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कंबोडिया में भारतीयों को बनाया जा रहा 'साइबर स्लेवरी' का शिकार, एक्शन में होम मिनिस्ट्री, शिकंजा कसने के लिए उठाया ये कदम

हाल ही में ओडिशा के राउरकेला पुलिस ने 'फेक स्टॉक ट्रेडिंग ऐप' में शामिल कुछ लोगों की गिरफ्तारी की थी. उसके बाद खुलासा हुआ कि साइबर क्राइम में वो लोग शामिल हैं जो हाल फिलहाल में कंबोडिया से भारत लौटे हैं. ऐसे लोगों ने भारत आकर बड़े स्तर पर साइबर फ्रॉड का एक गैंग ऑपरेट करना शुरू कर दिया है. जो भारत से कंबोडिया गए हैं. वहां जाकर उन्हें जबरदस्ती साइबर फ्रॉड के काम में धकेला जा रहा है.

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कंबोडिया में भारतीयों को साइबर फ्रॉड के काम में धकेला जा रहा है.
कंबोडिया में भारतीयों को साइबर फ्रॉड के काम में धकेला जा रहा है.

ओडिशा के राउरकेला में इंटरनेशनल साइब्रर फ्रॉड गैंग पकड़े जाने के बाद बड़े खुलासे हो रहे हैं. एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि भारत से पढ़े-लिखे और कंप्यूटर एक्सपर्ट युवाओं को नौकरी देने के बहाने कंबोडिया बुलाया जा रहा है और वहां उन्हें साइबर स्लेवरी का शिकार बनाया जा रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर विंग I4C ने तमाम पहलुओं की गहराई से जांच की तो बड़े और चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. उसके बाद MHA को जानकारी दी गई और विदेश मंत्रालय के साथ हाईलेवल मीटिंग में साइबर फ्रॉड गैंग से निपटने पर चर्चा हुई है.

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दरअसल, हाल ही में ओडिशा के राउरकेला पुलिस ने 'फेक स्टॉक ट्रेडिंग ऐप' में शामिल कुछ लोगों की गिरफ्तारी की थी. उसके बाद खुलासा हुआ कि साइबर क्राइम में वो लोग शामिल हैं जो हाल फिलहाल में कंबोडिया से भारत लौटे हैं. ऐसे लोगों ने भारत आकर बड़े स्तर पर साइबर फ्रॉड का एक गैंग ऑपरेट करना शुरू कर दिया है. सूत्रों ने बताया है कि 4 से 5 हजार ऐसे लोग हैं, जो भारत से कंबोडिया गए हैं. वहां जाकर उन्हें जबरदस्ती साइबर फ्रॉड के काम में धकेला जा रहा है. सूत्रों ने यह भी जानकारी दी कि इस संबंध में MHA के साइबर विंग ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक हाईलेवल बैठक भी की है, जिसमें यह जानकारी मिली कि इस तरीके के कई फ्रॉड करने वाले क्रिमिनल्स की एक लंबी फेहरिस्त है जिस पर कदम बढ़ाने के लिए चर्चा की गई है. कंबोडिया में रह रहे इन लोगों से वहां के साइबर क्रिमिनल्स जबरदस्ती 'साइबर स्लेवरी' की कोशिश कर रहे हैं जिसको लेकर सभी एजेंसियों ने चिंता जाहिर की है और जल्द इस पर कदम बढ़ाने की बात कही गई है.

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नौकरी का झांसा देकर भर्ती करते हैं फिर करवाते हैं फ्रॉड

सूत्रों ने आजतक को एक्सक्लूसिव जानकारी दी है कि साइबर फ्रॉड करने वाले कंबोडिया में एक बड़ा गैंग चलाते है. इस गैंग में मलेशिया, चीन, वियतनाम, म्यांमार के लोग शामिल हैं. यह तमाम लोग मिलकर भारतीयों को नौकरी दिलाने के नाम पर ऑनलाइन भर्ती करते हैं. फिर जो भारतीय कंबोडिया में नौकरी करने जाता है उसको जबरदस्ती साइबर फ्रॉड के लिए मजबूर कर रहे हैं. हाल ही में राउरकेला की पुलिस ने ऐसे ही दो लोगों को पकड़ा था. पूछताछ में खुलासा हुआ कि कैसे यह लोग भारत के भोले-भाले युवाओं (कंप्यूटर में एक्सपर्ट) को यहां से ले जाते हैं और फिर वहां 'साइबर स्लेवरी' कराते हैं.

