एडुटेक फर्म बायजूस अपनी बिगड़ती फाइनेंशियल हेल्थ (Byju's Crisis) को लेकर लंबे समय से चर्चा में है. भयंकर नकदी संकट के बीच कंपनी में एक के बाद एक सीनियर अधिकारियों के इस्तीफे हुए और बड़ी छंटनी देखने को मिली, जो कर्मचारी रह गए उनकी सैलरी रोकने को मजबूर होना पड़ा और यहां तक कि तमाम शहरों में इसके ऑफिस तक खाली करने पड़ गए. इस यूनिकॉर्न कंपनी की वैल्यू सालभर में ही 99 फीसदी तक घट (Byju's Market Value Fall) गई. इन सबके बीच अब एक साल में बायजूस के लिए पहली गुड न्यूज आई है, जो राहत देने वाली है. दरअसल, इस स्टार्टअप के शेयरहोल्डर्स ने 20 करोड़ डॉलर के राइट्स इश्यू (Rights Issue) को अपनी मंजूरी दे दी है.
20 करोड़ डॉलर के राइट्स इश्यू को मंजूरी
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, Byju's की पैरेंट कंपनी 'थिंक एंड लर्न' के ज्यादातर शेयरहोल्डर्स ने अधिकृत शेयर पूंजी को बढ़ाने के कंपनी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सोमवार को कंपनी की ओर से ये गुड न्यूज शेयर की गई. इसमें कहा गया कि बायजूस ने राइट्स इश्यू (Byju's Rights Issue) के जरिए जो 20 करोड़ डॉलर जुटाए थे, उसे अब शेयर होल्डर्स की मंजूरी मिल गई है. इससे पहले बीते 29 मार्च हुई ईजीएम का कंपनी के निवेशकों के एक समूह ने विरोध किया था. इसमें खासतौप पर चार इन्वेस्टर्स प्रोसस, जनरल अटलांटिक, सोफिना और पीक-15 ने राइट इश्यू के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में यह कहते हुए याचिका दायर की कि इससे कंपनी की शेयरधारिता में बदलाव होगा.
नकदी संकट से निपटने में मिलेगी मदद
कंपनी के मुताबिक, 29 मार्च, 2024 को आयोजित असाधारण आम बैठक (Byju's EGM) में प्रस्ताव को कुल पड़े वोटों के 55 फीसदी के बहुमत से मंजूरी दी गई थी. हालिया मतदान प्रक्रिया 6 अप्रैल 2024 को संपन्न हुई, जिसमें ईजीएम और डाक मतपत्र दोनों शामिल किए गए थे. इन मतपत्रों की एक इंडिपेंडेंट थर्ड पार्टी द्वारा जांच की गई है. एक बयान में आगे कहा गया कि ईजीएम प्रस्तावों की मंजूरी से बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड को नए शेयर जारी करने और नकदी की कमी से निपटने में मदद मिलेगी.
क्या होता है राइट इश्यू?
राइट इश्यू एक आईपीओ (IPO) ही होता है, फर्क बस इतना है कि इसमें स्टॉकहोल्डर्स को ही शेयर ऑफर किए जाते हैं. नए इन्वेस्टर्स को बोली लगाने का अधिकार नहीं होता है. Rights Issue के जरिए कंपनी के अपने पुराने शेयरहोल्डर्स को डिस्काउंट रेट पर शेयर ऑफर करती है. खास बात ये है कि इन शेयरों की खरीद-फरोख्त स्टॉक एक्सचेंज पर नहीं की जाती है.
एक के बाद एक बड़े विकेट गिरे
नकदी संकट झेल रही कंपनी की मुसीबतें तक और भी बढ़ गईं, जब बायजूस से एक के बाद एक बड़े विकेट गिरने लगे. हाल ही में बायजूस इंडिया के सीईओ (Byju's CEO Arjun Mohan) ने अपने पद से इस्तीफा देकर कंपनी को बड़ा झटका दिया. उन्होंने 7 महीने पहले ही अपना पद संभाला था. इससे पहले बीते एक साल में कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी (Byjus CFO) अजय गोयल ने इस्तीफा देकर वापस वेदांता की राह पकड़ी ली, तो वहीं बोर्ड के 3 सदस्यों और ऑडिटर डेलॉयट (Deloitte) ने भी बायजूस का साथ छोड़ दिया था. इनमें सिकोइया कैपिटल इंडिया (पीक XV पार्टनर्स) के जीवी रविशंकर, चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव के विवियन वू और प्रोसस के रसेल ड्रेसेन स्टॉक शामिल थे.
वैल्यू घटी तो फाउंडर की नेटवर्थ हुई जीरो
कैसे कोई अर्श से फर्श पर आ जाता है, इसका उदाहरण इस समय एडुटेक फर्म बायजूस ही बना हुआ है. एक समय ऊंची उड़ान भरने वाली इस कंपनी की वैल्यूएशन सालभर पहले 22 अरब डॉलर थी, लेकिन ब्लैकरॉक द्वारा इसे घटाकर अब महज 1 अरब डॉलर कर दिया गया है. यही नहीं इसे शुरू करने वाले फाउंडर की नेटवर्थ पर बायजूस संकट का बड़ा असर देखने को मिला है. बीते दिनों फोर्ब्स की अरबपतियों नई लिस्ट में बायजू रविंद्रन (Byju Raveendran) की नेटवर्थ जीरो यानी शून्य आंकी गई है. वे एक साल 2.1 अरब डॉलर या करीब 17,545 करोड़ रुपये की नेटवर्थ के साथ देश के सबसे युवा अरबपतियों में शामिल थे.