उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर पुष्कर धामी सरकार ने ड्राफ्टिंग कमेटी गठित कर दी है. इस कमेटी में पांच लोग शामिल हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का फैसला लिया था. उत्तराखंड यूसीसी पर काम करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.
उत्तराखंड सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया है. इसमें पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रमोद कोहली, मनु गौड़ और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को शामिल किया गया है. यह कमेटी इस कानून का एक ड्राफ्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगी जिसे जल्द से जल्द लागू किया जाएगा.
मंत्रिमंडल की पहली बैठक में की थी घोषणा
मंत्रिमंडल की पहली बैठक के बाद सीएम पुष्कर धामी ने कहा था कि 12 फरवरी 2022 को हमारी सरकार ने संकल्प लिया था कि राज्य में यूनिफार्म सिविल कोड लाएंगे. इसकी वजह बताते हुए धामी ने कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिए उत्तराखंड की सीमाओं की रक्षा पूरे भारत के लिए अहम है. इस यूनिफॉर्म सिविल कोड का दायरा विवाह-तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों, होगा.
आर्टिकल 44 की दिशा में प्रभावी कदम
सीएम धामी ने कहा था कि ये 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम होगा और संविधान की भावना को मूर्त रूप देगा. ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर ज़ोर दिया है. साथ ही, इस महत्वपूर्ण निर्णय में हमें गोवा राज्य से भी प्रेरणा मिलेगी जिसने एक प्रकार का 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' लागू करके देश में एक उदाहरण पेश किया है.