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370 पर SC में सुनवाई, संविधान सभा का जिक्र, पढ़ें सिब्बल की दलील और CJI के सवाल

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई ने अनुच्छेद-370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई की. पीठ ने इससे पहले 11 जुलाई को इस मामले में सभी पक्षकारों से 25 जुलाई तक अपना जवाब देने के लिए कहा था. केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 के प्रावधानों में बदलाव कर जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट में 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल हैं 23 याचिकाएं (सांकेतिक फोटो)
सुप्रीम कोर्ट में 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल हैं 23 याचिकाएं (सांकेतिक फोटो)

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान सीजेआई ने कहा कि संविधान सभा द्वारा पारित प्रस्ताव में शुरू में विचार किया गया था कि अवशिष्ट शक्ति राज्य के पास होगी. जब संविधान को अपनाया गया तब शक्ति केंद्र के पास आ गई थी. 

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इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 370 को हटाने के लिए राज्य को कानून पारित करना होगा. भारत सरकार इसे नहीं हटा सकती. यहां विरोध की बात लागू नहीं होती. इसी स्थिति को स्वीकार किया गया था और इस तरह 370 अस्तित्व में आया, जो बाद में जारी रहा. उन्होंने आगे कहा- ... लेकिन बाद में 370 को अचानक हटा दिया गया. अचानक संसद में सरकार ने कहा कि हम यह कर रहे हैं. इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी. कोई परामर्श नहीं हुआ. राज्य के राज्यपाल और संसद ने एक सुबह ऐसा करने का फैसला किया और 370 को खारिज कर दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट में 370 को हटाने की याचिकाओं पर दिलचस्प बहस हुई...

सिब्बल सीजेआई से- भारत सरकार और जम्मू कश्मीर राज्य के बीच यह समझ थी कि हमारी एक संविधान सभा होगी, जो भविष्य की कार्रवाई का निर्धारण करेगी, यह तय करेगी कि 370 को निरस्त किया जाना चाहिए या नहीं. वह निर्णय संविधान सभा का था. 370 को खत्म करने से पहले आपको संविधान सभा की सिफारिश लेनी होगी. संविधान निर्माताओं ने 1950 में यही सोचा था और यह 5 अगस्त तक लागू रहा तो फिर यह कैसे बदल सकता है? 

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सीजेआई: राज्य की संविधान सभा का कार्यकाल कितना रहा होगा?

सिब्बल- 1951-57 तक

सीजेआई: तो इसलिए, 7 साल के खत्म होने के साथ, संविधान सभा की संस्था ही समाप्त हो गई तो फिर आगे प्रावधान का क्या होगा?

सिब्बल: 1951-57 के बीच संविधान सभा ने यह फैसला लिया.

सीजेआई: उसके बाद?

सिब्बल: इसके बाद तो कोई सवाल ही नहीं है.

सीजेआई: जब संविधान सभा समाप्त हो जाती है तो क्या होता है? किसी भी संविधान सभा का जीवन अनिश्चित नहीं हो सकता.

सिब्बल: बिल्कुल सही बात है. संविधान बनने के बाद संविधान सभा का कोई अस्तित्व नहीं रह सकता.

सीजेआई: क्या राष्ट्रपति के ऐसा करने से पहले, संविधान सभा की सलाह की जरूरत  होती है? क्या होता है जब संविधान सभा की भावना समाप्त हो जाती है?

सिब्बल: राष्ट्रपति ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं कर सकते.

जस्टिस गवई: आपके मुताबिक 1957 के बाद ऐसा बिल्कुल नहीं किया जा सकता?

सिब्बल: नहीं

जस्टिस गवई: लेकिन यह अस्थायी है.

सिब्बल: 1951 में यह धारा 370 क्यों लगाई गई? क्योंकि 1951 में उन्होंने कहा था कि हमारी एक संविधान सभा होगी, जिसकी बहस से यह स्पष्ट हो जाएगा.

2019 में खत्म कर दिया गया था स्पेशल स्टेटस

केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 के प्रावधानों में बदलाव कर जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर अब देश के बाकी राज्यों जैसा हो गया है. पहले केंद्र सरकार का कोई भी कानून यहां लागू नहीं होता था, लेकिन अब यहां केंद्र के कानून भी लागू होते हैं. साथ ही जम्मू-कश्मीर में कई समुदायों को कई सारे अधिकार भी नहीं थे, लेकिन अब सारे अधिकार भी मिलते हैं. जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश हैं. सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा.

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