सुनने पर कई तरह के अध्ययन होते रहे. इनमें से ज्यादातर इस बात पर फोकस करते हैं कि कितनी आवाज सुनना कानों की सेहत के लिए खतरनाक या अच्छा हो सकता है. लेकिन हाल में एक नई स्टडी आई, जो 'लिसनिंग बायस' की बात करती है. इसके मुताबिक दाएं कान की बजाए अगर कोई अच्छी बात या हंसी बाईं ओर से सुनाई दे तो मस्तिष्क पर उसका ज्यादा असर होता है. इससे ब्रेन के ऑडिटरी सिस्टम में न्यूरल एक्टिविटी बढ़ जाती है, जिसका हैप्पी हॉर्मोन्स से संबंध है.
शोध में शामिल स्विस यूनिवर्सिटी की डॉ सेन्ड्रा दी कोस्टा और टीम ने 13 लोगों पर स्टडी की. इसके लिए फंक्शनल मैग्नेटिक रिजॉनेंस इमेजिंग तकनीक की मदद ली गई. इस MRI के दौरान कोई अच्छी बात इस तरह से की गई कि वो दाएं-बाएं दोनों कानों में पड़े. इसी दौरान दिखा कि लेफ्ट साइड में आ रही हर अच्छी बात पर दिमाग तुरंत प्रतिक्रिया देता है. यहां तक कि अगर कोई अच्छा संगीत लेफ्ट साइड में चल रहा हो तो भी उसका तेज असर होता है, बनिस्बत दाईं ओर बजते संगीत से.
Emotional sounds in space: asymmetrical representation within early-stage auditory areas https://t.co/MQc67sU7EB
— Sergii Tukaiev (@byzant69) May 20, 2023
रिसर्चरों ने अलग-अलग भाव वाले म्यूजिक पर फोकस किया. इसमें न्यूट्रल से लेकर निगेटिव, डर जगाने वाला, और अच्छे भाव वाला म्यूजिक भी शामिल था. इस दौरान दिखा कि ऑडिटरी कॉर्टेक्स अच्छे, सूदिंग संगीत या अच्छी बात, या हंसी पर ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. इस दौरान डोपामिन और ऑक्सीटोसिन का स्त्राव बढ़ जाता है, जिन्हें हैप्पीनेस हार्मोन भी कहते हैं.
बाएं कान से इमोशन का संबंध पहले भी दिखता रहा. ब्रेन एंड लैंग्वेज जर्नल में इस बारे में कई अध्ययन साल 2000 से ही छपते रहे. इस दौरान पता लगा कि बायां कान किसी आवाज की इमोशनल टोन को पहचानता है. वो समझ पाता है कि सामान्य पिच पर बात करते हुए भी कोई गुस्सा हो रहा है, या खुशी जता रहा है. यहां से वो सूचना लेकर ब्रेन के दाहिने हेमिस्फेयर तक ले जाता है. तब जाकर उस बात के मुताबिक प्रतिक्रिया होती है.
ऐसा क्यों होता है, इस बारे में रिसर्चर पक्का नहीं हैं. हालांकि माना जा रहा है कि इस बारे में बड़ा सैंपल साइज लेकर स्टडी करने पर कुछ नई बातें निकलकर आएंगी, जिनका गहरा संबंध ह्यूमन हेल्थ से हो सकता है. वैसे ही साउंड पॉल्यूशन बढ़ने के साथ ही कानों पर कई प्रयोग हो रहे हैं, जो बताते हैं कि कितनी आवाज का मस्तिष्क पर क्या असर होता है. कई अध्ययन ये भी बताते हैं कि हर 5 डेसिबल की बढ़त से हार्ट अटैक का जोखिम कितने प्रतिशत तक बढ़ता है.