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लक्षद्वीप पर क्या करने जा रहा है इजरायल, कैसे खत्म हो जाएगी इससे मालदीव की बादशाहत?

मालदीव और भारत के लक्षद्वीप विवाद में अब इजरायल ने भी एंट्री ले ली. उसने लक्षद्वीप की तारीफ करते हुए कहा कि वो जल्द ही वहां डीसेलिनेशन प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है. ये एक ऐसी तकनीक है, जिसका सीधा संबंध टूरिज्म से है. समुद्र किनारे स्थित ज्यादातर टूरिस्ट प्लेस पर डीसेलिनेशन होता आया है. लक्षद्वीप में ये पहली बार होगा.

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इजरायल लक्षद्वीप में तकनीकी मदद दे सकता है. (Photo- Unsplash)
इजरायल लक्षद्वीप में तकनीकी मदद दे सकता है. (Photo- Unsplash)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप यात्रा के दौरान कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लोगों से वहां जाने की अपील की. इसके तुरंत बाद टूरिस्ट देश मालदीव के कुछ मंत्रियों ने रेसिस्ट टिप्पणियां कर दीं. तब से ही ट्वि्टर पर युद्ध छिड़ा हुआ है. हालात इतने बिगड़े कि मालदीव सरकार को उन मंत्रियों को सस्पेंड करना पड़ा. असल में मालदीव में सबसे ज्यादा सैलानी भारत से ही जाते हैं.

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क्यों मालदीव के लिए जरूरी है भारत 

भारतीयों का गुस्सा बना रहा तो इस देश की इकनॉमी गड़बड़ा जाएगी. बता दें कि सालाना दो लाख से ज्यादा भारतीय इस द्वीप देश को विजिट करते हैं. साल 2020 में मालदीव में 63 हजार भारतीय सैलानी गए थे, तो 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर दो लाख 93 हजार हो गया. साल 2022 में 2 लाख 41 हजार, और 2023 में तक 1 लाख 93 हजार सैलानी वहां जा चुके हैं. हालांकि मालदीव के मंत्रियों की रेसिस्ट कमेंट के बाद से लोग लिख रहे हैं कि वे इस देश में नहीं जाना चाहेंगे. 

क्या करने जा रहा है इजरायल

इस बीच इजरायल भी जंग में कूदते हुए एक बड़ा एलान कर चुका. भारत में इजरायली दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है. इसमें कहा गया कि लक्षद्वीप को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित करने के प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए वो तैयार है. इसके लिए वो सालभर पहले भी लक्षद्वीप विजिट कर चुका है.

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यानी लक्षद्वीप की तस्वीरें भले ही अभी आई हों, लेकिन इसे दुनिया के बेहतरीन द्वीप के तौर पर स्थापित करने की सेंटर की कोशिशें पहले से चल रही होंगी. 

water desalination plants by israel in lakshadweep islands amid maldives controversy photo Unsplash

पानी के प्लांट लगेंगे

भारत का दोस्त माना जाता इजरायल तकनीकी मामलों में काफी आगे है. वो लक्षद्वीप में डीसेलिनेशन प्रोसेस से खारे पानी की अशुद्धियां दूर कर उसे साफ पानी में बदलेगा. इससे वहां साफ और मीठे पानी की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, जो किसी भी टूरिस्ट स्पॉट के लिए बहुत जरूरी है. पीएम मोदी ने साल 2017 में इजरायल दौरे के दौरान वहां बेहद मॉर्डन तकनीक देखी थी. इसके बाद लक्षद्वीप और अंडमान के लिए भी इस प्रोसेस पर बात की गई. 

आखिर इजरायल ही क्यों

ये एक ऐसा देश है, जिसका बड़ा हिस्सा रेगिस्तानी रहा. सूखे की मार झेलते इजरायल ने कुछ सालों पहले एक अनोखी तकनीक निकाली. वो समुद्र के खारे पानी को डीसेलिनेशन के जरिए मीठा बनाने लगा. यहां पांच बड़े प्लांट हैं, जो इजरायल के कोने-कोने तक पहुंच रहे 50 प्रतिशत से ज्यादा पानी को इसी के जरिए साफ करते हैं. अब स्थिति इतनी सुधर चुकी कि इजरायल अपनी जरूरत से 20 फीसदी ज्यादा पानी बना रहा है, जिसकी सप्लाई सूखे से जूझते पड़ोसी देशों, जैसे जॉर्डन को भी हो रही है.

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water desalination plants by israel in lakshadweep islands amid maldives controversy photo Facebook

क्यों पड़ती है मीठे पानी की जरूरत 

टूरिस्ट स्पॉट बनाने के लिए खारे पानी को मीठा करना बहुत जरूरी है, खासकर अगर हम आइलैंड की बात करें. इस पानी का इस्तेमाल होटल, रिजॉर्ट से लेकर टूरिस्टों की निजी जरूरत के लिए भी होता है. बहुत से द्वीप देशों ने अपना डीसेलिनेशन प्लांट लगा रखा है. 

मालदीव में पानी कैसे मिलता है 

चूंकि मालदीव पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है इसलिए नब्बे के दशक में ही वहां डीसेलिनेशन प्लांट बनने लगे. हालांकि अब भी इस तकनीक की मदद से टूरिस्टों की ही जरूरत पूरी होती है. बहुत सा काम बारिश के पानी को जमाकर किया जाता है. इस द्वीप देश में पीने का पानी काफी महंगा भी है. अक्सर रिजॉर्ट की बुकिंग कराते हुए पानी की कीमत भी वसूल ली जाती है, वहीं बहुत से होटल सीमित पानी ही देते हैं. एक्स्ट्रा पानी के लिए ज्यादा कीमत देनी होती है.

लक्षद्वीप में साफ पानी के लिए लोग अभी भी ग्राउंड वॉटर पर निर्भर हैं जो सीमित ही होता है. अगर इसे टूरिस्ट आइलैंड की तरह बनाना है तो साफ पानी बड़ी जरूरत है. यही वजह है कि इजरायल इसपर काम करने जा रहा है.

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