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क्या लंदन-सिडनी जैसी हो जाएगी दिल्ली? समझें रोजगार-इकोनॉमी के लिए कितना जरूरी है 'नाइट लाइफ कल्चर'

लंदन, न्यूयॉर्क, सिडनी, पेरिस जैसे दुनिया के बड़े शहरों में दशकों से नाइट लाइफ का कल्चर है. भारत में मुंबई और बेंगलुरु जैसी सिटीज में भी नाइट लाइफ का कल्चर है. अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 300 से ज्यादा प्रतिष्ठानों को 24 घंटे खोलने की इजाजत दे दी है. इससे दिल्ली में नाइट लाइफ कल्चर को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

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एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली में 314 प्रतिष्ठानों को रातभर खुलने की इजाजत दे दी है. (फाइल फोटो-Getty Images)
एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली में 314 प्रतिष्ठानों को रातभर खुलने की इजाजत दे दी है. (फाइल फोटो-Getty Images)

क्या हो अगर दिल्ली भी लंदन या सिडनी की तरह बन जाए? या फिर न्यूयॉर्क की तरह? ये भले ही कल्पना हो सकती है, लेकिन ऐसा हो सकता है. खासकर नाइट लाइफ के मामले में. दुनिया के ज्यादातर बड़े शहरों में नाइट लाइफ का कल्चर है. यानी, ये वो शहर हैं जहां आसमान का रंग बदलता तो है, लेकिन दिन और रात में फर्क नहीं रह जाता. 

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दिल्ली को भी अब ऐसा ही शहर बनाने की कोशिश की जा रही है. हाल ही में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 300 से ज्यादा प्रतिष्ठानों को 24 घंटे, सातों दिन खोलने का आदेश दे दिया है. इसका नोटिफिकेशन अगले कुछ दिन में आ जाएगा. 

नोटिफिकेशन जारी होने के बाद दिल्ली में 314 प्रतिष्ठान दिन के साथ-साथ रात में भी खुले रहेंगे. इनमें होटल-रेस्टोरेंट, खाने-पीने से संबंधित ऑनलाइन डिलिवरी करने वालों के साथ-साथ 24 घंटे दवाइयों की डिलिवरी करने वाली फार्मेसी दुकानें भी शामिल हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस फैसले से 'नाइट लाइफ कल्चर' को बढ़ावा मिलेगा.

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने इस फैसले का स्वागत किया है और इससे कारोबार में 30% की ग्रोथ होने की उम्मीद जताई है. CAIT ने ये भी कहा कि अब मेट्रो सर्विस को भी 24 घंटे चालू कर देना चाहिए.

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नोटिफिकेशन जारी होने के बाद दुकानें 24 घंटे खुल सकेंगी. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

मुंबई और बेंगलुरु में कई सालों से नाइट लाइफ का कल्चर है. यहां 24 घंटे, सातों दिन दुकानें और बाकी दूसरे प्रतिष्ठान खुले रहते हैं. मुंबई में तो 24 घंटे मॉल, मल्टीप्लेक्स और दुकानें भी खुली रहतीं हैं. कर्नाटक ने नवंबर 2019 और फिर जनवरी 2021 में नोटिफिकेशन जारी कर उन सभी प्रतिष्ठानों को रातभर खोलने की अनुमति दे दी, जहां 10 से ज्यादा लोग काम करते हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सरकार ने हाल ही में कानून में संशोधन किया है, जिसके बाद महिलाओं को भी रातभर काम करने की इजाजत मिल गई है. 

अब सवाल उठता है कि मुंबई और बेंगलुरू की तरह ही दिल्ली भी मेट्रो सिटी है, लेकिन यहां नाइट लाइफ का कल्चर क्यों नहीं आ पाया? तो इसकी वजह है दिल्ली शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1954. इस कानून के तहत दिल्ली में सभी दुकानें 11 बजे तक बंद करना जरूरी है. 

मुंबई-बेंगलुरू में बरसों से नाइट लाइफ का कल्चर है. (फाइल फोटो-इंडिया टुडे)

पर फायदा क्या होगा?

