कांग्रेस ने मंगलवार को सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर फिर से नए आरोप लगाए. इनमें कांग्रेस ने दावा किया कि उनके पति धवल बुच ने 2019-2021 के बीच महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप से "इनकम इन पर्सनल कैपेसिटी" के रूप में 4.78 करोड़ रुपये प्राप्त किए. हालांकि महिंद्रा ग्रुप ने आरोप को झूठा और भ्रामक बताते हुए इनकार किया है.
दरअसल, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, "यह ऐसे समय में हुआ जब माधबी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उसी ग्रुप के मामलों का फैसला कर रही थीं."
माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं. उन्हें 2 मार्च, 2022 को सेबी का अध्यक्ष बनाया गया.
एक बयान में, महिंद्रा ग्रुप ने कहा कि धवल बुच, जो यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद 2019 में कंपनी में शामिल हुए थे, को केवल सप्लाई चेन मैनेजमेंट में उनकी विशेषज्ञता के लिए काम पर रखा गया था. कंपनी ने कहा, "यह मुआवज़ा विशेष रूप से और केवल बुच की सप्लाई चेन एक्सपर्टीज और मैनेजमेंट कौशल के लिए दिया गया है, जो यूनिलीवर में उनके ग्लोबल एक्सपीरियंस पर आधारित है."
महिंद्रा ने बयान में कहा, "उन्होंने (धवल) अपना अधिकांश समय ब्रिस्टलकोन में बिताया है, जो एक सप्लाई चेन कंसल्टिंग कंपनी है. वह वर्तमान में ब्रिस्टलकोन के बोर्ड में हैं. वह माधवी पुरी बुच को सेबी चेयरपर्सन नियुक्त किए जाने से लगभग तीन साल पहले महिंद्रा ग्रुप में शामिल हुए थे."
महिंद्र ने आरोपों को किया खारिज
ऑटोमोबाइल फर्म ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि सेबी द्वारा महिंद्रा ग्रुप के मामलों का निपटान धवल बुच द्वारा प्राप्त आय से मेल खाता है. बयान में कहा गया है, "आरोपों में संदर्भित पांच सेबी आदेशों या अनुमोदनों में से कोई भी प्रासंगिक नहीं है. सेबी के पांच अनुमोदनों या आदेशों में से तीन कंपनी या उसकी किसी भी सहायक कंपनी से संबंधित नहीं हैं."
कंपनी ने कहा, "एक फास्ट-ट्रैक राइट्स इश्यू था, जिसके लिए सेबी से किसी भी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं थी. एक मार्च 2018 में जारी किया गया एक आदेश था, जो धवल के महिंद्रा समूह के साथ काम करना शुरू करने से काफी पहले था."
माधबी बुच के खिलाफ कांग्रेस का नया आरोप
बता दें कि सेबी अध्यक्ष के खिलाफ एक और आरोप में कांग्रेस ने दावा किया कि माधबी बुच ने पूर्णकालिक सदस्य और बाजार नियामक की अध्यक्ष बनने के बाद अपनी कंसल्टिंग फर्म अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों से 2.95 करोड़ रुपये प्राप्त किए.
पवन खेड़ा ने दावा किया कि माधबी बुच के इस दावे के विपरीत कि सेबी में शामिल होने के बाद अगोरा निष्क्रिय हो गई, कंसल्टेंसी फर्म ने सेवाएं प्रदान करना जारी रखा और 2016-2024 के बीच 2.95 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया. खेड़ा ने कहा, "माधबी बुच के पास 31 मार्च, 2024 तक कंपनी (अगोरा) में अभी भी 99% हिस्सेदारी है. वह कंपनी की हिस्सेदारी के बारे में झूठ बोलते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई हैं. यह जानबूझकर छिपाने का मामला है."
महिंद्रा एंड महिंद्रा के अलावा, अगोरा से कंसल्टेंसी सर्विसेज लेने वाली अन्य कंपनियों में डॉ रेड्डीज, पिडलाइट, आईसीआईसीआई, सेम्बकॉर्प और विसू लीजिंग एंड फाइनेंस शामिल हैं. कांग्रेस ने आगे कहा कि अगोरा को मिले कुल 2.95 करोड़ रुपये में से 2.59 करोड़ रुपये या कुल आय का 88% अकेले महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप से आया.
कांग्रेस लगातार लगा रही आरोप
बता दें कि पिछले महीने कांग्रेस ने सेबी प्रमुख पर आईसीआईसीआई बैंक में लाभ का पद धारण करने और 2017 से 2024 के बीच 16.80 करोड़ रुपये की आय प्राप्त करने का आरोप लगाया था. आईसीआईसीआई बैंक ने एक बयान में बुच को कोई वेतन देने से इनकार किया है.
एक अन्य गंभीर आरोप में, कांग्रेस ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया कि माधबी बुच ने मुंबई की एक कंपनी से संबद्ध इकाई से किराये की आय प्राप्त की, जिसकी सेबी इनसाइडर ट्रेडिंग सहित विभिन्न मामलों में जांच कर रही थी.