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13 मार्च के बाद फिर कैश बनेगा किंग, टूटेगा डिजिटल इंडिया का सपना?

13 मार्च को कैश पर लगे सभी तरह के प्रतिबंध हटने जा रहे हैं. बैंकों समेत मार्केट के ज्यादातर एक्सपर्ट का मानना है कि 13 मार्च के बाद साफ हो जाएगा कि क्या एक बार फिर कैश अपनी बादशाहत कायम कर पाएगा.

क्या एक बार फिर होने जा रही है कैश की वापसी क्या एक बार फिर होने जा रही है कैश की वापसी
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST

कैश इज किंग. 8 नवंबर, 2016 को लागू नोटबंदी से पहले ये बाजार का नियम था. कालाधन हो या सफेद धन कैश सबका प्रिय है लेकिन एक झटके में केन्द्र सरकार ने अर्थव्यवस्था से 86 फीसदी करेंसी (500 और 1000 रुपये की नोट) को बाहर करते हुए कैशलेस इंडिया का तानाबना बुन दिया.

अब 13 मार्च को कैश पर लगे सभी तरह के प्रतिबंध हटने जा रहे हैं. बैंकों समेत मार्केट के ज्यादातर एक्सपर्ट का मानना है कि 13 मार्च के बाद साफ हो जाएगा कि क्या एक बार फिर कैश अपनी बादशाहत कायम कर पाएगा.

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जानिए कैसे टूट सकता है कैशलेस इंडिया का सपना
1. नवंबर और दिसंबर के आंकड़ों के मुताबिक कैश की तंगी के चलते डिजिटल पेमेंट के साधनों में लंबी छलांग देखने को मिली. लेकिन धीरे-धीरे रिजर्व बैंक ने कैश पर लगे प्रतिबंधों को हटाना शुरू किया और अब 13 मार्च 2017 से बैंक से कैश लेन-देन पर लगे सभी प्रतिबंध हटने जा रहे हैं. आम आदमी जितना चाहे कैश बैंक से निकाल सकेगा. क्या यह एक बार फिर कैश को किंग बनाने का रास्ता साफ कर देगा?

2. रिजर्व बैंक ने 500 और 2000 रुपये की नई करेंसी को जारी करने की रफ्तार पर लगाम लगाते हुए डिजिटल पेमेंट के रास्ते जैसे यूपीआई, यूएसएसडी, आधार पे और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल का विकल्प दिया और उम्मीद जताई की कैशलेस इंडिया भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए बेहद जरूरी है.

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3. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने नए वित्त वर्ष में 2,500 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन टार्गेट रखा है. इस टार्गेट को पूरा करने के लिए अब नोटबंदी के तीन महीने के दौरान डिजिटल पेमेंट की संख्या में आई अप्रत्याशित उछाल से भी कई गुना इजाफा दर्ज कराना होगा. डिजिटल इंडिया का सपना पूरा करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती का जिक्र नोटबंदी के 100 दिन पूरे होने पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्या ने किया कि जैसे-जैसे बैंक से कैश निकासी पर ढ़ील दी जा रही है ग्राहक डिजिटल ट्रांजैक्शन को छोड़कर कैश की तरफ रुख कर रहे हैं.

4. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद सबसे बड़े प्राइवेट बैंक एचडीएफसी ने मोबाइल वॉलेट के कारोबार पर सवाल खड़ा कर दिया. एचडीएफसी के सीईओ आदित्य पुरी नासकॉम सम्मेलन के दौरान कहा कि दुनियाभर में मोबाइल वॉलेट का कोई भविष्य नहीं है. ऐसा इसलिए कि मोबाइल वॉलेट चलाने के लिए बैंक अथवा पेमेंट बैंक को मुनाफे का मार्जिन बेहद कम है.

5. डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने बीते 3 महीने के दौरान कई कोशिशें की. इसमें इसे बढ़ावा देने के लिए अवार्ड के साथ-साथ डिस्काउंट का प्रलोभन शामिल है. केन्द्र सरकार की कोशिश है कि मार्च 2017 तक 10 लाख नई पीओएस मशीन और सितंबर तक 20 लाख आधार पे आधारित पीओएस मशीन लगाने की है. लेकिन इन सभी कवायद को धता करते हुए इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सुब्बा रे का कहना है कि सरकरा को देश में मोबाइल इंफ्रा और सिक्योरिटी पर जोर देना होगा क्योंकि नोटबंदी के बाद डिडिटल माध्यमों के इस्तेमाल के साथ-साथ फ्रॉड की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है. डिजिटल पेमेंट ऐप पेटीएम ने दावा किया है कि नोटबंदी के बाद फ्रॉड के मामले 4 करोड़ प्रति माह से बढ़कर 11 करोड़ प्रति माह पर पहुंच गए हैं.

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