मुंबई, बेंगलुरु, गोवा और कोलकाता जैसे शहरों में तो नाइट लाइफ का कल्चर सालों से है. मुंबई में मरीन ड्राइव, चौपाटी बीच और नरीमन पॉइंट जैसी जगहों पर रातभर चहल-पहल रहती है. गोवा तो लोग जाते ही इसलिए हैं ताकि नाइट लाइफ एंजॉय कर सकें. 

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कोलकाता में भी दिन की तुलना में रात के समय पब, बार और डांस क्लब में रौनक रहती है. बेंगलुरु में तो नाइट लाइफ का कल्चर इतने लंबे समय से है कि इसे 'पब कैपिटल ऑफ इंडिया' भी कहते हैं.

अब दिल्ली को भी ऐसा ही बनाने की तैयारी है. दिल्ली का 2041 तक का मास्टर प्लान है. हालांकि, इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. मास्टर प्लान के तहत, दिल्ली में होटल-रेस्टोरेंट, दुकानें और मल्टीप्लेक्स जैसे प्रतिष्ठान सारी रात खोलने की इजाजत होगी. 

अब जब एलजी वीके सक्सेना 300 से ज्यादा प्रतिष्ठानों को 24 घंटे खोलने का आदेश दे दिया है, तो इससे फायदा दिल्लीवालों को ही होगा. खाने की ऑनलाइन डिलिवरी होने से रात के समय में भी खाना ऑर्डर कर सकेंगे. रात में दवाओं के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. रात में अगर कोई सामान खरीदना होगा, तो वो भी आसानी से मिल जाएगा. इतना ही नहीं, नाइट लाइफ से अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. 

न्यूयॉर्क 24 घंटे चलता है. (फाइल फोटो)

अर्थव्यवस्था को कैसे फायदा?

एम्सटर्डम के पूर्व मेयर मिरिक मिलान ने एक बार कहा था, 'शहर की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में लेट नाइट कल्चर एक मोटर की तरह है.' दुनिया के जिन शहरों में नाइट लाइफ का कल्चर है, वहां हुई स्टडी बताती हैं कि इससे न सिर्फ अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है, बल्कि रोजगार भी पैदा होता है.

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लंदन, न्यूयॉर्क, सिडनी, सैन फ्रांसिस्को, एम्सटर्डम, बर्लिन और पेरिस, ये कुछ ऐसे शहर हैं जहां दशकों से नाइट लाइफ का कल्चर है. 

लंदन के मेयर ऑफिस की एक रिपोर्ट बताती है कि 2017 में शहर के 16 लाख कामगारों में से एक तिहाई से ज्यादा ऐसे थे, जिन्होंने रात में काम किया था. वहीं, यूके की नाइट टाइम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की एक स्टडी बताती है कि कोरोना से पहले नाइट लाइफ में 112 अरब पाउंड का आर्थिक उत्पादन हुआ था, जो देश की कुल जीडीपी का 5% से ज्यादा था.

इसी तरह, न्यूयॉर्क की 2016 पर एक स्टडी बताती है कि रात के समय 35 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक उत्पादन हुआ था. सरकार ने भी टैक्स से 700 मिलियन डॉलर कमाए थे. इतना ही नहीं, इससे 3 लाख लोगों को रोजगार मिला था. 

वहीं, सिडनी प्रशासन की रिपोर्ट बताती है कि नाइट लाइफ से हर साल 3.64 अरब डॉलर से ज्यादा का रेवेन्यू जनरेट होता है. जबकि, इससे 32 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है.

लंदन में दशकों से नाइट लाइफ कल्चर है. (फाइल फोटो)

भारत को कैसे हो सकता है फायदा?

भारत में अभी भी नाइट लाइफ का कल्चर बहुत ज्यादा नहीं आया है. ये कल्चर सिर्फ कुछ बड़े शहरों तक ही सीमित है.

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एक अनुमान के मुताबिक, देश की 3 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी में 10 बड़े शहरों की हिस्सेदारी लगभग 500 अरब डॉलर है. अगर मान लिया जाए कि नाइट लाइफ से कम से कम 6% की ग्रोथ होती है, तो इससे जीडीपी में 30 अरब डॉलर की बढ़ोतरी और होगी.

वहीं, 2021-22 में दिल्ली की जीडीपी 9.23 लाख करोड़ रुपये थी. अगर नाइट लाइफ की वजह 6% आउटपुट भी बढ़ता है, तो इससे 50 हजार करोड़ रुपये तक का फायदा होगा.

 

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