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जब सोने की खदानों को रूस ने कौड़ियों के मोल US को बेचा, लेकिन अब बदल गया है Putin का मन!

अमेरिका और रूस की दुश्मनी को लेकर अक्सर कयास लगते रहते हैं कि शायद तीसरा विश्व युद्ध इन्हीं के चलते हो. दोनों में ऐसी जंग है कि वे अलग-अलग देशों को अपने पाले में लेकर टीम बड़ी करने की कोशिश करते रहते हैं. वहीं एक समय वो आया, जब रूस ने अमेरिका को अपना राज्य बेच दिया. वो भी ऐसा-वैसा नहीं, बल्कि गोल्ड माइन्स से भरा हुआ.

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रूस ने 19वीं सदी में अपनी जमीन का एक हिस्सा अमेरिका को दे दिया. (Photo- Getty Images)
रूस ने 19वीं सदी में अपनी जमीन का एक हिस्सा अमेरिका को दे दिया. (Photo- Getty Images)

दुनिया के कई देशों में सीधी लड़ाई चल रही है. अब पिक्चर में रूस और अमेरिका भी आ सकते हैं. हुआ ये कि पुतिन ने यूएस से 'अपना अलास्का' वापस मांग लिया. पहाड़ों, घने जंगलों और बर्फीले इलाकों वाले अलास्का में ऐसा क्या है जो सौ से ज्यादा साल बीतने पर पुतिन कथित तौर पर उसे दोबारा क्लेम कर रहे हैं. साथ ही एक बात ये भी आती है कि आखिर उसे ये राज्य बेचना क्यों पड़ा, और अमेरिका जैसा देश क्यों बना खरीदार. 

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रूस ने ऐसे किया अलास्का पर कब्जा

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के ऑफिस ऑफ द हिस्टोरिन में भी इस खरीदी-बिक्री की बात है. इसके मुताबिक, कुछ साढ़े तीन सौ साल पहले रूस में पीटर द ग्रेट का शासन था. उन्होंने देश का विस्तार का जिम्मा लिया और अपने एक आदमी वाइटस बेरिंग को इसके लिए नियुक्त कर दिया. बेरिंग नौसेना के साथ घूमते हुए अमेरिका के उत्तरी हिस्से की ओर पहुंचे. ये अलास्का था. तब सोने और पेट्रोलियम का तो पता नहीं चला, लेकिन जंगली इलाके में बेरिंग और साथियों ने खूब शिकार किया और जानवरों की खाल लेकर देश लौटे. ठंडे देश में इससे खूब कमाई हुई. 

अलास्का में तब एस्किमो नाम की जनजाति रहती थी. ये घुमंतु थे. रूस के लोगों से लड़ाई में वे मारे गए. बाकी आबादी भी बाहरी लोगों के संपर्क से आई बीमारियों में लगभग खत्म हो गई. रूस अलास्का पर खुलकर शासन करने लगा. बाकी देश भी अब यही जानते थे कि अलास्का रूस का टुकड़ा है. अब भी कच्चे माल की खदानों का पता नहीं लग सका था. 

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why did russian king sell alaska to america amid russia america tension photo Unsplash

युद्ध में कमजोर पड़ता गया रूस

इसी बीच 19वीं सदी में क्रीमिया की लड़ाई छिड़ी. रूस और फ्रांस के बीच छिड़ी लड़ाई में ब्रिटेन और ऑटोमन  साम्राज्य ने भी रूस का विरोध किया. चारों ओर से हुए वार में रूस पस्त पड़ गया. इस बीच अलास्का पर उसे एक्स्ट्रा खर्च करना भारी लगने लगा. ये मेनलैंड से काफी दूर था.

अमेरिका ने क्यों दिखाई खरीदी में दिलचस्पी

तत्कालीन रूसी सम्राट अलेक्जेंडर ने तय किया कि वो इस खर्चीले हिस्से को किसी देश को बेच देगा और उन पैसों से अपनी इकनॉमी सुधारेगा. अब अमेरिका पिक्चर में आया. वो इस समय अपनी फॉरेन पॉलिसी बना रहा था, और खुद को यूरोप, ब्रिटेन से आगे रखना चाहता था. इसी विदेश नीति के तहत उसने तय किया कि अलास्का को वो खरीद लेगा. 

