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अफगानिस्तान में बम का निशाना, लेकिन ट्रंप की नजर उत्तर कोरिया पर?

जानकार मान रहे हैं कि अगर अमेरिका का मकसद आईएसआईएस की कमर तोड़ना होता तो ये बम सीरिया या इराक में गिराया जा सकता था. हकीकत ये है कि 'मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स' को आतंकी ठिकानों के खिलाफ डिजाइन ही नहीं किया गया था.

क्या अफगानिस्तान में बम गिराकर उत्तर कोरिया को डराना चाहते हैं ट्रंप? क्या अफगानिस्तान में बम गिराकर उत्तर कोरिया को डराना चाहते हैं ट्रंप?
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 10:11 AM IST

अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान की दहलीज पर बसे अफगानिस्तानी प्रांत नंगरहार में अपना सबसे ताकतवर बम गिराया है. लेकिन अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप ने निशाना भले ही अफगानिस्तान पर लगाया हो, लेकिन उनकी नजर दरअसल उत्तरी कोरिया पर है.

क्यों ISIS नहीं था असली निशाना?
अमेरिका के कई जानकार मान रहे हैं कि अगर अमेरिका का मकसद आईएसआईएस की कमर तोड़ना होता तो ये बम सीरिया या इराक में गिराया जा सकता था. हकीकत ये है कि 'मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स' को आतंकी ठिकानों के खिलाफ डिजाइन ही नहीं किया गया था. यही वजह है कि बुश और ओबामा प्रशासन ने कभी आतंकी ठिकानों के खिलाफ इसका इस्तेमाल करने की नहीं सोची. कम से कम कागजों पर अमेरिका की सैन्य रणनीति स्थानीय आबादी को दिल जीतकर आतंकियों को हराने की है ना कि उनका सफाया करने की. लिहाजा इतना ताकतवर बम आतंकियों के खिलाफ गिराना इस रणनीति का हिस्सा नहीं हो सकता. यूं भी आईएसआईएस अफगानिस्तान में तालिबान जितना बड़ा खतरा नहीं है. अफगानिस्तानी जनता, अमेरिकी सेना और खुद तालिबान भी इस संगठन से दुश्मनी की कसमें खाते हैं.

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उत्तर कोरिया को संदेश
हकीकत ये है कि 'मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स' इराक युद्ध के दौरान बनाया गया था. इसे भूमिगत परमाणु ठिकानों को तबाह करने के लिए ही डिजाइन किया गया है. ईरान के अलावा उत्तर कोरिया ने भी ऐसे ही कई ठिकाने बनाए हैं. ये कोई राज नहीं है कि ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अमेरिकी प्रशासन ने उत्तर कोरिया के खिलाफ रुख कड़ा किया है. पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने दो-टूक कहा था कि अगर बीजिंग प्योंगयांग पर लगाम नहीं कस सकता तो अमेरिका उससे अपने तरीके से निपटेगा. वॉशिंगटन की फिक्र इस बात ने बढ़ाई है कि उत्तर कोरिया ने कुल पांच परमाणु परीक्षणों में से तीन पिछले पांच साल के दौरान किये हैं. इनमें से दो पिछले साल ही किए गए हैं. उत्तर कोरिया के उप-विदेशमंत्री ने साफ किया है कि जरूरत पड़ने पर उनका देश दोबारा भी परमाणु बम का परीक्षण करने से नहीं चूकेगा. इससे दक्षिण कोरिया और जापान जैसे अमेरिका के सहयोगी देश असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ये भी कोई संयोग नहीं है कि अमेरिका ने 13 अप्रैल को मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स का इस्तेमाल किया है. जबकि 15 अप्रैल को उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन का जन्मदिन है.

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