
इस दुनिया में आए दिन नए-नए आविष्कार होते रहते हैं. इन आविष्कारों का मतलब होता है इंसानों की जिंदगी को आरामदायक बनाना. यूं तो वैज्ञानिक आविष्कारों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए चूहे, बंदर, अन्य जीव या इंसानी मृत शरीर पर प्रयोग करते हैं. लेकिन क्या हो जब आविष्कार के प्रयोग के लिए जिंदा मनुष्य को ही चुन लिया जाए. आज हम आपको ऐसे ही एक आविष्कार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने पूरी दुनिया में काफी सुर्खियां बटोरी थीं.
दिन था 6 जून 1822 का. अमेरिका के आर्मी डॉक्टर विलियम बोमोंट (William Beaumont) के पास एक अनोखा केस आया. जिसमें एलेक्सिस सेंट मार्टिन (Alexis St. Martin) नामक शख्स गलती से एक शिकारी की गोली का शिकार हो गया था. BBC के मुताबिक, यह गोली अलेक्सिस के पेट में लगी थी. पेट में लगी गोली ने सीधे खाने की थैली को फाड़ दिया था. जिसके कारण एलेक्सिस द्वारा खाया खाना पेट से बाहर आ रहा था.
देखने में यह मामला काफी पेचीदा लग रहा था. डॉक्टर बोमोंट ने भी ऐसा होते हुए पहले कभी नहीं देखा था. और न ही ऐसे केस के बारे में उन्होंने पहले कभी सुना था. लेकिन फिर भी बोमोंट ने एलेक्सिस का इलाज शुरू किया. 2 महीने के इलाज के बाद एलेक्सिस की जान तो बच गई. लेकिन उनके पेट का वो जख्म जहां उन्हें गोली लगी थी, वो अब तक नहीं भरा था. वहां एक छेद सा बन गया था. डॉक्टर ने काफी कोशिश की. लेकिन वह छेद भर नहीं पा रहा था.
पेट के अंदर दिखता खाना
नतीजा ये रहा कि एलेक्सिस द्वारा कुछ भी खाने के बाद खाना पेट से बाहर न निकल जाए इसलिए उस जख्म वाली जगह पर हमेशा कुछ चीज रखनी पड़ती थी. ताकि खाना पेट से बाहर न निकल जाए. हालात ये थे कि जब डॉक्टर एलेक्सिस के पेट के उस जख्म (छेद) में झांकते तो उन्हें उसके पेट के अंदर का सारा नजारा साफ नजर आता. वे अलेक्सिस द्वारा खाए खाने को पचते हुए देख पाते थे. ये इतिहास में पहली बार था जब किसी डॉक्टर ने मरीज के पेट में खाना पचता हुए नंगी आंखों से देखा था.
एलेक्सिस पर ऐसे शुरू हुआ शोध
तमाम कोशिशों के बाद भी जब वो जख्म नहीं भर पाया तो डॉक्टर विलियम बोमोंट के दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न इस पर कोई शोध की जाए. अलेक्सिस वहां से जाना चाहते थे. लेकिन डॉक्टर बोमोंट ने उन्हें अपने ही घर में काम पर रख लिया. और साथ ही साथ डॉक्टर बोमोंट एलेक्सिस पर नए-नए शोध भी करने लगे. बोमोंट ने फिर गैस्ट्रिक सिस्टम पर किताब लिखना भी शुरू कर दिया. वे एलेक्सिस के पेट पर अलग-अलग तरह के एक्सपेरिमेंट करने लगे. कभी मीट का टुकड़ा तो कभी कुछ और. वे इस तरह खाने की चीजों को एलेक्सिस के पेट में डालते और उसे पचता हुआ देखते. फिर जो भी नई जानकारी मिलती, उसे अपनी किताब में लिख लिया करते.
घर वापस जाना चाहते थे एलेक्सिस
बोमोंट एंजाइम्स (Enzymes) को अपनी आंखों के सामने काम करता देखते थे. उधर एलेक्सिस जान चुके थे कि ये जख्म अब कभी नहीं भरने वाला. और डॉक्टर बोमोंट ने उन्हें सिर्फ एक्सपेरिमेंट करने के लिए अपने पास रखा हुआ है. वह अब वहां से जाना चाहते थे. क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनके शरीर पर अब कोई और शोध हो. बता दें, उस समय डॉक्टर्स और पेशेंट के बीच किसी तरह का कोई कॉन्ट्रेक्ट भी नहीं होता था. उनके शरीर पर शोध उनकी इच्छा से हो रहे हैं या नहीं, इसके लिए भी कोई नियम नहीं था.
नरक सी हो गई थी एलेक्सिस की जिंदगी
एक बार एलेक्सिस मौका पाकर वहां से भाग भी निकले थे. लेकिन बाद में डॉक्टर ने उन्हें कुछ झांसा देकर फिर अपने पास बुला लिया. बोमोंट ने एलेक्सिस पर 10 सालों तक एक्सपेरिंट करके ह्यूमन डाइजिस्टिव सिस्टम के बारे में बहुत कुछ पता लगा लिया था. लेकिन इन एक्सपेरिमेंट्स से एलेक्सिस की जिंदगी नरक सी हो गई थी. आखिरकार अप्रैल 1833 को एलेक्सिस अपने बेटे की मौत की बात कहकर कनाडा निकल पड़े. जिसके बाद एलेक्सिस कभी लौटकर डॉक्टर बोमोंट के पास नहीं आए.
1833 को प्रकाशित हुई डॉक्टर बोमोंट की किताब
उधर अपनी रिसर्च पूरी न होने के बावजूद डॉक्टर बोमोंट अपनी किताब के कारण बहुत मशहूर हुए. वहीं, अलेक्सिस के पेट का छेद कभी बंद नहीं हुआ. फिर 24 जून 1880 के दिन 78 साल की उम्र में अलेक्सिस की मौत हो गई. अलेक्सिस के परिवार वालों ने उनका शव दफनाने से पहले उसे सड़ने दिया. ताकि वह कभी साइंस के काम का न रह सके. उधर, डॉक्टर बोमोंट की किताब Experiments and Observations on the Gastric Juice, and the Physiology of Digestion साल 1833 को प्रकाशित हुई.