ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के इस चुनौती भरे दौर में, एक कंपनी इस समस्या का हल लेकर आई थी. इस कंपनी ने ऐसा प्लांट बनाया जो वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) खींचता है और इसे भूमिगत जमा करता है.
अब ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने वाला ये स्विस स्टार्टअप क्लाइमवर्क्स एजी (Climeworks AG), अपना दूसरा बड़ा डायरेक्ट एयर कैप्चर (Direct air capture-DAC) प्लांट आइसलैंड में लगने जा रहा है. इनका कहना है कि ये दुनिया का सबसे बड़ा प्लांट बन सकता है.
यह प्लांट 18-24 महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा. और इसकी खास बात यह है कि इसमें हर साल हवा से 36,000 टन कार्बन डाईऑक्साइड खींचने की क्षमता होगी. यह क्लाइमवर्क्स के मौजूदा डीएसी प्लांट से 10 गुना बड़ा होगा. फिलहाल मौजूदा प्लांट दुनिया का सबसे बड़ा प्लांट है.
इस प्लांट को 'मैमथ' प्लांट कहा जा रहा है. इसमें पंखे और फिल्टर के करीब 80 बड़े ब्लॉक होंगे, जो हवा से CO2 निकालेंगे. आइसलैंड की ही एक कार्बन स्टोरेज फर्म कार्बफिक्स (Carbfix) इस कार्बन डाईऑक्साइड को पानी में घोलकर जमीन में इंजेक्ट करेगी. जमीन में जाकर रासायनिक प्रतिक्रिया के बाद ये चट्टान में तब्दील हो जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया को पास ही एक जियोथर्मल एनर्जी प्लांट संचालित करेगा.
इस तकनीक को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर दुनिया को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करना है, तो यह तकनीक बहुत ज़रूरी है.
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक, फिलहाल दुनिया में 18 डायरेक्ट एयर कैप्चर फैसिलिटी हैं. अमेरिकी तेल फर्म ऑक्सिडेंटल (Occidental) भी 2024 के अंत में, इसी तरह का बड़ा प्लांट लाने की योजना बना रही है, जिससे हर साल 10 लाख टन CO2 इकट्ठी की जा सकेगी.
Construction is due to begin on Wednesday on what could become the world's biggest plant to capture carbon dioxide from the air and deposit it underground, the company behind the nascent green technology said. https://t.co/hCntqswkly
— Reuters Science News (@ReutersScience) June 28, 2022
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के सरकारी पैनल ने कहा है कि आने वाले दशकों में बड़े पैमाने पर CO2 को हटाने, ग्लोबल वार्मिंग को 1.5C तक सीमित करने और तेजी से गंभीर जलवायु प्रभावों से बचने के लिए, DAC जैसी तकनीकों की जरूरत होगी.