
एक दिन गांव के स्कूल टीचर ने आकर कहा कि 'आपका बेटा बहुत इंटेलिजेंट है, उसे शहर पढ़ने के लिए भेजिए.' इसके बाद हमने अपनी बकरियां बेच कर बेटे को शहर पढ़ने भेजा था. यूपी के लखीपुरी खीरी निवासी मुनीर खान के परिवार ने यह कहानी सुनाई. दरअसल, वर्तमान नें मुनीर अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी (columbia university) में रिचर्स स्कॉलर (Research Scholar) हैं. 8 भाई-बहनों में मुनीर सबसे छोटे हैं. जब वह एक साल के थे तब पिता का साया सिर से उठ गया था. बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आए, इसलिए लिए उनकी मां से बहुत मेहनत की और आज उन्हें इस मुकाम पर पहुंचा दिया.
लखीमपुर खीरी जिले में बेहजम ब्लॉक के गौरिया गांव के रहने वाले मुनीर खान सात दिन के लिए भारत आए हैं. Aajtak ने उनके परिवार से बात की. उनकी मां जाफरी ने बताया, ''मुनीर के पिता मजदूरी करते थे. काफी साल पहले उनका देहांत हो गया था. उनके जाने के बाद सभी बच्चों की जिम्मेदारी मेरे कंधे पर ही आ गई थी.
पति के जाने के बाद घर में जानवरों को पालना शुरू किया और छोटी सी परचून की दुकान खोल ली. बच्चे गांव के स्कूल में पढ़ते थे. एक दिन मुनीर के टीचर घर आए और बोले ''मुनीर बहुत इंटेलिजेंट है. इसे पढ़ाई के लिए शहर भेजिए.''
बेच दी बकरियां
बेटे को अच्छी शिक्षा मिले इसलिए हमने अपनी सारी बकरियां बेच दीं. फिर मुनीर का एडमिशन शहर के स्कूल में करा दिया.
मेहनत की दम पर मुनीर ने पाई स्कॉलरशिप
मुनीर बताते हैं कि स्कूलिंग के दौरान में बहुत मेहनत के साथ पढ़ाई करता था. हर बार क्लास में अच्छे अंक लाता था. मैंने एनटीएई की परीक्षा पास कर उसकी स्कॉलरशिप पाई. इसके अलावा मुझे स्कूल से भी स्कॉलरशिप मिलती थी.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पाई 100% स्कॉलरशिप
मुनीर बताते हैं, ''मुझे आगे पढ़ना था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी. मैंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी का एग्जाम क्रैक किया. यहां पर मेरा 100 फीसदी स्कॉलरशिप पर एडमिशन हो गया. अब में यहां रिसर्च कर रहा हूं. साल 2024-25 तक मेरी रिसर्च पूरी होगी.
14 जर्नल हो चुके हैं प्रकाशित
मुनीर को साल 2019 में इमरजिंग साइंटिस्ट का अवॉर्ड भी मिल चुका है. साथ ही उनके 14 जर्नल अंतराराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं. इसके अलावा भी उनके नाम पर दो पेटेंट भी हैं.
साल 2020-21 में आईएएस-आईपीएस को दिया लेक्चर
साल 2020-21 में मुनीर ने ट्रेनी आईएएस-आईपीएस को लेक्चर देने के लिए मुनीर को बुलाया गया था.
गांव का घर आज भी कच्चा
मुनीर के गांव का घर आज भी कच्चा ही है. उनकी मां इसी घर रहती हैं. परिवार के बाकी सदस्य भी गांव में ही रहते हैं. मुनीर की उपलब्धि पर मां को बहुत खुशी है.