देश का बजट आने वाला है. हर वर्ग को इस बजट से अपने-अपने हिस्से की उम्मीदें हैं. संसद में पेश होने तक बजट एक बेहद खुफिया यानी सीक्रेट डॉक्यूमेंट होता है. इससे जुड़ी कोई भी जानकारी बाहर नहीं आ सकती. इसे कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है. आइए जानते हैं कि देश के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज को सदन में पेश होने तक किसी तरह सीक्रेट रखा जाता है और यह कितनी चुनौतीपूर्ण होता है.
आईबी, सीआईएसएफ की सुरक्षा में रहता है वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्री के बजट पेश करने से 15 दिन पहले से सीआईएसएफ और आईबी के अधिकारी वित्त मंत्रालय के कॉरिडोर में घूमने लगते हैं. बल्कि सीआईएसएफ को वित्त मंत्री, वित्त सचिव और मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के ऑफिस के ठीक बाहर तैनात किया जाता है ताकि कोई भी इनके कार्यालय में प्रवेश न कर सके.
सीआईएसएफ ही नहीं बल्कि आईबी के अधिकारी भी सादे कपड़ों में मंत्रालय में घूमते रहते हैं और मिनिस्ट्री में प्रवेश करने वालों पर पैनी नजर रखते हैं. बजट के ड्राफ्ट को बेहद गुप्त रखा जाता है. वित्त मंत्री समेत कुछ चुनिंदा अधिकारियों को ही बजट के कंटेंट के बारे में पता होता है. जब से बजट को डिजिटल किया गया है, बजट की छपाई वाली प्रतियों की संख्या में भी भारी कमी आई है.
हर कुछ घंटों में विजिटर्स की एंट्री की जांच की जाती है और कोई भी बिना अपॉइंटमेंट के मंत्रालय में प्रवेश नहीं कर सकता. लेकिन बजट पेश होने से 15 दिन पहले यह भी बंद हो जाता है. बजट पेश होने से दो हफ्ते पहले, ऐसे ऑफिस जहां बजट के बारे में चर्चा की जाती है और उसका कंटेंट लिखा जाता है, उन कमरों को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है. इन कमरों की सुरक्षा पूरी तरह सीआईएसएफ कर्मियों के हाथ में होती है. खुफिया अधिकारी भी मंत्रालय के कॉरिडोर में घूमते नजर आते हैं.
'नो गो जोन' बन जाता है वित्त मंत्रालय
बजट को सीक्रेट रखना बहुत चुनौतीपूर्ण काम है. बजट के कंटेंट के बारे में जॉइंट सेक्रेटरी लेवल से नीचे के अधिकारियों को नहीं पता होता. अंतिम बजट का संकलन संसद में पेश होने से 24 घंटे पहले होता है.
बजट के डिजिटलीकरण के बाद से बजट की कॉपी संसद के पटल पर रखने के अलावा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कैबिनेट को दी जाती हैं. कॉल रिकॉर्ड, विजिटर लॉग, कर्मचारियों और अधिकारियों की आवाजाही की जांच भी बहुत सावधानी से की जाती है. बजट लीक होने के बहुत दूरगामी प्रभाव होते हैं. यही कारण है कि बजट पेश होने से एक हफ्ता पहले वित्त मंत्रालय 'नो गो जोन' बन जाता है.
बजट की छपाई
बजट की प्रिंटिंग भी एक ऐसी चीज है जिसे बेहद गुप्त रखा जाता है और इस छपाई का भी एक इतिहास है. बजट लीक के कारण कई बार वित्त मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है. कई साल पहले बजट लीक हो गया था. स्वतंत्र भारत का पहला बजट (1947-1948) केंद्रीय वित्त मंत्री सर आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था. इसे पेश करने से ठीक पहले ब्रिटेन के राजकोष के चांसलर ह्यूग डाल्टन ने एक पत्रकार को बजट में प्रस्तावित टैक्स में बदलाव के बारे में बताया था.
तत्कालीन वित्त मंत्री और पत्रकार के बीच हुई इस बातचीत के कारण बजट का कंटेंट संसद में पेश होने से पहले ही सार्वजनिक हो गया. इसके बाद भारी हंगामा हुआ, जिसके बाद डाल्टन को इस्तीफा देना पड़ा.
हालांकि, यह इकलौता मौका नहीं था जब बजट लीक हुआ. 1950 में केंद्रीय बजट का एक हिस्सा लीक हो गया था. जांच के बाद यह सामने आया कि बजट पेपर्स छपाई के दौरान लीक हुआ था. यह प्रक्रिया उस समय राष्ट्रपति भवन में की जाती थी. लीक के बाद प्रिंटिंग लोकेशन को मिंटो रोड पर एक सरकारी प्रेस में स्थानांतरित कर दिया गया. दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक बेसमेंट में सचिवालय भवन 1980 से बजट छपाई की स्थायी जगह रही है. बजट लीक के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. लिहाजा तत्कालीन वित्त मंत्री मथाई को पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.