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पिता ने कोयला खदान में 40 साल चलाया ट्रक, उसी खदान की कहानी लेकर 'भोला' से टकराने आ रहा बेटा!

तेलुगू इंडस्ट्री की लेटेस्ट पैन इंडिया फिल्म 'दसरा' 30 मार्च को थिएटर्स में रिलीज होने को तैयार है. फिल्म में लीड रोल नानी निभा रहे हैं, जो तेलुगू इंडस्ट्री के बड़े स्टार्स में गिने जाते हैं. 'दसरा' के डायरेक्टर श्रीकांत ओडेला की ये पहली फिल्म है. श्रीकांत का पहली फिल्म बनाना एक बहुत कड़े संघर्ष के बाद संभव हो सका है.

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नानी, श्रीकांत ओडेला (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
नानी, श्रीकांत ओडेला (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

आने वाला हफ्ता थिएटर्स में दो बहुत धमाकेदार एक्शन ड्रामा फिल्मों का क्लैश होने वाला है. एक तरफ अजय देवगन की 'भोला' है, जिसके ट्रेलर और गाने वगैरह खूब चर्चा में हैं. दूसरी तरफ है तेलुगू इंडस्ट्री से आ रही एक और पैन इंडिया फिल्म 'दसरा'. 'भोला' एक बॉलीवुड फिल्म है और अजय देवगन हिंदीभाषी जनता में एक बड़े पॉपुलर स्टार हैं, इसलिए उनकी फिल्म की चर्चा जोरदार होना लाजमी है. इसकी तुलना में नानी स्टारर 'दसरा' की चर्चा थोड़ी कम जरूर है मगर इस फिल्म पर नजर बनाए रखने की भी अपनी वजहें हैं. 

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'दसरा' में नानी (क्रेडिट: यूट्यूब)

उत्तर भारतीय जनता के लिए नानी का परफेक्ट इंट्रोडक्शन ये हो सकता है कि वो इंडिया के सिनेमा जीनियस एसएस राजामौली की सबसे पॉपुलर फिल्मों में से एक 'ईगा' यानी 'मक्खी' के हीरो थे. टीवी पर साउथ की डबिंग फिल्में देखने वाले नानी को जरूर पहचानते होंगे. तेलुगू इंडस्ट्री में वो बड़े स्टार हैं और उनका नाम प्रभास, जूनियर एनटीआर और अल्लू अर्जुन जैसे कलाकारों के साथ लिया जाता है. उनकी कई फिल्में ब्लॉकबस्टर रही हैं. शाहिद कपूर की फिल्म 'जर्सी', इसी नाम से बनी तेलुगू फिल्म का रीमेक थी जिसके हीरो नानी थे.

ऑरिजिनल 'जर्सी' में नानी की परफॉरमेंस को इंडियन सिनेमा की सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस में गिना जाता है. यही नानी 'दसरा' के हीरो हैं. मगर फिल्म के डायरेक्टर श्रीकांत ओडेला की ये पहली डेब्यू फिल्म है. श्रीकांत के नानी जैसे बड़े स्टार के साथ काम करने की कहानी बहुत दिलचस्प है. 'दसरा' का प्रमोशन चल रहा है और इसी सिलसिले में अलग-अलग इंटरव्यूज में नानी ने श्रीकांत के बारे में जो बताया, उससे पता लगता है कि फिल्म के लिए डायरेक्टर का पैशन कितना तगड़ा था. आइए आपको भी बताते हैं. 

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'दसरा' से पहले क्या कर रहे थे श्रीकांत 
तेलुगू इंडस्ट्री में तमाम बड़े स्टार्स भरे पड़े हैं. इस इंडस्ट्री में जहां स्टारडम का एक अलग जलवा है और इसे मेंटेन किए रखना एक बड़ा टास्क, उसमें नानी वो स्टार हैं जिन्हें दमदार एक्टिंग परफॉरमेंस के लिए जाना जाता है. उन्हें फिल्म करने के लिए राजी करना किसी भी डायरेक्टर के लिए एक बड़ा टास्क होता है. 

'दसरा' के डायरेक्टर श्रीकांत ओडेला पहले एक असिस्टेंट डायरेक्टर थे और एक फिल्म पर नानी के साथ काम कर रहे थे. उनके हिस्से ये काम था कि उन्हें हर शॉट्स के बीच में एक्टर्स के कॉस्टयूम में कंटीन्युटी का ध्यान रखना होता था, यानी एक्टर्स ने जो कॉस्टयूम पहने हैं वो अगले सीन में भी बिल्कुल सेम ही रहें, कुछ ऊपर नीचे न हो. श्रीकांत तेलंगाना के गोदावरीखणी इलाके से आते हैं जिसे कोयला खनन के लिए जाना जाता है. 

'दसरा' डायरेक्टर श्रीकांत ओडेला (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

नानी तक कहानी लेकर कैसे पहुंचे श्रीकांत 
यहां कोयले को 'ब्लैक गोल्ड' बुलाते हैं. श्रीकांत के पास एक कहानी थी, जिसकी जड़ें इसी इलाके से जुड़ी थीं. उन्होंने एक बार ये कहानी स्टंट कोरियोग्राफर विजय के बेटे को भी सुनाई थी, मगर आगे इसका कुछ नहीं हुआ. लेकिन एक मेकअप मैन को ये कहानी पता चली थी और उन्होंने प्रोड्यूसर सुधाकर चेरुकुरी को इसके बारे में बताया. सुधाकर ने तय किया कि इस कहानी को वो बनाना तो चाहते हैं, लेकिन नानी के साथ.

