रूस के बारे में माना जाता है कि उस देश में कोई विपक्ष नहीं. जो भी सत्ता में आएगा, वो अगले कई सालों के लिए विरोधियों को दबाकर रखेगा. अगर कोई आवाज उठाने की कोशिश करे, तो वो या तो गायब हो जाता है या फिर संदिग्ध हालातों में मौत हो जाती है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब पुतिन के कार्यकाल में विरोधी गायब हो गए. अब एलेक्सी नवलनी के बारे में यही कहा जा रहा है.
पुतिन के धुर विरोधी नवलनी को कथित तौर पर चरमपंथी समूह बनाने के लिए पीनल कॉलोनी यानी एक खास तरह की जेल में रखा गया था. दूसरे वर्ल्ड वॉर के समय रूस पर आरोप लगा कि वो दुश्मन सेना और आम नागरिकों को एक जेल में डाल रही है. यहां बंदियों से इतनी मेहनत करवाई जाती थी कि वे दम तोड़ दें.
साइबेरिया से सटे इन कैंपों में न तो बर्फबारी से बचाने का इंतजाम था, न ही भरपेट खाना और इलाज मिलता था. इस कैंप को गुलाग कहा गया. युद्ध के बाद गुलाग बंद हो गया, लेकिन उसका नया रूप आ गया. इसे ही पीनल कॉलोनी कहते हैं.
यात्रा के दौरान ही बीमार पड़ जाते हैं कैदी
रूस में 800 से ज्यादा पीनल कॉलोनीज हैं. ये बर्फीली सीमाओं से सटे हुए हैं, जहां तक जाने के लिए कोई खास सुविधा नहीं है. अक्सर राजनैतिक बंदियों को वहां भेजा जाता है. इस तक पहुंचने का सफर भी अपने-आप थकाने वाला होता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, कॉलोनी तक पहुंचने में एक महीने का समय भी लग सकता है.
ये यात्रा ट्रेन, बस, बर्फ हर जगह से होते हुए गुजरती है. इस दौरान ही कई कैदी बीमार पड़ जाते हैं. महिलाओं की स्थिति और खराब है. उनके लिए 40 के करीब ही कॉलोनीज हैं, जो रूस के बर्फीले इलाकों में हैं. वहां सफर के दौरान वे दुनिया से लगभग कट जाती हैं.
इस तरह का मिलता है ट्रीटमेंट
पीनल कॉलोनी के भीतर जाते ही यंत्रणा का नया दौर शुरू हो जाता है. माइनस तापमान पर भी कैदी को नंगे पांव ही चलना है, पहनने के लिए भी कम कपड़े दिए जाते हैं. यहां तक कि सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कैदियों को सिर्फ चलना या खड़े रहना है, उन्हें बैठने की इजाजत नहीं होती है. लिखने-पढ़ने की छूट नहीं है. टीवी जरूर है, लेकिन उस पर स्टेट स्पॉन्सर्ड खबरें ही चलती हैं.
गंभीर जुर्म के लिए अलग कॉलोनी
पीनल कॉलोनी में कैदियों की अलग-अलग श्रेणियां हैं, जो इस पर तय होता है कि उसका क्राइम कितना गंभीर है. सबसे कम सख्ती वाली कॉलोनियों को कॉलोनीज सैटलमेंट कहा जाता है. यहां कैदी कुछ बड़ी बैरक में रहते हैं और घूम-फिर भी सकते हैं. उन्हें रिश्तेदारों से मिलने की भी छूट रहती है. वहीं, स्पेशल रेजीम और स्ट्रिक्ट रेजीम के कैदी सख्त पाबंदी में रहते हैं.
माना जा रहा है कि नवलनी को सबसे सख्त कॉलोनी में भेजा जा चुका होगा. एक बार वहां पहुंचने के लिए बाद जेल प्रशासन और सत्ता के अलावा किसी को भी कैदी की खबर नहीं मिल पाती. नवलनी के जुर्म को सबसे बड़ा माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने सीधे पुतिन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. यहां तक कि वे लोकप्रिय भी हो चुके थे.
यही बात सत्ता के खिलाफ जाती थी. सजा सुनाने से काफी पहले से ही नवलनी जेल में डाले जा चुके थे. उन्हें मॉस्को से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर एक कॉलोनी में रखा गया था, जहां से शायद अब वे दूर-दराज की किसी कॉलोनी में जा चुके होंगे. फिलहाल नवलनी के सपोर्टर सिर्फ इसका अंदाजा ही लगा रहे हैं.
खुद नवलनी ने पिछले साल एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें रोज 7 घंटे सिलाई मशीन चलानी होती है, साथ ही घंटों रूसी टेलीविजन देखना होता है. यहां बता दें कि चूंकि रूस में हर कैदी के लिए काम करना जरूरी है, तो पीनल कॉलोनी के बंदियों को पुलिस की वर्दी सीने का काम मिलता है. कॉलोनी एक तरह की फैक्ट्री होती है, जिसमें कुछ घंटे लिविंग जोन में सोने के लिए भेज दिया जाता है. बाकी समय सिलाई का काम चलता रहता है.