अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप कार्ड चल गया है और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड अब ऐतिहासिक जीत के करीब पहुंच गए हैं. ट्रंप ने शुरुआत में जो लीड बनाई, वो अंत तक बरकरार रखे हुए हैं और मैजिक नंबर (बहुमत) से 3 सीट दूर हैं. उन्होंने अब तक 267 इलेक्टोरल सीटें हासिल कर ली हैं. जबकि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस ने भी अंत तक हार नहीं मानी और मुकाबले में बनी रहीं. कमला के खाते में 224 सीटें आ गई हैं. पूरे चुनाव में कमला चर्चा के केंद्र में रहीं और अंत में ट्रंप ने बाजी मार ली. जानिए कैसे और कहां नतीजों में उलटफेर देखने को मिला है?
अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं और राष्ट्रपति चुनाव में इन राज्यों में 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोट होते हैं. किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए 270 वोटों की जरूरत होती है. चुनाव में जिन 7 स्विंग स्टेट की सबसे ज्यादा चर्चा थी, वहां ट्रंप का जादू चला है. डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक दो राज्यों में जीत हासिल की है और पांच राज्यों में आगे चल रहे हैं. यह ट्रंप के लिए टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है. स्विंग स्टेट में मिशिगन, विस्कॉन्सिंन, पेंसिलवेनिया ट्रंप के हाथों में तकरीबन आ चुके हैं. जार्जिया, नॉर्थ केरोलिना में ट्रंप की जीत हो चुकी है. एरिजोना में कांटे की टक्कर में भी ट्रंप आगे चल रहे हैं.
कहां-कौन आगे...
ट्रंप ने अब तक टेक्सास, ओहायो, व्योमिंग, कंसस सीट, मोन्टाना, मिसौरी समेत 16 स्टेट में जीत हासिल की है. कई जगहों पर अभी भी ट्रंप की लीड बरकरार है. जबकि कमला हैरिस ने वॉशिंगटन डीसी, कोलोराडो, न्यूयॉर्क, न्यू मैक्सिको पर कब्जा किया है. कांउटिंग में कमला वर्जीनिया में आगे चल रही हैं. कमला के न्यू जर्सी से जीतने का अनुमान है. वहीं, ट्रंप को अर्कांसस से बढ़त है. अब कुछ ही राज्यों में सीटों की गिनती बाकी है.
कमला पर कहां और कैसे भारी पड़ते गए डोनाल्ड ट्रंप?
आंकड़े बता रहे हैं कि ट्रंप की जीत के अब 95 प्रतिशत चांस बन गए हैं. ट्रंप का कई राज्यों में वोट शेयर बढ़ा है. जीत के लिए 270 सीटों की जरूरत है. ट्रंप अब 262 से लेकर 322 सीट के बीच पहुंचते दिख रहे हैं. यानी 262 सीटें आना तय है और यह संख्या 322 तक पहुंच सकती है. ट्रंप को 267 सीटों पर जीत मिल गई है. वहीं, कमला हैरिस की बात करें तो वो 216 से 272 तक पहुंचते दिख रही हैं. यानी अगर ये आंकड़े नतीजे में बदले तो वो जादुई आंकड़ों से थोड़ा आगे जा सकती हैं.
हालांकि, कमला की उम्मीदें कैसे बिखर गईं, यह जानना भी बेहद दिलचस्प है. जब वोटिंग खत्म हुई तब लग रहा था कि ये बराबरी की लड़ाई है. लेकिन जब काउंटिंग हुई तो रुझानों में तेजी से उलटफेर हुआ और ट्रंप ने शुरुआत से ही लीड को बरकरार रखा. उसी रफ्तार से कमला की उम्मीदें धूमिल होती गईं. कहा जा रहा था कि ग्रामीण इलाकों में डोनाल्ड ट्रंप मजबूत हैं और शहरी इलाकों में कमला अच्छा प्रदर्शन करेंगी.
अगर स्विंग को देखा जाए तो छोटे शहर और ग्रामीण इलाकों ने चौकाया है. इन इलाकों में रिपब्लिकन पार्टी के ट्रंप को 4.4 प्रतिशत वोट शेयर स्विंग हुआ है. ये काफी बड़ी बढ़त कही जा सकती है. वहीं, शहरी इलाकों को देखें तो अमेरिका के 36 बड़े शहर में भी डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में 8.8 प्रतिशत का वोट शेयर स्विंग हुआ है. यानी छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में तो ट्रंप कार्ड चला ही है, शहरों में भी ट्रंप ने बड़ा उलटफेर किया है. ट्रंप ने मध्यम शहरों में भी बढ़त बनाई है.
कमला हैरिस को कई इलाकों में निराशा हाथ लगी है और उनके पक्ष में कुछ जगहों पर ही वोट स्विंग हो सका है.
जिन इलाकों में हार-जीत की लड़ाई तय होनी थी, वहां कम अंतर से ही नतीजों में उलटफेर हुआ है. पेंसिलवेनिया में 51 प्रतिशत वोट डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में आया है. जबकि 48 प्रतिशत कमला हैरिस को मिला है. मिशिगन में 51 प्रतिशत ट्रंप और 48 प्रतिशत कमला को वोट मिले. ऐरीजोना में 50% ट्रंप और कमला को 49.2% वोट मिले. इसी तरह जॉर्जिया में ट्रंप को 50.8% और कमला को 48.4 % वोट मिले. लगभग हर जगह ऐसी ही स्थिति बनी और कमला बेहद करीब आकर पिछड़ गईं.
क्या हैं रेड और ब्लू स्टेटस?
अमेरिका के 50 राज्य तीन रंगों में बंटे हुए हैं, जिन्हें रेड स्टेट्स, ब्लू स्टेट्स और पर्पल स्टेट्स के नाम से जाना जाता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, रेड स्टेट्स ऐसे राज्य हैं जहां रिपब्लिकन पार्टी का बोलबाला है. इन राज्यों में 1980 से ही रिपब्लिकन पार्टी जीतती आई है. रिपब्लिकन पार्टी का झंडा भी लाल रंग का ही है. ट्रंप को अमूमन आप कई मौकों पर लाल टोपी में देख सकते हैं. वहीं, ब्लू स्टेट्स ऐसे राज्य हैं, जहां डेमोक्रेट्स का वर्चस्व है और 1992 से यहां डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जीतते रहे हैं जबकि तीसरे पर्पल स्टेट्स हैं जिन्हें स्विंग स्टेट्स भी कहा जाता है.
ट्रंप की बढ़त के पीछे क्या फैक्टर्स...
प्री-पोल डेटा एनालिसिस के मुताबिक, जब लोगों से पूछा गया था कि देश जिस दिशा में जा रहा है, उससे आप संतुष्ट हैं या नहीं? इस पर 74% लोगों का कहना था कि वो संतुष्ट नहीं हैं. लोगों का लग रहा है कि देश गलत दिशा में जा रहा है. यानी डेमाक्रेटिक उम्मीदवार के सामने एंटी इनकंबेंसी फैक्टर्स चुनौती बन गया था. चूंकि कमला उपराष्ट्रपति थीं, ऐसे में उन्हें एंटी इनकंबेंसी का खामियाजा भुगतना पड़ा है.
अगर ओवरऑल नतीजों का देखा जाए तो 50 प्रतिशत डोनाल्ड ट्रंप और 49.2 प्रतिशत वोट कमला के पक्ष में गए हैं.