तमिलनाडु (Tamilnadu) के धर्मपुरी (Dharmpuri) में जलीकट्टू (Jallikattu) देखने गए नाबालिग लड़के को बैल ने चोटिल कर दिया. इलाज के लिए अस्पताल ले जाए गए बच्चे की मौत हो गई. 14 साल के गोकुल की मौत के बाद से उसके घर में मातम छाया हुआ है. गोकुल अपने रिश्तेदारों के साथ जलीकट्टू देखने के लिए गया हुआ था. पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
दरअसल, धर्मपुरी के थगंगम गांव में 14 साल का गोकुल अपने रिश्तेदारों के साथ जलीकट्टू देखने गया हुआ है. बिल के दौरान एक बैल ने गोकुल के पेट में सींग मार दिया था. बैल के हमले में गंभीर घायल हुए गोकुल को तुरंत ही धर्मपुरी जिला अस्पताल ले जाया गया. मगर, जांच के बाद डॉक्टरों ने गोकुल को मृत घोषित कर दिया.
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घर में पसरा मातम
गोकुल की मौत की खबर सुनकर अस्पताल में मौजूद उसके परिवार और रिश्तेदारों में मातम छा गया. सभी फूट-फूटकर रोने लगे. पुलिस को घटना की जानकारी दी गई थी. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पुलिस का कहना है कि घटना के वीडियो की जांच की जा रही है. पता लगाया जा रहा है कि गोकुल की किस तरह से चोट लगी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.
जलीकट्टू के दौरान यह चौथी मौत
जानकारी सामने आई है कि अब तक जलीकट्टू के दौरान तीन मौत हो चुकी थीं. गोकुल को मिलाकर मरने वालों की संख्या चार हो गई है. वहीं, कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने जलीकट्टू के दौरान जान गंवाने वालों के परिवार को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता (मुआवजा) देने की घोषणा की थी. गोकुल से पहले भी 24 और 25 साल के युवकों की बैल को काबू करने के दौरान गंभीर घायल होने के बाद मौत हो गई थी.
क्या होता है जलीकट्टू खेल?
बता दें कि जलीकट्टू जनवरी के मध्य में पोंगल की फसल के समय खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है. विजेता का फैसला इस बात से तय होता है कि बैल के कूबड़ पर कितने समय तक कंट्रोल किया गया है. प्रतियोगी को बैल के कूबड़ को पकड़ने की कोशिश करनी होती है. बैल को अपने कंट्रोल में करने के लिए उसकी पूंछ और सींग को पकड़ना होता है. बैल को एक लंबी रस्सी से बांधा जाता है. जीतने के लिए एक समय-सीमा में बैल को काबू में करना होता है.
कुल मिलाकर बैल को कंट्रोल में करना इस खेल का टारगेट होता है. यह आमतौर पर तमिलनाडु में मट्टू पोंगल के हिस्से के रूप में प्रचलित है, जो चार दिवसीय फसल उत्सव के तीसरे दिन होता है. तमिल शब्द 'मट्टू' का अर्थ है बैल, और पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित है, जो खेती की प्रक्रिया में एक प्रमुख भागीदार हैं.