दशकों तक जिस माफिया मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी, अब गाजीपुर में उसे सुपुर्द-ए-खाक करने की तैयारी चल रही है. कभी जेलों को ऐशगाह बनाकर रखने वाले मुख्तार के लिए गाजीपुर में कब्र का नाप लिया गया और उसके बाद मुख्तार का परिवार उसके अंतिम संस्कार की तैयारी में लग गया. पुलिस ने गाजीपुर में सुरक्षा के मुकम्मल इंतजाम किए हैं. धारा 144 लागू है. उम्मीद जताई जा रही है कि मुख्तार का शव देर रात बांदा से गाजीपुर पहुंच जाएगा. सुबह की नमाज के बाद उसे दफनाया जाएगा.
जेल में तालाब खुदवाने से लेकर सेना की चुराई गई एलएमजी खरीदने तक, मुख्तार से जुड़े तमाम किस्से और कहानियां हैं. ऐसा ही एक किस्सा यूपी सरकार और पंजाब सरकार से जुड़ा है, जब मुख्तार की हिरासत को लेकर दोनों सरकारें आमने-सामने आ गई थीं और सुप्रीम कोर्ट में तमाम दलीलें दी गई थीं. आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया और पंजाब की जेल में मौज काट रहे मुख्तार की हिरासत वापस यूपी सरकार को मिली. इसके बाद उसे पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा की जेल में शिफ्ट किया गया.
बात शुरू होती है 2017 से. यूपी की फिजा बदली और सूबे में बीजेपी की योगी सरकार का गठन हुआ. इसके बाद जेल से जरायम की दुनिया में अपनी 'सरकार' चलाने वाले बड़े अपराधियों के दिन लगने शुरू हो गए. इस कड़ी में झांसी जेल में बंद मुन्ना बजरंगी को पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के मामले में आठ जुलाई को बागपत जेल भेजा गया. यहां 9 जुलाई 2018 को उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। ये वही बजरंगी था जो कभी मुख्तार के लिए शार्प शूटर बनकर काम करता था. कृष्णानंद राय हत्याकांड में आरोपी रहे मुन्ना बजरंगी को 12 गोलियां मारी गईं.
जब मुख्तार को यूपी की जेल में सताने लगा खौफ
बस फिर क्या था. मुन्ना बजरंगी की हत्या की खबर जैसे ही मुख्तार को हुई, उसे यूपी की जेल असुरक्षित लगने लगी और उसे भी किसी अनहोनी का खौफ सताने लगा. तभी अचानक पंजाब के एक व्यपारी को मुख्तार अंसारी के नाम से धमकी दी जाती है और उससे 10 करोड़ की रंगदारी मांगी जाती है. व्यापारी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराता है और पंजाब पुलिस मुख्तार की हिरासत के लिए कोर्ट पहुंचती है. होता भी ऐसा ही है. मुख्तार को प्रोडक्शन वारंट पर पंजाब लाया जाता है और 24 जनवरी, 2019 को रोपड़ जेल शिफ्ट कर दिया जाता है. इसके बाद वह पंजाब की जेल में बड़े आराम से रहा.
सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने थी दो राज्यों की सरकार
उधर, यूपी सरकार लगातार उसे वापस लाने को कोर्ट में अपील करती रही. मुख्तार की हिरासत को लेकर यूपी सरकार और पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने थी. दोनों की अपनी-अपनी दलीलें थीं. 014 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ रोपड़ में हुए एक ब्लाइंड मर्डर का केस भी जोड़ा गया. दोनों की तरफ से बताया गया कि उनके यहां दर्ज मामलों में उसकी हिरासत कितनी महत्वपूर्ण है और उससे अभी कई सवालों के जवाब किए जाने हैं. यूपी सरकार ने पंजाब पर मुख्तार को बचाने तक का आरोप लगा दिया गया. फिर 26 मार्च 2021 को, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि मुख्तार अंसारी की हिरासत दो हफ्ते के अंदर यूपी सरकार को सौंपी जाए. इसके बाद अप्रैल, 2021 के शुरुआती हफ्ते में उसे कड़ी सुरक्षा के बीच वाया रॉड बांदा जेल लाया गया. यूपी पुलिस उसे बुलटप्रूफ जैकेट पहनाकर लेकर आई थी.
रोपड़ जेल में क्यों रखना चाहती थी पंजाब सरकार?
सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की तरफ से तमाम दलीलें दी गईं. इस दौरान कहा गया कि मुख्तार की तबीयत खराब है और डॉक्टरों ने मुख्तार अंसारी को लंबा सफर न करने की सलाह दी है. मुख्तार को 2019 में PGIMER, चंडीगढ़ द्वारा और सितंबर 2020 में तीन डॉक्टरों के एक पैनल ने आराम की सलाह दी गई थी. पंजाब सरकार ने कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यूपी सरकार की याचिका का विरोध किया था. हालांकि पंजाब की पूर्व अमिरंदर सरकार की दलीलें काम न आ सकीं.
जब पंजाब सरकार पर लगा 55 लाख खर्च करने का आरोप
2022 में पंजाब में सत्ता परिवर्तन हुआ और आम आदमी पार्टी की सरकार बनी. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पूर्व की अमरिंदर सरकार पर मुख्तार को जेल में खास व्यवस्था मुहैया कराने के आरोप लगाए. इतना ही नहीं, कांग्रेस की सरकार पर अंसारी को जेल में रखने के लिए 55 लाख रुपये कानूनी फीस के रूप में खर्च करने का आरोप भी लगाया गया. AAP सरकार ने पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से इस पैसे को वसूलने के लिए नोटिस तक जारी कर दिए. नोटिस में कहा गया कि मुख्तार अंसारी के ट्रांसफर का विरोध करने के लिए एक सीनियर वकील को नियुक्त किया गया. इस मामले में वकील ने 55 लाख रुपये का बिल पेश किया है. वकील को 17.60 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है.
पंजाब से आकर बांदा जेल में बिताए दो साल 11 महीने
बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर पंजाब से आए बसपा के पूर्व विधायक मुख्तार ने बांदा जेल में दो साल 11 महीने और 21 दिन बिताए. यहां गुरुवार देर शाम बैरक में बेहोश होकर गिरा तो भी कभी नहीं उठा. यहां से बांदा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां से वह कफन में लिपटकर निकला. मरने से पहले मुख्तार ने जेल प्रशासन पर खाने में स्लो पॉइजन देने का आरोप लगाया था. हालांकि प्रशासन की तरफ से आरोपों को खारिज किया गया है. वहीं इसको लेकर अब माफिया के वकील ने बाराबंकी कोर्ट में याचिका दायर कर मुख्तार के आखिरी बयान को मृत्युकालीन कथन मानकर बांदा जेल प्रशासन पर FIR दर्ज करने की मांग की है.