सड़कों, शहरों और राज्यों के नाम बदलने के तो हम सभी गवाह हैं, लेकिन क्या कभी देश का नाम बदलते सुना है. वो भी जब कोई देश अपने दुश्मन देश का नाम बदलने का अभियान चला दे! रूस-यूक्रेन लड़ाई अब एक अलग ही मोड़ पर पहुंच चुकी है. यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दुश्मन को हराने का अनोखा तरीका निकालते हुए उसका नाम बदलने का पिटीशन चलाया. इसपर 25 हजार से ज्यादा सिग्नेचर आ चुके हैं.
वे मांग कर रहे हैं कि रूस को मस्कॉवी और रशियन फेडरेशन को मस्कॉवाइट फेडरेशन कहना शुरू कर दिया जाए.
यूक्रेन का कीव पहले था ज्यादा मजबूत
पिछले साल के आखिर में जेलेंस्की ने कहा कि रूस का नाम बदल दिया जाए. इसके पीछे उन्होंने वजह भी दी. जेलेंस्की का तर्क था कि रशिया सुनने में कीवियन रूस की तरह लगता है. लगभग हजार साल पहले कीवियन रूस जमीन का वो विशाल हिस्सा था, जिसमें रूस और यूक्रेन ही नहीं, स्कैंडिनेवियाई लोगों की भी आबादी थी. इस बेहद लंबे-चौड़े भूभाग की राजधानी मॉस्को नहीं, बल्कि कीव था. कीव को तब के राजा रूसी शहरों की मां का दर्जा देते. रूस और बेलारूस ने भी अपना नाम कीवियन रूस से ही निकाला.
दिया इतिहास का हवाला
पीटिशन में कहा गया कि रूस जब खुद को रूस कहता है तो ये काफी कंफ्यूज करने वाला है. खासकर विदेशियों के लिए, जो कीवियन रूस का इतिहास जानते हैं. रूस खुद को कीवियन रूस का केंद्र बनाने के लिए तमाम तामझाम कर रहा है. फिल्में बन रही हैं. किताबें लिखी जा रही हैं. कीव यानी यूक्रेन को डर है कि फिक्शन साहित्य के चलते उनकी पहचान गायब हो जाएगी. यही वजह है कि अपनी पहचान और इतिहास को बनाए रखने के लिए यूक्रेन ने ये पिटीशन चलाई.
इससे क्या फर्क पड़ेगा?
यूक्रेन रूस पर सीधे अटैक न करते हुए इसे हिस्ट्री से छेड़छाड़ बता रहा है. पूरा मामला कुछ इस तरह से दिखाया जा रहा है कि बड़ी संख्या में विदेशी भी इसे सच्चाई से जोड़ें और सपोर्ट देने लगें. साइन कैंपेन पर आ रहे दस्तखत ऐसा इशारा भी देने लगे हैं.
रूस का नाम मस्कॉवी क्यों?
फिलहाल भौगोलिक तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा देश कहलाते रूस का इतिहास एकदम उलट है. पहले वो छोटा सा राज्य हुआ करता, जिसका नाम मस्कॉवी. इसे मस्कॉवाय भी कहते. साल 1721 में एक रशियन शासक पीटर द ग्रेट ने मस्कॉवी को रशियन एंपायर नाम दे दिया. इस राजा ने लगभग 50 सालों तक शासन किया. इस दौरान रूस ताकतवर होने लगा. आज जो रूस दिखता है, उसके होने में इसी राजा पीटर का हाथ माना जाता है.
नाम बदलने से रूस का क्या बिगड़ेगा?
ये रूस पर एक तरह का साइकोलॉजिकल हमला है. खुद को मस्कॉवाइट कहलाना रूसियों के लिए बहुत बड़ा अपमान है. इससे उन्हें याद आता है कि किसी समय उनका देश एक अदना-सा राज्य हुआ करता. वो उन्हें उनके पिछड़ेपन और यूक्रेन के आगे होने की याद दिलाएगा. इसका रिएक्शन रूस में दिखने भी लगा है. वहां के विदेश मंत्रालय ने इसे एंटी-रशियन सेंटिमेंट कहते हुए यूक्रेन को अपना दुश्मन तक बता दिया.
क्या यूक्रेन चाहे तो रूस का नाम बदल जाएगा!
नहीं. यूक्रेनियन जनता चाहे तो सिर्फ अपने देश के कागजों पर रूस को जो चाहे वो बता सकेगी. लेकिन इंटरनेशनल स्तर पर ऐसा करना लगभग नामुमकिन है. कम से कम अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ. कोई देश अपना नाम बदलेगा, या वही रखेगा, ये पूरी तरह से उसकी मर्जी होती है, जिसपर किसी का कोई बस नहीं.
रूस यूक्रेनी शहरों के नाम बदल रहा!
यूक्रेन के बंदरगाह वाले शहर मारियुपोल पर अब रूसी सेना का कब्जा है. कई रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि वहां अब रूस एक नया शहर बसा रहा है, जहां पुराने शहर के सारे निशान मिटाए जा रहे हैं. सड़कों और स्कूलों के नाम बदले जा रहे हैं. एपी की एक खबर के मुताबिक, यहां कई स्कूलों में रूसी सिलेबस चलने लगा. यहां तक कि मारियुपोल अब मॉस्को के टाइम जोन का हिस्सा मान लिया गया है.