इजरायल ने 7 अक्टूबर के कत्लेआम का एक साल बाद बदला ले लिया. पिछले साल इजरायल में घुसकर 1200 लोगों को मरवाने वाला हमास का मास्टरमाइंड याह्या सिनवार मारा गया. इजरायली के PM बेंजामिन नेतन्याहू और विदेश मंत्री काट्ज ने गुरुवार रात को सिनवार के मौत की पुष्टि की. हमास ने भी इसकी पुष्टि करते हुए सिनावर की मौत का बदला लेने की धमकी दी है.
हमास के वरिष्ठ अधिकारी अल-हय्या ने कहा कि सिनवार की मौत इजरायल के लिए अभिशाप बन जाएगी. जब तक गाजा पर आक्रमण बंद नहीं हो जाता और इजरायली सेना वापस नहीं आ जाती, तब तक इजरायली बंधकों को छोड़ा नहीं जाएगा. शुक्रवार को जारी किए गए एक वीडियो बयान में गाजा में हमास के उप प्रमुख और समूह के मुख्य वार्ताकार अल-हय्या ने कहा कि सिनवार लड़ते हुए मरे और उनकी मौत "कब्जा करने वालों" के लिए अभिशाप बन जाएगी.
हमास के अधिकारी ने कहा, "हम महान राष्ट्रीय नेता, मुजाहिद शहीद भाई और इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन (हमास) के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख व अल-अक्सा स्टॉर्म ऑपरेशन के कमांडर याह्या अल-सिनवार के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं. वे एक वीर शहीद की तरह आगे बढ़े, आगे बढ़ते रहे और कभी पीछे नहीं हटे, अपने हथियार चलाते रहे, अग्रिम मोर्चे पर कब्ज़ा करने वाली सेना से भिड़े और उनका सामना किया. वे सभी युद्ध स्थितियों के बीच घूमते रहे, गाजा की सम्मानित भूमि पर अडिग और तैनात रहे, फिलिस्तीन की भूमि और उसके पवित्र स्थलों की रक्षा की."
दरअसल, इजरायली डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने 16 अक्टूबर को रूटीन ऑपरेशन में सेंट्रल गाजा की एक इमारत पर हमला किया था. यहां सिनवार और उसके साथियों के साथ इजरायली सैनिकों की मुठभेड़ हुई. हमास लीडर याह्या सिनवार आखिरी दम तक इजरायली फौजियों से लड़ता रहा. इसका वीडियो अब सामने आया है. सिनवार की मौत हमास के लिए एक बड़ा झटका है. इस्माइल हानिया के मारे जाने के बाद याह्या सिनवार हमास का चीफ बना था.
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'बुचर ऑफ खान यूनिस', जिसे लादेन भी कहा गया
याह्या सिनवार को 'बुचर ऑफ खान यूनिस' भी कहा जाता था. 7 अक्टूबर के हमले के बाद इजरायली मीडिया ने उसकी तुलना कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन से की थी. इजरायल डिफेंस फोर्सेस के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल रिचर्ड हेचट ने उसकी तुलना 'बुराई का चेहरा' के रूप में की थी. उसे 'चलता फिरता मरा हुआ आदमी' तक बताया था. सिनवार का जन्म साल 1962 में साउथ गाजा के खान यूनिस में एक फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर में हुआ था. यही वजह है कि उसे 'खान यूनिस का कसाई' भी कहा जाता है, जो खुलेआम कत्ल-ए-आम करने से नहीं चूकता था.
रिफ्यूजी कैंप में पैदा हुआ था सिनवार
खान यूनिस के एक शरणार्थी शिविर में जन्मे सिनवार का जन्म 1962 में हुआ था. गाजा तब इजरायल के कब्जे में था. सिनवार ने एक बार बताया था कि उसकी मां उसे संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता की खाली बोरियों से सिले हुए कपड़े पहनाती थी. सिनवार ने करीब 22 साल की जिंदगी जेल में बिताई थी. उसने एक इंटरव्यू में कहा था कि जेल आपको निखारती है. 1992 में सिनवार ने जेल में एक हड़ताल की थी, जिसके बाद उसे एक नेता के रूप में पहचान मिलने लगी.
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2011 में जेल से बाहर आया
आखिरकार साल 2011 में सिनवार जेल से बाहर आया था. नवंबर 2012 में उसकी मुलाकात जनरल कासिम सुलेमानी से हुई थी. 2017 में उसे काफी प्रसिद्धी मिली और ईरान के साथ उसके संबंध काफी अच्छे हो गए. सिनवार ने इजरायल के साथ बातचीत से इनकार किया था. उसका कहना था कि हम उत्पीड़न और अपमान से मरने के बजाय शहीद के रूप में मरना पसंद करेंगे.
साल 2015 में अमेरिका ने घोषित किया 'ग्लोबल टेरेरिस्ट'
साल 1988 में इजरायली एजेंसियों ने याह्या सिनवार को गिरफ्तार किया था. उस वक्त याह्या की उम्र 19 साल थी. उसके खिलास केस चला और उसे चार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. लेकिन साल 2011 में इजरायल और हमास के बीच हुए एक डील के तहत उसे रिहा कर दिया गया. साल 2015 में अमेरिकी विदेशी विभाग ने उसको 'ग्लोबल टेरेरिस्ट' घोषित किया था. कुछ समय पहले ही फ्रांस ने उसकी संपत्ति फ्रीज कर दी और उसे अपनी राष्ट्रीय प्रतिबंध सूची में शामिल कर दिया. इतने प्रतिबंध और विरोध के बावजूद उसका रसूख कम नहीं हुआ.
7 अक्टूबर को इजरायल में हुए नरसंहार की रची साजिश
याह्या सिनेवार 80 के दशक के अंत में हमास का सदस्य बना था. लेकिन बहुत तेजी से उसने अपनी एक अलग पहचान बना ली. कुछ सालों के बाद ही वो हमास के आंतरिक खुफिया तंत्र के संस्थापकों में से एक बन गया. इसे मजद के नाम से जाना जाता है. दो इजरायली सैनिक और चार फिलिस्तीनियों की हत्या के जुर्म में वो दो दशक से ज्यादा समय इजरायली जेल में बिता चुका है. जेल से बाहर निकलने के बाद वो ज्यादा खूंखार हो गया. उसने इजरायल को खत्म करने की कसम खाई और 7 अक्टूबर को हुए नरसंहार की पूरी साजिश रच डाली.