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अब श्रीकांत ने नानी को स्क्रिप्ट के लिए कन्विंस करना शुरू किया. नानी ने एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि कई बार अप्रोच किए जाने के बाद उन्होंने आखिरकार श्रीकांत को स्क्रिप्ट नैरेशन के लिए डेढ़ घंटे का समय दिया. नानी ने कहा कि श्रीकांत के नैरेशन स्किल्स बहुत खराब हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें स्क्रिप्ट सुनते कब 4 घंटे हो गए पता ही नहीं चला. गलट्टा प्लस के साथ इंटरव्यू में नानी कहते हैं, 'किसी ऐसे इंसान को देखना बहुत प्यारा अनुभव है जो आपको इम्प्रेस करने की कोशिश न कर रहा हो.' उन्होंने बताया कि 'दसरा' की स्क्रिप्ट सुनते ही उन्हें पता लग गया था कि ये श्रीकांत के अनुभव से, उनकी रियलिटी से निकली कहानी है. इसे कमरे की चारदीवारी के बीच बैठकर सिनेमेटिक प्लानिंग के साथ नहीं लिखा गया. 

नानी और श्रीकांत ओडेला (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

श्रीकांत की रियलिटी और खदानों से कनेक्शन 
नानी ने फिल्म कम्पेनियन को दिए इंटरव्यू में बताया कि ये 'दसरा' में अपना किरदार निभाते हुए उन्हें तेलंगाना का एक्सेंट पकड़ना था. उन्हें खदान में काम करने वाले मजदूर की तरह दिखना था और वैसी ही बॉडी लैंग्वेज रखनी थी. नानी ने ये सब करने के लिए खूब मेहनत की और फिल्म में ये इसलिए भी बेहतरीन निकलकर आया क्योंकि श्रीकांत ने स्क्रिप्ट में ये सब डिटेल्स बहुत बारीकी से लिखी थीं. श्रीकांत को एक खदान के माहौल और इलाके की इतनी जानकारी कैसे है? ये बताते हुए नानी ने कहा, 'खुद श्रीकांत के पिता ने 40 साल खदान में डम्पर चलाया है.' 

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नानी ने बताया कि खदान में काम करने वाले ऑलमोस्ट एक नियम की तरह शराब पीकर काम करते हैं क्योंकि ये बहुत मुश्किल और थका देने वाला काम है. और जहां ऐसी हालत हो, वहां सबसे ज्यादा पावरफुल वाही आदमी है जिसके काबू में बार या शराब हो. 'दसरा' की कहानी का यही बेसिक प्लॉट है. 

जब नानी ने लिया श्रीकांत का टेस्ट
ऐसा नहीं है कि नानी को स्क्रिप्ट और श्रीकांत की ईमानदारी दिखी और उन्होंने फिल्म करने का फैसला ले लिया. श्रीकांत के पास आईडिया तो था, मगर नानी चेक करना चाहते थे कि उनके पास इस आईडिया को स्क्रीन पर लाने लायक विजन है या नहीं. इस टेस्ट के बारे में नानी ने बताया, 'तो मैंने कहा कि मैं आपको कुछ अमाउंट दूंगा. किसी भी एक्टर को ले लो, भले वो आपके दोस्त ही हों. मैं पूरी स्क्रिप्ट में से दो सीन सेलेक्ट करूंगा. किसी भी गांव में जाना, आपके पास जो बेसिक इक्विपमेंट है, उसी में शूट करना. रेफरेंस के लिए किसी भी फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर लगा देना जो सीन के मूड को सूट करता हो, ताकि मैं ये समझ सकूं कि आप इसमें साउंड कैसा चाहते हो.' 

वैसे इस टेस्ट के लिए नानी को पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ी. श्रीकांत को उनके पास भेजने वाले प्रोड्यूसर, सुधाकर ने ही पैसे दिए. जो दो सीन नानी ने शूट करने को कहे, उनमें से एक में बहुत इमोशनल गहराई की जरूरत थी और दूसरे में एक हीरो वाली ताबड़तोड़ एनर्जी. 

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इम्तिहान की घड़ी और श्रीकांत की एक्साइटमेंट 
नानी बड़े और बिजी स्टार हैं. ये समझना मुश्किल नहीं है कि उनका टाइम मिलना कितनी मुश्किल बात होगी. लेकिन श्रीकांत अपने सपने को जीने के लिए पैशनेट थे, इसलिए उन्होंने नानी को कन्विंस करने के भी अपने तरीके खोजे. टेस्ट के तौर पर मिले सीन उन्होंने नानी को कैसे दिखाए, ये भी मजेदार किस्सा है. 'मुझे याद है मैं एयरपोर्ट जा रहा था, किसी शूट के लिए निकलना था. उन्होंने कहा कि मैं आपके साथ कार में चलता हूं, आप सीन देख लेना और जहां मन हो वहां उतार देना. उन्होंने एक पुराने लैपटॉप पर वो सीन दिखाए. और मेरे ख़्याल में बहुत सारे अनुभवी डायरेक्टर उस बजट में वो सीन नहीं तैयार कर सकते. ये असंभव है, लेकिन उन्होंने ये करके दिखाया' ये कहते हुए खुद नानी के चेहरे पर भी श्रीकांत के लिए गर्व दिखता है. 

आखिरकार श्रीकांत की ये मेहनत सफल हुई और जल्द ही वो उस खदान की जमीन पर बनी कहानी पर्दे पर लेकर आ रहे हैं, जहां 40 साल उनके पिता ने ट्रक चलाया. 'दसरा' कैसी फिल्म है और क्या कमाल करती है, ये तो 30 मार्च को पता चल ही जाएगा. लेकिन फिल्म रिलीज होते ही डायरेक्टर श्रीकांत ओडेला का एक बड़ा सपना भी पूरा हो जाएगा. 

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