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'यौन इच्छाओं पर काबू रखें टीनएजर लड़कियां', कलकत्ता हाईकोर्ट की लड़कों को भी नसीहत

एक युवक को नाबालिग से रेप के मामले में दोषी ठहराया गया था. हालांकि युवक का नाबालिग के साथ 'रोमांटिक अफेयर' था. कोर्ट ने कहा कि यह हर किशोरी का कर्तव्य/दायित्व है कि वह अपने शरीर की इंटैग्रिटी के अधिकार की रक्षा करे.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि किशोर लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए. साथ ही कहा कि किशोर लड़कों को युवा लड़कियों और महिलाओं और उनकी गरिमा का सम्मान करना चाहिए. जस्टिस चित्त रंजन दास और जस्टिस पार्थ सारथी सेन की बेंच ने एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोपी को बरी करते हुए ये टिप्पणियां कीं.

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एक युवक को नाबालिग से रेप के मामले में दोषी ठहराया गया था. हालांकि युवक  का नाबालिग के साथ 'रोमांटिक अफेयर' था. कोर्ट ने कहा कि यह हर किशोरी का कर्तव्य/दायित्व है कि वह अपने शरीर की अखंडता के अधिकार की रक्षा करे. उसकी गरिमा और आत्मसम्मान की रक्षा करे. जेंडर संबंधी बाधाओं को पार कर अपने विकास के लिए प्रयास करें. कोर्ट ने कहा कि अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हर किसी को अधिकार है कि वह अपने शरीर की स्वायत्तता और उसकी निजता के अधिकार की रक्षा करे.

कोर्ट ने पुरुषों के लिए कहा कि किसी युवा लड़की या महिला का सम्मान करना एक किशोर पुरुष का कर्तव्य है और उसे अपने दिमाग को एक महिला, उसकी गरिमा, गोपनीयता का सम्मान करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए.

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कोर्ट ने कहा कि एक युवा लड़की या महिला का सम्मान करना एक किशोर पुरुष का कर्तव्य है और उसे एक महिला, उसके आत्मसम्मान, उसकी गरिमा का सम्मान करने के लिए अपने दिमाग को प्रशिक्षित करना चाहिए.  

सेक्स एजुकेशन पर कोर्ट ने कहा कि 'चैरिटी बिगंस एट होम'. मतलब अच्छे काम की शुरुआत घर से होनी चाहिए. इसके लिए माता-पिता पहले शिक्षक होने चाहिए. इसलिए हमारा मानना है कि बच्चों, विशेषकर लड़कियों को बैड टच, बैड, बुरी संगति को पहचानने के लिए माता-पिता का मार्गदर्शन जरूरी है.

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