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कोर्ट के फैसले के बाद सायरस मिस्त्री का भावुक बयान- जीवन हमेशा न्याय नहीं करता 

मिस्त्री टाटा समूह के साथ सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई हार गए हैं. मिस्त्री ने कहा कि उनका अब भी मानना है कि उन्होंने समूह के लिए जो दिशा चुनी थी वह दृढ़ विश्वास पर आधारित थी और उसके पीछे कोई बुरी मंशा नहीं थी.

सायरस मिस्त्री का भावुक बयान (फाइल फोटो) सायरस मिस्त्री का भावुक बयान (फाइल फोटो)
साहिल जोशी
  • मुंबई ,
  • 31 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 9:55 AM IST
  • सुप्रीम कोर्ट में मिस्त्री के खिलाफ आया था फैसला
  • सायरस मिस्त्री पहले टाटा समूह के चेयरमैन थे
  • कोर्ट ने उनको हटाने के फैसले को सही ठहराया था

टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन सायरस पी मिस्त्री ने अपने ख‍िलाफ सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के बाद भावुक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निजी रूप से निराश जरूर हैं, लेकिन उनकी अंतरात्मा साफ है. उन्होंने कहा कि जीवन हमेशा आपके साथ न्याय नहीं करता. 

मिस्त्री टाटा समूह के साथ सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई हार गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के मिस्त्री को टाटा समूह का चेयरमैन बहाल करने के फैसले को खारिज कर दिया था.

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क्या कहा मिस्त्री ने 

 मिस्त्री ने मंगलवार को बयान में कहा कि उनका अब भी मानना है कि उन्होंने समूह के लिए जो दिशा चुनी थी वह दृढ़ विश्वास पर आधारित थी और उसके पीछे कोई बुरी मंशा नहीं थी. मिस्त्री 27 दिसंबर, 2012 से 24 अक्टूबर, 2016 तक टाटा समूह के चेयरमैन थे. उन्हें निदेशक मंडल ने कुछ आंतरिक खींचतान के बीच बाहर कर दिया था. 

उन्होंने कहा, 'टाटा सन्स के कार्यकारी चेयरमैन के अपने कार्यकाल के दौरान यह मेरा कर्तव्य और जिम्मेदारी थी कि वैश्विक कारोबारी समुदाय के सामने भारत को एक अवसरों के देश के रूप में पेश करूं, जिसे एक प्रभावी कानून के शासन का सहयोग हासिल है.' 

मिस्त्री ने कहा कि उनकी अंतरात्मा साफ है. उन्होंने कहा, ‘मुझमें कई कमियां हो सकती हैं, लेकिन समूह के लिए मैंने जो दिशा चुनी थी, उसको लेकर मुझे कोई संदेह नहीं है। मैंने पूरी ईमानदारी से काम किया.' 

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मिस्त्री ने कहा कि उन्होंने पहले दिन से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि निर्णय प्रक्रिया और कामकाज का संचालन निदेशक मंडल स्तर से संचालित एक मजबूत व्यवस्था के अंतर्गत हो क्योंकि ये निर्णय किसी भी एक व्यक्ति से बड़े होते हैं. 

बिना भय और पक्षपात के हो निर्णय 

उन्होंने कहा, 'मैंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किए कि विभिन्न निदेशक मंडलों के निदेशक अपने दायित्वों का निर्वहन बिना किसी भय और पक्षपात के करें. साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि रणनीतियों और कार्रवाई में शेयरधारकों की राय को शामिल किया जाए. मेरा लगातार यह मानना रहा है कि ऐसे मॉडल से टाटा सन्स और समूह की विभ‍िन्न कंपनियों में सभी शेयरधारकों के लिए मूल्यों की रक्षा की जा सकती है.' 

मिस्त्री ने कहा कि समूह में अल्पांश शेयरधारक के रूप में मैं इस फैसले से निराश हूं.  हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें टाटा समूह का चेयरमैन बनने का अवसर दिया गया, जिसके लिए वह आभारी हैं. उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों का आभार जताते हुए कहा कि उन्हें इस चर्चित संस्थान का चेयरमैन बनने का अवसर मिला, इसके लिए वह आभारी हैं. 

अंत में सायरस मिस्त्री ने लिखा है, 'जीवन हमेशा न्याय नहीं करता 'जीवन हमेशा न्याय नहीं करता, लेकिन मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों का हमेशा मजबूती से समर्थन मिला.' 

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कोर्ट का था ये निर्णय 

सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के मिस्त्री को टाटा समूह का चेयरमैन बहाल करने के फैसले को खारिज कर दिया था. इससे पहले शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी, 2020 को टाटा समूह को अंतरिम राहत देते हुए एनसीएलएटी के 18 दिसंबर, 2019 के मिस्त्री को बहाल करने के फैसले पर रोक लगा दी थी. 

 

 

 

 

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