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कंबोडिया का गैंग कैसे कर रहा है काम?

जांच एजेंसियों और MHA के साइबर विंग को पता चला है कि धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों के मालिक हमेशा चीनी नागरिक होते हैं. ये दूसरों से संवाद करने के लिए मलेशियाई या कंबोडियाई लोगों को अनुवादक के रूप में नियुक्त करते हैं. इस रैकेट में बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, भारत और कंबोडिया के लोग एजेंट के रूप में काम करते हैं. एजेंट भारत से लोगों को वैध काम के लिए भर्ती करते हैं. उसके बाद जैसे ही एक बार जब वे कंबोडिया पहुंच जाते हैं तो उन्हें घोटालेबाज कंपनियों को बेच दिया जाता है. 

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कंपनियां उनके पासपोर्ट ले लेती हैं और फिर उनसे घोटाले करने के लिए दिन में 12 घंटे काम करवाती हैं. अगर कोई ऐसा काम करने से इनकार करता है तो उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. बिजली का झटका दिया जाता है या एकांत कारावास आदि दिया जाता है. कई भारतीय जो ऐसे घोटालों में शामिल होने के लिए तैयार नहीं होते हैं, वे वहां फंस जाते हैं. जांच एजेंसियों का कहना है कि हम उनकी पहचान करने, उनसे संपर्क करने और उचित माध्यमों से उन्हें भारत वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं. घोटाले वाली कंपनी के स्थान, उनके कार्यकर्ताओं, उनकी कार्यशैली और उनके प्रबंधन के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की जा रही है.

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कंबोडिया बन गया है सायबर फ्रॉड का गढ़

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने हाल ही में वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था. इसमें साइबर फ्रॉड की घटनाओं का जिक्र किया गया. बताया गया कि साइबर फ्रॉड की ज्यादातर घटनाएं कंबोडिया, दुबई, चीन और म्यामांर से हो रही हैं. इसे लेकर एजेंसियां कड़े कदम उठा रही हैं. साइबर फ्रॉड की रोजाना करीब 5000 कम्प्लेन दर्ज हो रही हैं. 2021 और 22 में ऐसी कम्प्लेन का ग्रोथ 113 % था. अब यह घटकर 2022- 23 में 69% हो गया है. साइबर क्राइम के बड़े हॉट स्पॉट के रूप में जामताड़ा, मेवात और अब बेंगलुरु भी बन रहा है. 

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CEO राजेश कुमार ने बताया कि भारत के नागरिकों के लिए एक सुरक्षित साइबर स्पेस बनाना हमारा विजन है. 340 करोड़ का बजट गृह मंत्रालय से I4C को मिला. 2014 में मंत्रालय ने एक एक्सपर्ट ग्रुप बनाया था. 2018 में इस संस्था को बनाने का सुझाव एक्सपर्ट्स की ओर से आया था. शुरुआत में रेप और गैंगरेप केस के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में सभी तरह के साइबर से जुड़े मामले को लेकर I4C काम कर रहा है.

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हर रोज 45 से 50 हजार कॉल आते हैं

राजेश कुमार ने बताया कि 1930 को साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर बनाया गया. इस पर 45 से 50 हजार कॉल हर रोज आते हैं. 2023 में 129 शिकायत प्रति 1 लाख आबादी में रजिस्टर की गईं है. हरियाणा, गुजरात, तेलंगाना, गोवा में सबसे ज्यादा कंप्लेन रजिस्टर की गई हैं. I4C में 31 लाख से ज्यादा शिकायतें अब तक मिली हैं और 66000 से ज्यादा FIR दर्ज की गईं. इस समय देशभर में 99.9% पुलिस स्टेशन CCTNS के द्वारा जुड़े है. इनमें 100% डायरेक्ट FIR रजिस्टर कर रहे हैं. 263 बैंक, ई कॉमर्स कंपनीज इस सिस्टम से जुड़े हुए हैं. सिर्फ दिसंबर के महीने में 1930 हेल्पलाइन नंबर पर 12 लाख से ज्यादा कॉल रिसीव की गईं. जुलाई से अब तक 2,95,461 SIM कार्ड ब्लॉक किए गए हैं. 2810 वेबसाइट ब्लॉक की गईं. 595 मोबाइल एप ब्लॉक किए गए हैं, इसके साथ ही IMEI नंबर 46229 ब्लॉक किए गए हैं.

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