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इस्लाम नहीं, ये है असली वजह... जानें- सऊदी अरब में 72 साल से बैन क्यों थी शराब

सऊदी अरब में 72 साल बाद फिर शराब का स्टोर खुलने जा रहा है. ये स्टोर राजधानी रियाद में खुलेगा. हालांकि, यहां से सिर्फ गैर-मुस्लिम डिप्लोमैट्स ही शराब खरीद सकेंगे. इसके लिए विदेश मंत्रालय से क्लियरेंस भी लेना होगा. लेकिन ऐसे में जानते हैं कि आखिर 72 साल पहले ऐसा क्या हुआ था, जिस कारण शराब पर बैन लग गया था.

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सऊदी में 72 साल से शराब पर पूरी तरह से रोक लगी थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
सऊदी में 72 साल से शराब पर पूरी तरह से रोक लगी थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

इस्लामिक देश सऊदी अरब में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है. यहां शराब की कोई दुकान खुलने जा रही है. बताया जा रहा है कि राजधानी रियाद में शराब की पहली दुकान खुलने जा रही है. 

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72 साल में ये पहली बार होगा, जब सऊदी अरब में शराब बिकेगी. लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी हैं. शराब सिर्फ गैर-मुस्लिम राजनयिकों को ही बेची जाएगी.

न्यूज एजेंसी ने बताया कि शराब का मंथली कोटा भी होगा. शराब खरीदने से पहले मोबाइल ऐप के जरिए रजिस्टर करना होगा. विदेश मंत्रालय से क्लियरेंस मिलने के बाद ही शराब खरीदी जा सकेगी. इतना ही नहीं, शराब पीने वाले किसी और से शराब नहीं मंगवा सकेंगे. यानी, डिप्लोमेट को खुद जाकर ही दुकान से शराब खरीदनी होगी. 

ये डिप्लोमैट्स अब तक बाहर से पाउच आयात करते थे, जिसे डिप्लोमैटिक पाउच कहा जाता है. इसी पाउच में शराब होती थी. 

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इसे सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का बड़ा फैसला माना जा रहा है. माना जा रहा है कि फैसला इसलिए लिया गया ताकि कट्टर इस्लामिक देश को पर्यटन और कारोबार के लिए खोला जा सके, क्योंकि इस्लाम में शराब पीना मना है.

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हालांकि, अभी ये साफ नहीं है कि आम विदेशी नागरिक भी शराब खरीद सकेंगे या नहीं? लेकिन इतना साफ है कि शराब सिर्फ गैर-मुस्लिम डिप्लोमैट्स को ही बेची जाएगी. इसका मतलब हुआ कि सऊदी की तीन करोड़ से ज्यादा की आबादी पर इस फैसले का कोई असर नहीं होगा. 

वैसे तो इस्लाम में शराब पीने को गलत माना गया है, लेकिन सऊदी अरब में शराब पर प्रतिबंध लगने के पीछे 72 साल पुरानी एक घटना भी है.

क्या है वो घटना?

साल 1951 में जेद्दा में एक पार्टी हुई थी. इस पार्टी में कई देशों के डिप्लोमैट्स भी शामिल हुए थे. रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी में शाही परिवार के एक सदस्य ने शराब के नशे में धुत एक ब्रिटिश डिप्लोमैट की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

किंग अब्दुल अजीज के बेटे प्रिंस मिशारी बिन अब्दुलअजीज अल-सऊद नशे में इतना धुत हो गए थे कि उन्होंने ब्रिटिश डिप्लोमैट सिरिल उस्मान की गोली मारकर हत्या कर दी थी. 

उस वक्त प्रिंस की उम्र 19 साल थी और उन्होंने पार्टी में और शराब मांगी, लेकिन जब उन्हें इनकार कर दिया तो गुस्से में उन्होंने ब्रिटिश डिप्लोमैट को गोली मार दी. इसके लिए प्रिंस को हत्या का दोषी ठहराया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 

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1952 में सऊदी अरब में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया. उसके बाद से ही सऊदी अरब में शराब पीने और रखने पर रोक है. ऐसा करने पर जुर्माना, कैद, सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने और अनाधिकृत विदेशियों को वापस भेजने का कानून है.

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इस्लाम में 'हराम' मानी जाती है शराब

इस्लाम में खानपान से जुड़े मामलों में दो शब्दों- हलाल और हराम का इस्तेमाल होता है. हलाल से मतलब है जो इस्लामी परंपराओं और मान्यताओं के हिसाब से तैयार किया गया है. वहीं, हराम से मतलब उन चीजों से है जिनपर इस्लाम में प्रतिबंध है, जैसे- पोर्क (सुअर का मांस) और शराब.

इसके लिए मुस्लिम विद्वान 'कुरान' की एक आयत का हवाला देते हैं, जिसमें नशीले पदार्थों को 'शैतान का काम' बताया गया है. इसलिए इस्लाम में शराब या नशीले पदार्थों के सेवन की मनाही है.

न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ मुसलमान शराब पीने ही नहीं, बल्कि शराब या अल्कोहल से जुड़ी दुकानों पर काम करने को भी पाप मानते हैं. मसलन, शराब परोसने वाले रेस्टोरेंट में काम करने को हराम मानते हैं, अल्कोहल मिले परफ्यूम का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं और ऐसे कार्यक्रमों में नहीं जाते हैं जहां शराब परोसी जाती है.

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कई इस्लामिक देशों में बैन है शराब

सऊदी अरब अकेला देश नहीं है, जहां शराब पर रोक है. कई इस्लामिक देशों में शराब की खरीद और बिक्री पर पूरी तरह से बैन है. कुवैत में 1965 से शराब की खरीद और बिक्री पर रोक लगी है.

ज्यादातर देशों में धार्मिक कारणों की वजह से मुस्लिमों के शराब पीने पर रोक है. लेकिन ये कानून गैर-मुस्लिमों पर लागू नहीं होता. उदाहरण के लिए पाकिस्तान, ओमान और कतर में गैर-मुस्लिम शराब पी सकते हैं और स्टोर से खरीद भी सकते हैं.

सोमालिया और ब्रूनेई में सभी लोगों पर सार्वजनिक रूप से शराब पीने पर रोक है. हालांकि, गैर-मुस्लिम और विदेशी पर्यटक प्राइवेट प्लेस में शराब पी सकते हैं. 

पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी मुस्लिमों के शराब पीने और खरीदने पर रोक है. हालांकि, दोनों ही जगह गैर-मुस्लिम शराब पी सकते हैं. बांग्लादेश में मुस्लिम मेडिकल कंडीशन पर ही शराब खरीद सकते हैं.

संयुक्त अरब अमीरात में भी वैसे तो शराब को लेकर सख्त कानून है, लेकिन कुछ सालों से यहां ढील दी जा रही है. दुबई में कई नाइटक्लब, बार और लाउंज हैं, जहां शराब परोसी जाती है. यूएई और कतर में 21 साल से ज्यादा की उम्र के गैर-मुस्लिम शराब पी और खरीद सकते हैं.

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