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BrahMos सुपरसोनिक मिसाइल का सुखोई-30 से सफल परीक्षण, खौफ में रहेगा दुश्मन

भारतीय वायुसेना की ताकत में 8 दिसंबर 2021 को इजाफा हुआ है. वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमके-1 में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण किया गया. यह टेस्ट ओडिशा के चांदीपुर में सुबह साढ़े दस बजे किया गया. मिसाइल ने तय मानकों को पूरा करते हुए दुश्मन के ठिकाने को ध्वस्त कर दिया. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ और भारतीय वायुसेना को बधाई दी है.

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ओडिशा के चांदीपुर में सुखोई-30 एमके-1 फाइटर जेट से लॉन्च होती ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल. (फोटोः DRDO)
ओडिशा के चांदीपुर में सुखोई-30 एमके-1 फाइटर जेट से लॉन्च होती ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल. (फोटोः DRDO)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टोमाहॉक मिसाइल से दोगुनी गति और घातक सटीकता.
  • इससे पहले जुलाई में भी हुआ था एयर वर्जन का सफल परीक्षण.
  • सुखोई-30 की ताकत और ब्रह्मोस का घातक हमला देगा दोगुनी मारक क्षमता.

भारतीय वायुसेना की ताकत में 8 दिसंबर 2021 को इजाफा हुआ है. वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमके-1 में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण किया गया. यह टेस्ट ओडिशा के चांदीपुर में सुबह साढ़े दस बजे किया गया. मिसाइल ने तय मानकों को पूरा करते हुए दुश्मन के ठिकाने को ध्वस्त कर दिया. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ और भारतीय वायुसेना को बधाई दी है. 

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सुखोई-30 एमके-1 (Sukhoi-30 MK-1) फाइटर जेट में लगाए गए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos Supersonic Cruise Missile) को पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया है. इसमें रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) तकनीक का उपयोग किया गया है. ताकि इसकी गति और सटीकता और ज्यादा घातक हो जाए. इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण जुलाई 2021 में किया गया था. 

500 किलोमीटर की सटीक रेंज, घातक स्पीड

भारतीय वायुसेना के सुखोई-30MKI फाइटर जेट्स में भी ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात हैं. इसकी रेंज 500 किलोमीटर है. भविष्य में ब्रह्मोस मिसाइलों को मिकोयान मिग-29के, हल्के लड़ाकू विमान तेजस और राफेल में भी तैनात करने की योजना है. इसके अलावा पनडुब्बियों में लगाने के लिए ब्रह्मोस के नए वैरिएंट का निर्माण जारी है. अगले साल तक इन फाइटर जेट्स में ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात करने की तैयारी पूरी होने की संभावना है.  

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हवा, पानी, जमीन कहीं से भी हो सकती है लॉन्च

ब्रह्मोस मिसाइलों के एंटी-शिप वर्जन का पिछले साल दिसंबर में सफल परीक्षण हो चुका है. इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइलों के अलग-अलग वर्जन का परीक्षण समय-समय पर किया जा रहा है. यह एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. यानी ऐसी मिसाइल जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़े ताकि दुश्मन के राडार को धोखा दिया जा सके.  यह भारत की इकलौती ऐसी मिसाइल है, जिसे हवा, पानी, जमीन कहीं से भी दुश्मन पर दागा जा सकता है.  

चलते-फिरते टारगेट को भी बना सकती है निशाना

ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही मार्ग बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी ध्वस्त कर सकता है. यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार को धोखा देना इसे बखूबी आता है. सिर्फ राडार ही नहीं यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है.  इसको मार गिराना लगभगल अंसभव है. ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका के टॉमहॉक मिसाइल की तुलना में दोगुनी अधिक तेजी से वार करती है. इसकी प्रहार क्षमता टॉमहॉक मिसाइल से कई गुना ज्यादा है. यह मिसाइल 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है, जो किसी भी बड़े टारगेट को मिट्टी में मिला सकता है. 

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