भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चार देशों के साथ छह समझौते किए हैं. जिनके तहत वो विदेशी सैटेलाइट्स को अपने पीएसएलवी रॉकेट के जरिए लॉन्च करेगा. यह समझौते 1140 करोड़ रुपये से ज्यादा के हैं. इन सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग 2021 से 2023 के बीच होनी है. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में पृथ्वी विज्ञान एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इन समझौतों के जरिए 1140 करोड़ रुपयों से ज्यादा का राजस्व प्राप्त होगा. इन विदेशी सैटेलाइट्स को व्यवसायिक लॉन्च के तहत भेजा जाएगा. इसरो की नए व्यवसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड ने यह समझौते किए हैं. अब तक इसरो ने 124 स्वदेशी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में लॉन्च कर चुका है. जिसमें 12 सैटेलाइट्स छात्रों द्वारा निर्मित हैं.
34 देशों के 342 सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुका है ISRO
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि साल 1999 से अब तक इसरो कुल मिलाकर 34 देशों के 342 विदेशी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में लॉन्च कर चुका है. विदेशी लॉन्च के जरिए इसरो ने पिछले तीन साल यानी 2019 से 2021 के बीच 10 मिलियन यूरो यानी 86.48 करोड़ रुपये कमाए हैं. जितने भी विदेशी सैटेलाइट्स इसरो ने अंतरिक्ष में लॉन्च किए हैं, उनमें से ज्यादातर अर्थ ऑब्जरवेशन, वैज्ञानिक प्रयोग और तकनीकी प्रदर्शन के लिए थे.
भारत ने सबसे ज्यादा 226 अमेरिकी सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं. उसके बाद 12-12 इंग्लैंड और कनाडा, 11 जर्मनी और 8 सिंगापुर के सैटेलाइट्स शामिल हैं. इसके अलावा दर्जनों और देश हैं, जो 1 से लेकर पांच सैटेलाइट्स तक भारत के रॉकेट से अंतरिक्ष में लॉन्च करवा चुके हैं. इसरो पूरी दुनिया में सबसे सस्ते लॉन्च के लिए जाना जाता है. इसलिए छोटे और मध्यम आकार के सैटेलाइट्स को लॉन्च कराने के लिए दुनियाभर के देश भारत से संपर्क करते हैं.