Advertisement

60 साल बनाम 60 महीने, क्या योजना आयोग को पछाड़ेगा नीति आयोग?

इस नई संस्था के जरिए वह काम महज 60 महीनों में कर दिखाएंगे जो कांग्रेस सरकार ने योजना आयोग जैसे विशालकाय तंत्र के बावजूद 60 साल में नहीं किया है. लिहाजा, अब जब मोदी सरकार का लाल किले से आखिरी भाषण देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खड़े होंगे तो क्या वह नीति आयोग की उपलब्धियों और चुनौतियों पर कुछ कहेंगे?

नीति आयोग नीति आयोग
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 6:35 AM IST

मोदी सरकार ने मई 2014 में कार्यभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले से योजना आयोग को खत्म करते हुए उसकी जगह नई संस्था नीति आयोग का निर्माण करने का ऐलान किया. अब एक बार फिर मोदी सरकार लाल किले के प्राचीर पर पहुंच रही है और यह उसके मौजूदा कार्यकाल का आखिरी इंडिपेंडेंस डे है. मोदी सरकार से पहले कई दशक तक योजना आयोग ने देश में केन्द्र-राज्य संबंधों की नींव रखी और देश के विकास का ढांचा तैयार किया.

Advertisement

लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावों में देश से कांग्रेस को दिए गए 60 साल की तुलना में बस 60 महीनों की सरकार मांगी और दावा किया कि वह इस नई संस्था के जरिए वह काम महज 60 महीनों में कर दिखाएंगे जो कांग्रेस सरकार ने योजना आयोग जैसे विशालकाय तंत्र के बावजूद 60 साल में नहीं किया है. लिहाजा, अब जब मोदी सरकार का लाल किले से आखिरी भाषण देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खड़े होंगे तो क्या वह नीति आयोग की उपलब्धियों और चुनौतियों पर कुछ कहेंगे?

इसे पढ़ें: लाल किले से मोदी सरकार का आखिरी भाषण, जानें पुराने वादों का क्या हुआ?

इंडीपेंडेंस डे 2014 के मौके पर जहां केन्द्र सरकार योजना आयोग को खत्म करने और उसकी जगह नीति आयोग को खड़ा करने की बात कही वहीं 1 जनवरी 2015 को केन्द्रीय कैबिनेट के एक फैसले से नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांस्फॉर्मिंग इंडिया (NITI) को स्थापित किया. देश के लिए नई नीतियों का निर्माण करने के लिए नीति आयोग ने 3 अहम उद्देश्यों को सामने रखा- डिजिटल इंडिया, कोऑपरेटिव फेडरलिज्म और महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाना. अर्थात 'नीति आयोग का उद्देश्य है ऐसे सुदृढ़ राज्यों का निर्माण करना जो आपस में एकजुट होकर एक सुदृढ़ भारत का निर्माण करें. राज्यों और केंद्र की ज्ञान प्रणालियां विकसित की जाए.

Advertisement

1. डिजिटल इंडिया- इंटरनेट पर डेवलपमेंट का खेल

देश से भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए केन्द्र सरकार ने डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा कदम उठाया. कालेधन पर लगाम लगाने और देशभर में कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान करते हुए अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक संचालित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को प्रतिबंधित कर दिया.

केन्द्र सरकार ने कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भीम आधार प्लैटफॉर्म लांच किया जिसका मकसद देश में छोटे कारोबारियों को कैशलेस ट्रांजैक्शन के लिए प्रोत्साहित करना था. इन कोशिशों के चलते केन्द्र सरकार ने अप्रैल 2017 तक 75 शहरों को कम कैश इस्तेमाल के लिए चिन्हित किया.

इसे पढ़ें: ये हैं आम आदमी के मुद्दे, क्या मोदी की इंडिपेंडेंस डे स्पीच में मिलेगी जगह?

