बेंगलुरु इन दिनों भारी जल संकट का सामना कर रहा है. शहर के कई इलाकों में बोरवेल सूख गए हैं. लोग अपने रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर हो गए हैं. आजतक ने आरआर नगर के निवासियों से बात की, जिन्होंने कहा कि उन्हें पानी पाने के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है. बेंगलुरु के आरआर नगर में एकमात्र आरओ प्लांट चालू है, जिसके बाहर पोस्टर चस्पा कर दिया गाय है. 20 लीटर पानी के लिए 5 रुपए लिए जा रहे हैं. आरओ प्लांट सुबह 7 बजे खुलता है और पानी की आपूर्ति सुबह 9 बजे तक चलती है, उसके बाद पानी की आपूर्ति बंद हो जाती है. यहां तक कि अगर एक मिनट भी देर से पहुंचते हैं, तो शाम तक बिना पानी पीए रहना होगा. क्योंकि आरओ प्लांट शाम 5 बजे दोबारा खुलता है.
स्थानीय निवासी चिक्कलप्पा ने कहा कि RR नगर में पानी की समस्या काफी बढ़ गई है. हमसे बात करने वाला कोई नहीं है, अगर हम एक से ज्यादा बर्तन लेकर आरओ प्लांट पर जाते हैं तो अधिकारी हमें वापस भेज देते हैं. उन्होंने कहा कि हम जब बच्चों के साथ पानी भरने जाते हैं तो अधिकारी पूछते हैं कि बच्चा कौन है. अगर हम कहते हैं कि यह हमारा बच्चा है, तो वे उन्हें वापस भेज देते हैं. चिक्कलप्पा ने कहा कि उनके परिवार में 6 सदस्य हैं. लेकिन पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं है. हमें इसके लिए कहीं और से प्रबंध करना होगा. उन्होंने कहा कि मैं 71 साल की हूं, मुझे पानी के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता है. बच्चों के स्कूल जाने से पहले मुझे पानी लाना पड़ता है.
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आरआर नगर के पट्टनगेरे के एक अन्य निवासी ने कहा कि हमारे पास नहाने के लिए ,अपनी गायों को पीने के लिए देने के लिए पानी नहीं है. हम 5 लोगों के लिए एक बर्तन पानी है, जो कि पर्याप्त नहीं है. एक व्यक्ति ने कहा कि खाना पकाने के लिए हम निगम के पानी का उपयोग करते हैं, हम पानी को फ़िल्टर करते हैं और पीते हैं, उबालते हैं और प्रबंधन करते हैं.
आरआर नगर की निवासी दिव्या ने कहा कि 3 महीने से अधिक समय से पानी की कमी है. हर दिन, हम बीडब्ल्यूएसएसबी (बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड) इंजीनियर को बुलाते हैं. उन्होंने कहा कि मैं हर दिन पीने के पानी के लिए आरओ प्लांट पर आती हूं. प्रति व्यक्ति केवल एक कैन की अनुमति है। हमें घंटों खड़ा रहना पड़ता है.
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दिव्या ने इस बात पर भी जोर डाला कि निजी टैंकर जो प्रति कैन लगभग 600-1,000 रुपये चार्ज कर रहे थे, अब 2,000 रुपये से अधिक चार्ज कर रहे हैं. दिव्या ने कहा कि जब सरकार ने निजी टैंकरों से दाम कम करने को कहा, तो उन्होंने उनके इलाके में आना बंद कर दिया. दिव्या ने कहा कि मैं हर दिन सरकार को ईमेल भेज रही हूं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.