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7 साल पहले मंदिर के बाहर से हुई थी चोरी, अब पुलिस ने फोन कर कहा, आकर पहचान लो अपने जूते

चित्तौड़गढ़ के एक मंदिर के बाहर से जूते की चोरी के मामले में पुलिस ने 7 साल बाद पीड़ित को फोन कर अपने जूते की पहचान करने के लिए कहा, इसके बाद पीड़ित ने कहा कि जितनी जूते की कीमत नहीं होगी उससे ज्यादा पैसे तो उस पुलिस थाने तक पहुंचने में खर्च हो जाएंगे.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में एक अजीबोगरीब केस सामने आया है. मंदिर से सात साल पहले चोरी हुए जूते के मामले में अब पुलिस ने पीड़ित को फोन कर बताया है कि वो आकर अपना जूता चुन ले. 

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दरअसल शिवपुरी में रहने वाले महेंद्र कुमार दुबे के साथ ये वाकया साल 2017 में हुआ था. मत्स्य विभाग में सहायक संचालक पद से सेवानिवृत महेंद्र दुबे करीब सात साल पहले राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले सांवरिया सेठ मंदिर में दर्शन करने गए थे. वहां उनके जूते चोरी हो गए थे. स्वाभाव से हठी महेंद्र ने इस चोरी की लिखित शिकायत मनसफिया थाने में दर्ज कराई थी. चोरी की ये वारदात 14 जनवरी 2017 को हुई थी.
             
बात आई गई हो गई लेकिन कुछ दिन पहले दुबे के पास थाना से आरक्षक खूबचंद का फोन आया कि मंदिर परिसर से दर्शनार्थियों के चोरी हुए कुछ जोड़ी जूते बरामद हुए हैं, इनमें से अपने जूतों की पहचान कर ले जाओ. 

यह फोन इसलिए भी आया था क्योंकि अगस्त 2023 में  एक जज के बेटे ने इसी मंदिर से जूते चोरी हो जाने की शिकायत दर्ज कराई थी. जब इसकी खबर महेंद्र कुमार ने अखबार में देखी तो पुराने आवेदन के साथ थाने में 7 साल पहले दर्ज कराई अपनी शिकायत के बार में पूछा.

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इस पत्र के आधार पर थाने से जूतों की पहचान के लिए उन्हें फोन आया था. महेंद्र ने पुलिसकर्मी को जूते की तस्वीर भेजने के लिए कहा जिसके बाद उसे थाने की तरफ से बताया गया कि उसे वहां आना होगा. इसके अलावा उसका बयान भी दर्ज किया जाएगा जिसके बाद उसे जूते मिलेंगे.

अब महेंद्र दुबे का कहना है कि जूते लेने अगर वो मनसाफिया जाएंगे तो जूते की जितनी कीमत है उससे कहीं ज्यादा पैसे खर्च आने-जाने में ही हो जाएंगे. इसके बाद उन्होंने इसे टाल दिया.


 

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