रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) का चुनाव गुरुवार (21 दिसंबर) को संपन्न हुआ था. इस चुनाव में संजय सिंह ने जीत दर्ज की थी, जो पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी रहे हैं. यूपी कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय को 40 वोट मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी अनीता श्योराण को 7 वोट मिले. संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत कई रेसलर नाराज हैं.
WFI में शुरू हुआ बवाल
WFI के चुनाव हुए दो दिन भी नहीं गुजरे हैं, लेकिन फेडरेशन में भी बवाल शुरू हो गया है. पूरा बवाल संजय सिंह की ओर से लिए गए एक फैसले को लेकर है. संजय सिंह ने अध्यक्ष बनने के बाद जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप की तारीखें घोषित कर दीं. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक संजय ने महासचिव प्रेमचंद लोचब से राय नहीं ली.
इस पूरे मामले को लेकर प्रेमचंद लोचब बिफर पड़े हैं. अनीता श्योराण के गुट से चुने गए रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड के पूर्व सचिव लोचब ने कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. लोचब का मानना है कि सभी फैसले डब्ल्यूएफआई महासचिव के जरिए लिए जाने चाहिए. लोचब ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में अध्यक्ष ने नियमों की अनदेखी की.
लोचब ने संजय सिंह को लिखे पत्र में कहा, '21 दिसंबर को चुनाव के तुरंत बाद डब्ल्यूएफआई के संविधान के अनुसार नवनियुक्त कार्यकारिणी की कोई नियमित बैठक आयोजित नहीं की गई. ऐसा लगता है कि राज्य महासंघों की आपत्ति जायज है और गोंडा के नंदिनी नगर में 28-30 दिसंबर तक होने वाली अंडर-20 और अंडर-15 राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप को स्थगित करना चाहिए.'
संजय सिंह ने बचाव में कही ये बात
इस पत्र की एक प्रति भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को भी भेजी गई है. डब्ल्यूएफआई के संविधान के अनुसार फैसले लेने के दौरान महासचिव का शामिल होना अनिवार्य है. संजय सिंह ने अपने बचाव में कहा कि वह नहीं चाहते थे कि जूनियर पहलवानों का एक साल बर्बाद हो और इसलिए जल्दी में यह फैसला किया गया.
संजय सिंह का मानना है कि यह फैसला जूनियर पहलवानों के हित को ध्यान में रखकर किया गया और किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है. संजय सिंह ने कहा कि डब्ल्यूएफआई का संविधान उन्हें फैसला लेने की अनुमति देता है और महासचिव उसका पालन करने के लिए बाध्य है.
उन्होंने कहा, 'किसी को ठेस पहुंचाने के लिए यह फैसला नहीं किया गया. हमारी एकमात्र चिंता यही थी कि जो जूनियर पहलवान 2023 के कैलेंडर वर्ष में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में नहीं खेल पाए, उन्हें इसका मौका मिलना चाहिए, कई पहलवानों का आयु ग्रुप में यह आखिरी साल है और एक जनवरी 2024 के बाद वे जूनियर चैम्पियनशिप में भाग लेने के अयोग्य हो जाएंगे.'