कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को विधानसभा में राज्य का बजट पेश किया. भाजपा ने बजट की आलोचना की. जिसके बाद सिद्धारमैया ने भाजपा और जद (एस) पर उनके बजट को मजाक उड़ाने और विधानसभा से वॉक आउट करने पर निशाना साधा. भाजपा विधायकों ने यह कहते हुए सदन से वॉक आउट कर दिया कि राज्य सरकार के बजट में कुछ नहीं है. विधायकों ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्य को 20 साल पीछे धकेल सकता है. वित्त विभाग संभालने वाले मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक में विपक्ष द्वारा बजट का बहिष्कार करने की कोई मिसाल नहीं है.
'भाजपा नेता लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास नहीं करते हैं'
बजट पेश होने के बाद सिद्धारमैया ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'बजट के दौरान वॉकआउट का कोई उदाहरण नहीं है. 3.71 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया था, लेकिन फिर भी भाजपा वाले आलोचना करते हैं. इसका मतलब है कि उनके दिमाग में 'कुछ नहीं' है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा नेता लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास नहीं करते हैं और वे राजनीतिक रूप से खाली हो गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायक बजट का विरोध करने की योजना बनाकर आये थे.
'राजनीतिक टिप्पणियां स्वस्थ होनी चाहिए'
सिद्धारमैया ने कहा, 'मैं यह नहीं कहता कि उन्हें राजनीति नहीं करनी चाहिए, लेकिन राजनीतिक टिप्पणियां स्वस्थ होनी चाहिए. वे केवल टिप्पणी करने के लिए टिप्पणी करते हैं. वे बजट को न सुनने की योजना के साथ आए थे. मैंने राज्य की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया जो वे कर सकते थे पचता नहीं. वे सच्चाई का सामना नहीं कर सकते.'
उन्होंने धन आवंटन में कर्नाटक के साथ अन्याय के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने नहीं बोलने के लिए भाजपा सांसदों की आलोचना की. सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य को खाद्य उत्पादन में 35,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने एनडीआरएफ मानदंडों के अनुसार 18,171 करोड़ रुपये मांगे लेकिन केंद्र ने एक रुपया भी नहीं दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा, हमने केंद्र से पैसा जारी करने के लिए कहा. लेकिन आज तक पांच महीने के सूखे के बाद भी एक रुपया भी जारी नहीं किया गया है.