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रिसर्च में दावा- अंडरग्राउंड मेट्रो में सफर करना बन सकता है कैंसर का कारण

अमेरिका स्थित दक्षिणी कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने पाया कि अंडर ग्राउंड टनल में ज्यादा सफर करना लाइफ टाइम कैंसर का कारण बन सकता है. सरकारी और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और यूएस इन्वॉयरमेंटल प्रोटेक्शन जैसी स्वास्थ्य संस्थाओं के तय मानकों से इसकी संभाव्यता सामान्य से 10 गुणा ज्यादा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
नंदलाल शर्मा
  • वाशिंगटन ,
  • 01 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:12 AM IST

अमेरिका में हुए एक अध्ययन के मुताबिक अंडर ग्राउंड मेट्रो ट्रेन में सफर करने वाले मुसाफिरों के लिए कैंसर का खतरा ज्यादा होता है. ऐसा

अंडर ग्राउंड टनल में अधिक सांद्रता के कारण कैंसर पैदा करने वाले एजेंटों के चलते होता है.

साल 2015 में दुनिया भर में वायु प्रदूषण के चलते 6.5 मिलियन लोग की मौत हुई थी. शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण में सबसे खतरनाक पीएम (Particulate matter) का स्तर होता है. वायु प्रदूषण में पाए जाने वाले दो प्रमुख यौगिकों में पालीसाइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) और हेक्सावैलेंट क्रोमियम हैं.

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दोनों प्रकार के यौगिक कार्डियोवस्कुलर और रेस्पॉयरेटरी डिस्ट्रेस का कारण बनते हैं. साथ ही गैर कैंसर जनित रोगों का भी कारण बनते हैं.

अमेरिका स्थित दक्षिणी कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने पाया कि अंडर ग्राउंड टनल में ज्यादा सफर करना लाइफ टाइम कैंसर का कारण बन सकता है. सरकारी और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और यूएस इन्वॉयरमेंटल प्रोटेक्शन जैसी स्वास्थ्य संस्थाओं के तय मानकों से इसकी संभाव्यता सामान्य से 10 गुणा ज्यादा है.

एयरोसोल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने एयर सैंपल कलेक्ट करने के लिए बैटरी से चलने वाली पार्टिकल सेंसर वाली गाड़ियों का उपयोग किया था.

रोडवेज पर माप लेने के लिए जीरो एमीशन टेस्ट व्हीकल का प्रयोग किया गया था, जबकि रेलवे के लिए सैंपल ट्रेन प्लेटफॉर्म और कार के भीतर लिए गए थे. शोधकर्ताओं का मानना था कि यात्री 25 प्रतिशत समय प्लेटफॉर्म पर बिताते हैं, जबकि 75 प्रतिशत समय ट्रेन में गुजारते हैं.

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