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क्या है 'मुस्लिम' ट्रैवल बैन, जिसका वादा कर रहे डोनाल्ड ट्रंप, पहले भी करवा चुके इन देशों की एंट्री बंद?

साल 2017 में सत्ता में आते ही डोनाल्ड ट्रंप ने कई मुस्लिम देशों के नागरिकों की अमेरिका आने पर पाबंदी लगा दी. इस ट्रैवल बैन को मुस्लिम बैन भी कहा जाने लगा. अब ट्रंप ने वादा किया है कि वे दोबारा वाइट हाउस आए तो पाबंदी बहाल हो जाएगी. बता दें कि मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आते ही सबसे पहले इस बैन को हटाया था.

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डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर इस्लामोफोबिया को हवा दे रहे हैं. सांकेतिक फोटो (AP)
डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर इस्लामोफोबिया को हवा दे रहे हैं. सांकेतिक फोटो (AP)

डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी प्रचार के दौरान अमेरिकी जनता की नब्ज पर हाथ रखा था. लगभग एक दशक ये देश मुस्लिम शरणार्थियों के तेजी से बढ़ने की शिकायत कर रहा था. 9/11 हमले के बाद लोगों में डर भी बढ़ा. ये वही समय था जब उदार माने जाते अमेरिका से इस्लामोफोबिया की घटनाएं सुनाई देने लगीं. ट्रंप ने इसी बात को मुद्दा बना लिया. उन्होंने वादा किया कि अगर वे चुनाव जीते तो कई मुस्लिम देशों की एंट्री बैन कर देंगे. इसे नाम मिला ट्रैवल बैन. 

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आतंकवाद पर कंट्रोल के हवाले से लागू हुआ

जनवरी 2017 में ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन किया. इसके तहत 7 इस्लामिक देशों के लोगों के आने पर पाबंदी लग गई. ये बैन 90 दिनों के लिए था. इसके अलावा सीरिया से शरणार्थियों के आने पर पूरी तरह से पाबंदी लग गई, जबकि बाकी किसी भी देश से रिफ्यूजियों के आने पर 120 दिन की रोक लगा दी गई. 

इन 7 देशों के लोगों पर लगी रोक

इसे प्रोटेक्टिंग द नेशन फ्रॉम फॉरेन टैररिस्ट एंट्री कहा गया. विपक्षी दल हालांकि इसे मुस्लिम बैन कहने लगे. इसके तहत ईरान, लीबिया, सोमालिया, यमन, सीरिया, ईराक और सूडान के लोगों के आने पर पाबंदी लग गई. 

muslim travel ban by donald trump in america controversy photo AP

तीन बार लिस्ट जारी हुई 

ये पाबंदी कई चरणों में लागू होती रही. कुछ ही महीनों बाद ट्रंप ने दूसरा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर निकाला. इसमें कुछ बदलाव थे, जैसे इराक को लिस्ट से हटा दिया गया. बात यहीं खत्म नहीं हुई. एक साल बाद तीसरी लिस्ट जारी हुई. इसे ट्रैवल बैन 3.0 भी कहा जाने लगा. इसमें कुछ और देश भी शामिल हुए, जैसे वेनेजुएला, चड और नॉर्थ कोरिया. ये मुस्लिम-बहुत देश तो नहीं थे, लेकिन अमेरिका की इनसे बनती नहीं थी. सूडान इस फाइनल लिस्ट से गायब था. 

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अलग-अलग तरह के बैन 

अगले इलेक्शन से पहले ट्रंप ने एक बार फिर अपनी लिस्ट में जोड़-घटाव किया. इस बार अफ्रीकी देशों पर फोकस करते हुए इरिट्रिया, किर्गिस्तान, म्यांमार, नाइजीरिया, सूडान और तंजानिया भी पाबंदी में शामिल हो गए. ये पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं थे, लेकिन अलग-अलग तरह के वीजा पर बैन था. साथ ही लंबे समय तक रुकने पर भी रोक लगा दी गई.

क्यों हुआ विवाद

विरोधियों ने इस पर काफी हो-हल्ला किया. उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश हैं, जहां आतंक से जूझते देशों के लोग शरण लेते रहे. ऐसे में इस तरह का बैन लाखों शरणार्थियों को मौत के मुंह में झोंकने जैसा साबित हो रहा है. पढ़ाई के लिए जो लोग भी इन मुस्लिम देशों से अमेरिका आना चाहते थे, उन्हें भी प्रवेश नहीं मिल सका. 

muslim travel ban by donald trump in america controversy photo Unsplash

इसके अलावा सोमालिया, सूडान और यमन जैसे मुल्कों को  टेंपररी प्रोटेक्टेड स्टेटस मिला हुआ है. इस दर्जे के तहत अगर नागरिक अस्थाई तौर पर किसी देश में आना चाहें तो उन्हें कुछ दिनों या महीनों के लिए शरण मिल जाती है. लेकिन बैन के चलते ऐसा नहीं हो सका. 

जो बाइडेन ने आते ही जिन एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर साइन किया, उनमें से एक ट्रैवल बैन को खत्म करना था. अब ट्रंप अपने समर्थकों को लुभाने के लिए एक बार फिर इस बैन की बात कर रहे हैं. 

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कितना असरदार था ट्रंप का लगाया बैन

साल 2018 में अमेरिका में आए मुस्लिम शरणार्थियों की संख्या केवल 18 सौ थी, जबकि इससे पहले साल करीब 23 हजार रिफ्यूजी आए थे. प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक ये संख्या 9/11 हमले के बाद सबसे कम थी. वहीं साल 2016 में अमेरिका में जितने भी शरणार्थी आए, उन सबसे मुस्लिम रिफ्यूजी सबसे ज्यादा, कुल 46% थे. 

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