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तुर्की में तख्तापलट की कोशिश की ये हैं 5 बड़ी वजहें

तुर्की में सेना ने तख्तापलट की नाकाम कोशिश की. पुलिस ने रिसेप तईप एर्दोगन की सरकार को गिरने से बचा लिया. लेकिन तुर्की में ये स्थिति अचानक नहीं बनी. सन 1960 से लेकर अब तक तुर्की में तीन बार तख्तापलट किया जा चुका है. आइए बताते हैं इसकी पांच बड़ी वजहें.

तुर्की में सेना ने की तख्तापलट की कोशिश तुर्की में सेना ने की तख्तापलट की कोशिश
प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

तुर्की में सेना ने तख्तापलट की नाकाम कोशिश की. पुलिस ने रिसेप तईप एर्दोगन की सरकार को गिरने से बचा लिया. लेकिन तुर्की में ये स्थिति अचानक नहीं बनी. सन 1960 से लेकर अब तक तुर्की में तीन बार तख्तापलट किया जा चुका है. आइए बताते हैं इसकी पांच बड़ी वजहें.

1. धुंधला पड़ता जा रहा है लोकतंत्र
रिसेप तईप एर्दोगन की 'एके पार्टी' (एब्रिविएशन ऑफ टर्किश इनिशियल्स ऑफ जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी) 2002 में सत्ता में आई थी. इससे एक साल पहले ही एके पार्टी बनाई गई थी. तभी से रिसेप एर्दोगन पर आरोप लगते रहे हैं कि वे राष्ट्रपति के इर्द-गिर्द सारी शक्तियां केंद्रित करना चाहते हैं. उन्होंने कथित तौर पर लगातार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ काम किया.

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2. तुर्की सरकार का धार्मिक झुकाव
रिसेप तईप एर्दोगन के सत्ता में आने के बाद से ही सरकार का रुख इस्लाम की तरफ झुक रहा है. देश में धर्मनिरपेक्ष कानूनों की जगह इस्लामिक नियमों को लागू करने के लिए कई कानून भी पास किए गए.

3. अमेरिका से खराब संबंध
तुर्की और अमेरिकी सेना के करीबी रिश्ते हैं, लेकिन फिर भी पश्चिमी नेताओं के साथ तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के रिश्ते खराब हैं. एर्दोगन और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच भी कई बार तनाव की स्थिति पैदा हो चुकी है.

4. तुर्की सेना और एर्दोगन के तनाव भरे रिश्ते
साल 2002 में सत्ता में आते ही राष्ट्रपति एर्दोगन ने कई सैन्य अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की और कई पर अदालतों में केस भी चला. इसके बाद से ही सेना और एर्दोगन के रिश्ते तल्ख हैं.

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5. संविधान में बदलाव का दबाव
एर्दोगन सत्ता में आने के बाद से ही संविधान के दोबारा निर्माण के पक्षधर हैं. एर्दोगन संविधान में बदलाव कर राष्ट्रपति पद को अमेरिकी रंग में ढालना चाहते थे. लेकिन उनकी इस चाहत ने उनके कई समर्थकों को उनसे दूर कर दिया.

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