बहुुत सस्ते में हुआ सौदा

मार्च 1867 में ये डील फाइनल हो गई. इस खरीद-फरोख्त को नाम मिला- ट्रीटी ऑफ सेशन. रूस को इसके बदले में 7.2 मिलियन डॉलर की वैल्यू जितना गोल्ड मिला, जो उस समय उसके लिए सबसे जरूरी था. जमीन का आकार यूरोप का एक तिहाई है. इस लिहाज से देखें तो यहां का एक एकड़ 50 पैसे की कीमत पर खरीदा गया. 

why did russian king sell alaska to america amid russia america tension photo Unsplash

गोल्ड रश का दौर आया 

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अमेरिका के हाथ सोने और पेट्रोलियम की खदानें लग गईं. हालांकि इसका पता सालों बाद लगा, जब एक घुमंतू अमेरिकी को नदी किनारे सोने के कण मिले. इसके बाद अमेरिका से सरकार और आम लोग दोनों ही आने लगे. सबको सोने की तलाश थी. गोल्ड रश के इसी दौर में पता लगा कि पूरा का पूरा अलास्का ही अलग-अलग धातुओं का भंडार है. इसके बाद अमेरिकी सरकार इसपर ध्यान देने लगी. 

क्या रूस इसे वापस मांग रहा है

साल 1959 में अलास्का को अमेरिका ने राज्य का दर्जा दे दिया. इतने से ही सालों में उसने इस राज्य से इतनी भारी कमाई कर डाली कि रूस की आंखों में खटकने लगा. रूस खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगा कि उसने कौड़ी के दामों सोने के भंडार को बेच दिया, वो भी अपने दुश्मन को. लेकिन चूंकि जमीन आधिकारिक तौर पर बेची जा चुकी है, सारी लिखा-पढ़ी है, तो रूस के पास इसे वापस पाने का कोई लीगल तरीका नहीं. 

कुल मिलाकर पुतिन ने अलास्का को अमेरिका से वापस नहीं मांगा है. तो ऐसी अफवाह क्यों? हुआ ये कि बीते हफ्ते पुतिन ने कुछ कागजों पर दस्तखत किए, जो रूस से बाहर मौजूद रूसी प्रॉपर्टी के बारे में हैं.

why did russian king sell alaska to america amid russia america tension photo AP

रूसी न्यूज एजेंसी तास के मुताबिक, रूस सरकार उन संपत्तियों को खोजने और कानूनी हक पाने के लिए फंड देगी. इसमें रूस के अलावा सोवियत संघ (USSR) के समय की प्रॉपर्टी भी शामिल है. इसी पर हवा बन गई कि पुतिन अलास्का को वापस चाह रहे हैं. वैसे इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर नाम के थिंक टैंक का कहना है कि असल में पुतिन के मन में यही बात है. वो कोई न कोई रास्ता निकालेंगे कि इस अमेरिकी स्टेट को वापस रूस का हिस्सा बनाया जा सके. 

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क्या जरूरत पड़ने पर देश अपनी जमीन बेच सकते हैं?

इसकी कोई मनाही नहीं है. अगर कोई देश कर्ज में भारी डूबा हुआ है तो वो ऐसा कर सकता है, अगर अच्छा खरीदार मिले. हालांकि इसमें काफी सारे तकनीकी पेच हैं. जमीन के एक हिस्से को बेचना, यानी उस जगह की आबादी को भी दूसरे देश के हाथ सौंप देना. ये ह्यूमन राइट्स का हनन है. स्थानीय लोग इससे भारी भड़क जाएंगे और तख्तापलट जैसे हालात भी बन सकते हैं. 

फॉरेन पॉलिसी भी बनती है रोड़ा

कई बार बेचने वाला और खरीदार राजी हों तो पड़ोसी देश अड़ंगा लगा सकते हैं क्योंकि इससे उनकी फॉरेन पॉलिसी पर असर पड़ेगा. भौगोलिक दृष्टि से भी अब हर देश का अलग महत्व है. अपने ही हिस्से को दूसरे देश को बेचना यानी पूरे देश को असुरक्षित कर देना. ऐसी कई बातें हैं, जिनके चलते देश जमीनें बेच नहीं सकते. इसकी बजाए लीज पर देते हैं. या इंटरनेशनल संस्थाओं से कर्ज लेते हैं.

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