रूस, यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया भर में गहराए तेल संकट के बीच इस महीने की शुरुआत में गुजरात के वाडिनार के बंदरगाह पर एससीएफ प्रीमोर्य तेल टैंकर ने दस्तक दी. द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 में बना यह 84,000 टन वजनी तेल टैंकर रूस के उस्त-लुगा से यहां पहुंचा था.
रूस पर लगे प्रतिबंधों के बीच भारत ने रूस के कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है. ऐसे ही समय में रूस से यह तेल टैंकर वाडिनगर पहुंचा है.
2017 तक वाडिनार तेल रिफाइनरी पर एस्सार ऑयल का पूरा नियंत्रण था लेकिन इसके बाद रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट और कमोडिटी ट्रेडर ट्राफिगरा के कंसोर्शियम की इसमें 24.5 फीसदी की हिस्सेदारी हो गई.
भारत 30 फीसदी की भारी छूट पर रूस का कच्चा तेल खरीद रहा है, जिससे रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसे आर्थिक तौर पर नुकसान पहुंचाने के अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के प्रयासों को धक्का लगा है.
पश्चिमी देशों के इन्हीं प्रतिबंधों के बीच रूस ने मई में 20 अरब डॉलर का तेल निर्यात किया है. लेकिन अब चिंता यह जताई जा रही है कि यूरोप में भारत के जरिये रूस का तेल पहुंचाया जा रहा है.
यूक्रेन पर युद्ध से पहले ढुलाई लागत अधिक होने की वजह से रूस के तेल का भारत में आयात बहुत कम था लेकिन इन प्रतिबंधों के बाद अब भारत में रूस के तेल का आयात बढ़ा है.
वाडिनार रिफाइनरी पर मालिकाना हक रखने वाली नायरा एनर्जी लिमिटेड ने रूस के तेल निर्यात पर प्रतिबंध से ठीक पहले मार्च में रूस का तेल खरीदा था.
रॉयटर्स के मुताबिक, नायरा एनर्जी लिमिटेड ने ट्राफिगरा से लगभग 18 लाख बैरल तेल खरीदा था.
भारत में रूस के तेल का आयात तेजी से बढ़ा
भारत जिस मात्रा में रूस का तेल खरीद और निर्यात कर रहा है, उससे पता चलता है कि इसमें से कुछ कच्चा तेल यूरोप के फिलिंग स्टेशनों पर जा रहा है.
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि एससीएफ प्रीमोर्य तेल टैंकर के जरिये लाए गए रूस के कच्चे तेल का इस्तेमाल कहां किया जाएगा.
वाडिनगर तेल रिफाइनरी के मालिक ने इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी कि वे रूस का तेल यूरोप भेज रहे हैं या नहीं.
मई में भारत ने रूस से प्रतिदिन लगभग आठ लाख बैरल कच्चा तेल आयात किया. रेटिंग एजेंसी फिच का अनुमान है कि यह आयात जल्द ही बढ़कर भारत के कुल आयात का प्रतिदिन 10 लाख बैरल हो सकता है.
भारत, चीन और यूएई ने रूस के कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है. ऐसे में यूरोपीय यूनियन के देशों में मई में रूस के कच्चे तेल के आयात में 18 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस हफ्ते ब्रिक्स सम्मेलन में बताया कि रूस के तेल का निर्यात चीन और भारत में तेजी से बढ़ा है.
रिसर्च एवं कंसल्टेंसी ऑर्गेनाइजेशन वुड मैकेन्जी में रिफाइनिंग, केमिकल्स और तेल बाजार क्षेत्र के वाइस प्रेजिडेंट एलेन गेल्डर का कहना है, रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदने का कारण भारत की 1.4 अरब लोगों की आबादी है लेकिन यह खतरनाक राजनीतिक खेल है. भारत एक पतली रस्सी पर चल रहा है.
भारत से रूस के तेल से लदे टैंकर यूरोप, अमेरिका जाने की अटकलें
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर का कहना है कि गुजरात में रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी ने मई में रूस से 27 फीसदी तेल आयात किया है, जो अप्रैल में पांच फीसदी के मुकाबले अधिक है.
उनका कहना है कि जामनगर से लगभग 20 फीसदी कार्गो स्वेज नगर के लिए रवाना हुए, जिससे संकेत मिलता है कि ये जहाज यूरोप या अमेरिका जा रहे थे. जहाज फ्रांस, इटली और ब्रिटेन गए लेकिन इन दावों के कोई सबूत नहीं है कि इन जहाजों में रूस का तेल भरा हुआ था.
ब्रिटेन ने इस साल के अंत तक रूस के तेल पर अपनी निर्भरता पूरी तरह से खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई है.
इंडस्ट्री सूत्रों का कहना है कि भारत के जरिये यूरोप में रूस के कच्चे तेल के जहाजों को ट्रैक करना मुश्किल है. सूत्रों का कहना है कि अलग-अलग देशों से कच्चे तेल की खेप बंदरगाह पर पहुंचती है और ये जहाज घुल-मिल जाते हैं. ऐसे में रूस के तेल से लदे टैंकर का पता लगाना मुश्किल है.
सूत्रों का कहना है कि ऐसी कई युक्तियां हैं, जिनका इस्तेमाल कर यह छिपाया जा सकता है कि रूस का तेल किस रास्ते से आया है. एक जहाज से दूसरे जहाज में तेल की खेप ट्रांसफर करने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि रूस के जहाजों से तेल अन्य जहाजों में लादा जा रहा है.
ऐसी रिपोर्टें भी सामने आई हैं, जिनसे पता चला है कि यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस के तेल टैंकर्स ट्रैकिंग रडार से गायब हो रहे हैं. आशंका जताई जा रही है कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है ताकि यह पता नहीं चल पाए कि रूस के तेल टैंकर्स कहां जा रहे हैं.
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