
स्पेन की ट्रेन टैल्गो को मथुरा और पलवल के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाने का ट्रायल 22 जून से शुरू होगा. रेल मंत्रालय बरेली और मुरादाबाद के बीच ताल्गो के ट्रायल के नतीजों से संतुष्ठ है. जिसके बाद मथुरा और पलवल के बीच टैल्गो के डिब्बों को तेज रफ्तार पर टेस्टिंग करने की अनुमति दे दी गई है. खास बात ये है कि मथुरा और पलवल के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाना भारतीय रेलवे के लिए रफ्तार का नया रिकॉर्ड होगा. देश में अबतक सबसे तेज चलने वाली गतिमान एक्सप्रेस की अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा ही है.
बरेली और मुरादाबाद के बीच ट्रायल सफल
दरअसल बरेली और मुरादाबाद के बीच विदेशी डिब्बों से बनी ट्रेन को भारतीय इंजन की ताकत से 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर 29 मई से 11 जून तक चलाकर देखा गया है और इसके मिली तमाम जानकारी का आरडीएसओ ने विश्लेषण किया. आरडीएसओ के इंजीनियर्स ने टैल्गो की ट्रेन को भारतीय ट्रैक पर 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर फिट पाया है.
ट्रायल के लिए 9 डिब्बे स्पेन से लाए गए
स्पेन की कंपनी टैल्गो ने भारत में ट्रायल रन के लिए 9 रेल डिब्बों को बार्सिलोना से मुंबई बीते अप्रैल में पहुंचाया था. टैल्गो के रेल डिब्बे पानी के जहाज से आए थे. कस्टम क्लियरेंस के बाद टैल्गो कंपनी के डिब्बे यूपी के बरेली जंक्शन के पास इज्जतनगर में वर्कशॉप पर भेजे गए. यहां पर टैल्गो कंपनी के इंजीनियरों ने अपने डिब्बों पर उपकरण लगाएंगे. इसके बाद बरेली और मुरादाबाद के बीच टैल्गो कंपनी की सेमी-हाईस्पीड ट्रेन का ट्रायल शुरू हुआ था.
टैल्गो ट्रेन की रफ्तार 350 किमी प्रति घंटे तक
टैल्गो कंपनी 70 साल पुरानी कंपनी है और इस कंपनी को सेमी हाई स्पीड यानी 160-250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों और हाई स्पीड यानी 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों की मैन्यूफैक्चरिंग में महारत हासिल है. स्पेन में टैल्गो की बनाई तेज रफ्तार ट्रेनें चलती हैं. भारतीय रेलवे की रफ्तार बढ़ाने के लिए टैल्गो कंपनी ने अपनी तकनीक ऑफर की है और इस तकनीक के प्रदर्शन के लिए खुद अपने खर्च पर कंपनी ने डिब्बे भेजे हैं.
टैल्गो ट्रेन के एक डिब्बे में 8 चक्के
टैल्गो कंपनी के डिब्बों की खासियत ये है कि ये तेज घुमावदार मोड़ों पर भी तेज रफ्तार से चल सकते हैं. टैल्गो डिब्बों में भारतीय रेल के मुकाबले आधे से भी कम चक्के लगे हैं. मसलन एक रेल डिब्बे में 8 चक्के लगाए जाते हैं. लेकिन टैल्गो के प्रति डिब्बे में दो चक्के लगे होते हैं. इसके अलावा टैल्गो के डिब्बे एल्यूमिनियम के बने होने की वजह से भारतीय रेल डिब्बों के 68 टन के वजन के मुकाबले महज 16 टन के ही होते हैं. लेकिन इनकी कीमत की बात करें तो भारतीय रेल डिब्बों के मुकाबले इनकी कीमत तीन गुने से ज्यादा पड़ेगी.
93 किमी लंबे ट्रैक पर होगा ट्रायल
रेलवे बोर्ड के मुताबिक बरेली ट्रायल पूरा होने के बाद 22 जून से मथुरा और पलवल के बीच 93 किलोमीटर के ट्रैक पर टैल्गो का ट्रायल शुरू होगा. यहां पर सफल ट्रायल के बाद टैल्गो की ट्रेन को मुंबई और नई दिल्ली के बीच जुलाई में चलाकर देखा जाएगा. जानकारों का कहना है कि इस समय शताब्दी ट्रेनों की औसत स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है. टैल्गो की ट्रेन में औसत स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना है. इसका सीधा-सा मतलब ये हुआ कि मुंबई और नई दिल्ली के बीच 1380 किलोमीटर की दूरी टैल्गो की ट्रेन 10 से 11 घंटे के बीच तय करेगी.