ये कोई सामान्य ड्रोन नहीं है. भारत का सबसे सफल ड्रोन है. इसने अब तक 84,809 गांवों का सर्वे किया है. अब आप सोचेंगे कि गांवों का सर्वे क्यों? क्योंकि इस ड्रोन का उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वामित्व योजना, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारतीय सेना द्वारा भी किया जा रहा है. यह ड्रोन किसी भी तरह के नक्शे बनाने और तस्वीरें लेने में उपयोग किया जा सकता है. इसका नाम है ट्रिनिटी-एफ9 (Trinity F9). कहा जाता है कि अकबर के समय में टोडरमल ने सबकी जमीन का नक्शा बनाने का काम शुरु हुआ था, जो फिर से अब इतने बड़े पैमाने पर शुरु हो रहा है.
ट्रिनिटी-एफ9 (Trinity F9) ड्रोन्स को बनाने वाली कंपनी रोटर (Roter) के प्रमुख साजिद मुख्तार का कहना है कि यह ड्रोन छह तरह की तस्वीरें लेने में सक्षम है. यह निर्भर करता है कि उसपर किस तरह का कैमरा लगाया गया है. GeoSmart India 2021 में शामिल होने आए साजिद ने कहा कि जियोस्पेशियल नीति को बढ़ावा देकर प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का एक बहुत बड़ा रास्ता खोल दिया है. पिछले 70 सालों में इस स्तर का काम नहीं हुआ था. अब लोग कामों में पारदर्शिता देख रहे हैं. पहले हमारे देश के नक्शे विदेशी कंपनियां बनाती थीं, अब ऐसा नहीं होता. अब हमारी कंपनियों जैसे लोग देश की अलग-अलग संस्थाओं के साथ मिलकर नक्शे बना रहे हैं.
जियोस्पेशियल इंडस्ट्री में पिछले कुछ सालों में जितना काम हुआ, उतना 70 सालों में नहीं
साजिद मुख्तार ने कहा कि जियोस्पेशियल नीतियों के आने से अब देसी कंपनी ही नक्शा बनाएगी, ड्रोन चलाएगी देसी कंपनी, डेटा स्टोरेज देसी कंपनी के पास, प्रोसेसिंग देसी कंपनी करेगी. डेवलपमेंट का काम देसी कंपनी करेगी तो इससे रोजगार बढ़ेगा. इस समय देश में 1000 से ज्यादा जियोस्पेशियल कंपनियां काम कर रही हैं, जो कि रजिस्टर्ड या जानी-पहचानी हैं. कई तो और भी हैं, जिनके बारे में लोगों को पता भी नहीं होगा. इस समय सरकार को चाहिए कि वो फंडिंग करे. अगर सरकार इस समय 4-5 हजार करोड़ रुपये का निवेश इस क्षेत्र में करती है तो अगले 4-5 साल में यह उद्योग 1 लाख करोड़ से ज्यादा दे सकता है.
'नेट जीरो उत्सर्जन में देना होगा सबको साथ, तभी राहत मिलेगी'
साजिद बताते हैं कि नेट जीरो उत्सर्जन के पीएम मोदी के सपने को लेकर अगर सारे लोग मिलकर काम करे तो वह भी संभव है. साजिद ने बताया कि उन्होंने हाल ही में उत्तराखंड में अपनी एक फैक्ट्री बनाने की घोषणा की है, जो पूरी तरह से नेट जीरो उत्सर्जन करेगी. यानी यहां पर जो भी ऊर्जा की खपत होगी, वो वहीं बनेगी, वहीं लगेगी. साजिद बताते हैं कि जब उन्होंने 1990 में जर्मनी की एक इंजीनियरिंग कंपनी में काम किया. उसके बाद देश लौटे तो देखा कि यहां सबकुछ है, प्राकृतिक संसाधन हैं, तकनीक भी है, टैलेंटेड लोग भी है लेकिन अच्छी इंजीनियरिंग नहीं है.
टिशू पेपर पर बना था इस ड्रोन का पहना डिजाइनः साजिद
साजिद वापस जर्मनी गए. उन्होंने वहां अपनी कंपनी डाली. साल 2015 में ड्रोन्स की दुनिया में आए. क्वाडकॉप्टर्स बनाया लेकिन सफलता नहीं मिली. काफी ज्यादा नुकसान हो गया. फिर जिस ड्रोन से आज देश की सबसे बड़ी स्वामित्व योजना की शुरुआत की गई है, उस ड्रोन की डिजाइन एक टिश्यू पेपर पर बनाया गया था. उसका डिजाइन दुनिया के बेहतरीन ड्रोन डिजाइनर डॉ. फ्लोरिएंस ने किया था. इस ड्रोन का उपयोग 69 देश कर रहे हैं. इसका उपयोग मगरमच्छों की गणना, उनके गर्भ आदि की जानकारी जमा करने में उपयोग हो रहा है. यह ड्रोन जंगल का नक्शा बनाने में मदद कर रहा है.
'पाकिस्तान कर रहा है ड्रोन्स का गलत इस्तेमाल'
साजिद ने बताया कि स्वामित्व योजना के तहत जो नक्शे बनाए जा रहे हैं, वैसी ही स्थिति अकबर के समय में टोडरमल ने पैदा की थी. वह भी नक्शे बनाने के अभियान में लगा था. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वही काम कर रहे हैं. जिसमें हमारे ड्रोन्स मदद कर रहे हैं. देश में किसी भी समय हमारे 383 से ज्यादा ट्रिनिटी-एफ9 (Trinity F9) ड्रोन्स हवा में रहते हैं. पाकिस्तान ड्रोन्स का गलत उपयोग कर रहा है, भारत और भारत के लोग इसका उपयोग सकारात्मक कार्यों के लिए कर रहे हैं.