अपना फायदा

बता दें, शनिवार को अफगान तालिबान और अमेरिका के बीच कतर के दोहा में समझौते पर दस्तखत हुए. इसके तहत यह तय हुआ है कि विदेशी फौजें चरणबद्ध तरीके से अगले 14 महीने में अफगानिस्तान छोड़ देंगी. बदले में तालिबान अफगान धरती का इस्तेमाल किसी आतंकी गतिविधि में नहीं होने देंगे, साथ ही तालिबान के सहयोग से अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों में नई भर्तियों और इनके लिए धन जुटाने पर लगाम लगाई जाएगी.

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