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कुम्हेर हत्याकांड: 31 साल बाद आया फैसला, 9 को आजीवन कारावास और 41 बरी

राजस्थान का पहला और सबसे बड़ा कुम्हेर हत्याकांड मामले में एससी/एसटी कोर्ट का 31 साल बाद शनिवार को फैसला आया है. कोर्ट ने 50 लोगों के खिलाफ सुनवाई करते हुए नौ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और 41 लोगों को बड़ी कर दिया है. बता दें कि कुम्हेर कांड को राजस्थान का सबसे बड़ा और पहला जातीय संघर्ष एवं नरसंहार माना जाता है.

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कुम्हेर हत्याकांड के आरोपी.
कुम्हेर हत्याकांड के आरोपी.

राजस्थान के पहले और सबसे बड़े कुम्हेर हत्याकांड पर शनिवार को 31 साल बाद एससी/एसटी कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने 50 लोगों के खिलाफ सुनवाई करते हुए नौ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा 41 लोगों को बरी कर दिया है. कुम्हेर कांड में जाट समुदाय के लोगों ने दलित समुदाय के 16 लोगों की हत्या कर दी थी और करीब 45 लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. 

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क्या था कुम्हेर कांड?

दरअसल, जाट और जाटव समुदाय के कुछ लोगों के बीच हल्की कहासुनी हुई थी. जिसने विकराल रूप ले लिया और 6 जून 1992 को जाट समुदाय और जाटव समुदाय के बीच दंगा हो गया था. उस जातीय दंगे में जाट समाज के लोगों ने जाटव समाज के 16 लोगों की हत्या कर दी और उनके घरों में आग लगा दी थी. इस हत्याकांड की शिकायत कुम्हेर थाने में दर्ज हुई थी.

इसके बाद गांव पेंगौर की चामुंडा माता मंदिर पर जाट समुदाय के महापंचायत आयोजित हुई थी. इसमें करीब 50,000 जाट समुदाय के लोगों ने भाग लिया था. पंचायत के तुरंत बाद ही जाट समुदाय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए और बदला लेने के लिए कुम्हेर कस्बे में स्थित दलित समुदाय की बस्ती पर चढ़ाई कर दी थी. दोनों ही जातियों के लोग आमने-सामने हो गए थे. इसमें जान-माल की हानि दलित समुदाय को ज्यादा हुई थी. हालांकि, दलित समुदाय के लोगों ने भी जाट समुदाय के लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. 

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बाद में इस हत्याकांड की जांच के लिए सीबीआई जांच बैठाई गई थी. सीबीआई ने जांच करने के बाद जाट समाज के 83 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था. कोर्ट ने 283 लोगों के बयान लेते हुए नौ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और 41 लोगों को बरी कर दिया है. 33 लोग कोर्ट की लंबी कार्रवाई के दौरान मर चुके हैं. बता दें कि कुम्हेर कांड को राजस्थान का सबसे बड़ा और पहला जातीय संघर्ष एवं नरसंहार माना जाता है.  

मामले में कोर्ट के वकील ने कही ये बात

एससी/एसटी कोर्ट के वकील राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 6 जून 1992 में जाट समुदाय ने जाटव समुदाय के 16 लोगों की हत्या करने और 40 से ज्यादा लोगों को घायल करने की शिकायत दर्ज हुई थी. यह जांच पुलिस से ट्रांसफर होकर सीबीआई के पास चली गई थी और सीबीआई ने जांच करते हुए कोर्ट में 83 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया था. 283 लोगों के बयान लेते हुए आज कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 50 में से नौ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और 41 लोगों को बरी कर दिया है.

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