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सर्विस सेक्टर पर महंगाई की मार, 6 माह के निचले स्तर पर पहुंचा

मैन्युफैक्चर‍िंग पीएमआई में हल्की गिरावट दर्ज करने के बाद फरवरी में सर्विस इंडस्ट्रीज में भी गिरावट आई है. नि‍क्‍कई इंडि‍या सर्वि‍सेज बि‍जनेस एक्‍टि‍वि‍टी इंडेक्‍स (पीएमआई) फरवरी में गि‍रावट के साथ 47.8 पर पहुंच गया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Reuters) प्रतीकात्मक तस्वीर (Reuters)
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 05 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST

मैन्युफैक्चर‍िंग पीएमआई में हल्की गिरावट दर्ज करने के बाद फरवरी में सर्विस इंडस्ट्रीज में भी गिरावट आई है. नि‍क्‍केई इंडि‍या सर्वि‍सेज बि‍जनेस एक्‍टि‍वि‍टी इंडेक्‍स (पीएमआई) फरवरी में गि‍रावट के साथ 47.8 पर पहुंच गया है.

इसके लिए बढ़ती महंगाई को जिम्मेदार माना जा रहा है. जनवरी महीने में सर्विस पीएमआई 51.7 पर था. इस गिरावट के साथ सर्विस पीएमआई छह महीने के निचले स्तर पर आ गया है. यह अगस्त 2017 के स्तर पर पहुंच गया है.

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IHS मार्क‍िट की अर्थशास्त्री आशना ढोंढिया ने बताया कि नवंबर के बाद पहली बार सर्विस एक्ट‍िविटी और नया काम घटा है. इसमें अगस्त के बाद काफी ज्यादा गिरावट आई है. हालांकि कंपनियां अगले 12 महीने की ग्रोथ को लेकर काफी ज्यादा आश्वस्त हैं. ढोढिया ने कहा कि कम मांग ही नहीं, बल्क‍ि फरवरी महीने में कंपनियों ने अपने स्टाफ में भी बढ़ोतरी की है. जून 2011 के बाद इसमें काफी तेजी आई है.

फरवरी महीने में मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्टर की रफ्तार भी धीमी रही है. नए ऑर्डर की संख्या घटने की वजह से ग्रोथ सुस्त हुई है. फरवरी में निक्केई इंडिया मैन्‍युफैक्‍चरिंग परचेजिंग पावर इंडेक्स (पीएमआई) जनवरी में 52.4 से घटकर फरवरी में 52.1 पर आ गया है. यह लगातार सातवां महीना है, जब पीएमआई 50 अंकों के ऊपर बना हुआ है.

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भले ही फैक्ट्री उत्पादन में कमी आने से पीएमआई कम हुआ हो, लेक‍िन 50 अंकों के ऊपर रहने की वजह से इसे अच्छा माना जाता है. इसके लिए घरेलू और विदेशी बाजारों से आने वाली मांग मानी जा रही है.

महंगाई का खतरा बरकरार

मैन्युफैक्च‍र‍िंग पीएमआई के लिए किए गए सर्वे में कहा गया है कि पिछले साल फरवरी के मुकाबले इस महीने कॉस्ट इंफ्लेशन काफी ज्यादा रहा है. कॉस्ट बेस्ड इंफ्लेशन वेतन और कच्चे माल की कीमतों में होने वाली बढ़ोत्तरी की वजह से बढ़ने वाली महंगाई को कहा जाता है. इसके साथ ही सर्वे में कहा गया है कि आगे भी महंगाई का खतरा बरकरार है.

ढोंढिया ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई ) के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. सर्वे में यह भी कहा गया है कि भारतीय मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्टर अगले 12 महीनों में रफ्तार पकड़ने को लेकर आशावादी है.

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