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'चीन हमारी जमीन खा गया, उस पर बात नहीं करते ये लोग', कच्चातिवु पर सरकार पर भड़के फारूक अब्दुल्ला

कच्चातिवु मुद्दे को लेकर अब नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारुक अब्दुल्ला ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि चीन के पास कितनी जमीन है , उसके बारे में क्यों बात नहीं करते .. चीन हमारी जमीन खा गया , उस पर कोई बात नहीं करता है.

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नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला

लोकसभा चुनाव से पहले कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है. इसकी शुरुआत पीएम मोदी की एक्स पर  की गई एक पोस्ट से हुई जिसमें उन्होंने तमिलनाडु बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई की आरटीआई की हवाला देते हुए कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को देने के लिए कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा. इसके बाद गृह मंत्री से लेकर तमाम मंत्रियों ने पोस्ट कर इस मुद्दे का जिक्र कर कांग्रेस को घेरा.सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे का जिक्र किया.

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हालांकि तमापीएम मोदी के पोस्ट के बाद कांग्रेस ने भी पलटवार किया. पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और पी चिदंबरम ने सरकार को घेरा और कहा कि उन्हें इतिहास की जानकारी होनी चाहिए. अब कच्चातिवु मुद्दे पर जम्मू कश्मीर के पीर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी सरकार पर हमला किया है. उन्होंने कहा कि चीन के पास कितनी जमीन है , उसके बारे में क्यों बात नहीं करते .. चीन हमारी जमीन खा गया , उसपर कोई बात नहीं करते ये लोग .. श्रीलंका को छोड़िए .. लद्दाख की जमीन की बात करिए.

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फारूक अब्दुल्ला बोले- लद्दाख पर बात क्यों नहीं करती सरकार

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'चीन के पास कितनी जमीन है, उसके बारे में क्यों नहीं बात करते ? वो हमारी जमीन खा गया है, हजारों किलोमीटर खा गया, उसके बारे में क्यों बात नहीं करते? हमने कोशिश की इसको संसद में उठाने की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. उसका जवाब दें. आज 18-19 मुलाकातें हुई हैं हिंदुस्तान और चीन के बीच, लेकिन क्या नतीजा निकला? चीन आगे चढ़ता जा रहा है बल्कि आज तो उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के उन हिस्सों के नाम भी लिए हैं जिन्हें वह अपना बताता रहा है. उसके बारे में वह शोर क्यों नहीं करते हैं. श्रीलंका को छोड़िए, हमारी जमीन की बात करिए. लद्दाख की जमीन की बात करिए.'

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क्या है कच्चातिवु का मुद्दा

दरअसल एक RTI के जवाब में बताया गया कि साल 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ एक समझौता किया था. इसी के तहत द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया. अब इसे लेकर राजनीति में घमासान मचा हुआ है. पार्टियां सवाल-जवाब कर रही हैं. लेकिन सवाल ये है कि देश तो अक्सर इंचभर जमीन को लेकर अड़ जाते हैं, ऐसे में भारत ने अपना पूरा का पूरा द्वीप क्यों पड़ोसी देश के नाम कर दिया.

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