देश और दुनिया के ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने नोटबंदी से लंबी अवधि में फायदा मिलने का दावा किया. लेकिन मौजूदा समय में यदि अर्थव्यवस्था में कैश के संचार और संचालन को देखा जाए तो साफ है कि एक बार फिर करेंसी का दबदबा बाजार में कायम है. नोटबंदी से पहले आम आदमी को जिस दैनिक काम के लिए कैश ट्रांजैक्शन सर्वाधिक सहूलियत वाला था अब एक बार फिर कैश उसी भूमिका में पहुंच चुका है.

Advertisement

लिहाजा, क्या 2019 में लाल किले से बताया जाएगा कि जिन 75 शहरों को कैशलेस शहर की दिशा में ले जाने की कवायद नीति आयोग ने की उनका क्या हुआ?

2. कोऑपरेटिव फेडरलिज्म- टीम इंडिया का सपना

केन्द्र सरकार की कोशिश रही कि वह देश में मजबूत राज्यों का निर्माण करे. इसके लिए केन्द्र सरकार ने पूरे देश को एक कॉमन मार्केट बनाने की दिशा में जीएसटी बिल को पारित कराने में अहम भूमिका निभाई. केन्द्र सरकार ने जीएसटी के मुद्दे पर पूरे देश में आम सहमति बनाने में सफलता पाई और जुलाई 2017 में पूरे देश में इस नई कर व्यवस्था को लागू कर दिया गया.

नीति आयोग ने इस सफलता का श्रेय देश में कोऑपरेटिव फेडरलिज्म को दिया और दावा किया कि केन्द्र सरकार ने ऐसा माहौल तैयार किया है जिससे केन्द्र-राज्य संबंध अपने सबसे बेहतर स्वरूप में काम कर रहा है. लिहाजा, यह दावा भी किया गया कि जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति से बढ़ने का मौका मिलेगा. वहीं राज्यों के पास अधिक संसाधन होने के साथ-साथ वह तेज गति से अपना विकास करने में सक्षम होंगे.

सरकार और गैरसरकारी आर्थिक जानकारों ने भी दावा किया कि पूरे देश में जीएसटी पूर्ण रूप से प्रभावी होने के बाद देश को डबल डिजिट की विकास दर पर ले जाने का काम आसान हो जाएगा वहीं कई राज्य इस श्रेणी में जीएसटी लागू होने के एक-दो साल में पहुंच जाएंगे.

Advertisement

इसे पढ़ें: क्या चुनाव पर फोकस होगा इस बार रेड फोर्ट से पीएम मोदी का भाषण?

लिहाजा, क्या लाल किले से मोदी सरकार यह भी बताएगी कि जीएसटी लागू होने के बाद एक साल में नीति आयोग का लक्ष्य किस हद सही साबित हुआ है और आने वाले दिनों में क्या इसे पूरी तरह सच होते देखा जाएगा?

3. महिलाओं को क्या मिला?

केन्द्र सरकार ने नीति आयोग के निर्देशों पर बीते चार साल के दौरान कई अहम योजनाओं को शुरू किया. इन योजनाओं से उसकी कोशिश देशभर में महिलाओं को सशक्त करने की थी. इन योजनाओं में सबसे अहम केन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को स्वच्छ और सुरक्षित कुकिंग के लिए उज्जवला स्कीम के तहत एलपीजी मुहैया कराने की थी.

वहीं मोदी सरकार ने जनधन स्कीम के तहत महिलाओं को बैंकिंग की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले ज्यादातर मकानों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर करने का मसौदा सामने रखा है. अंत में महिलाओं को केन्द्र में रखते हुए मोदी सरकार ने मुद्रा योजना के तहत महिलाओं को कारोबारी कर्ज देने का बीड़ा उठाया.

क्या मोदी सरकार लाल किले से अपने अंतिम भाषण में नीति आयोग द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों पर बयान देगी. क्या नीति आयोग की महिलाओं को विकास में लाने की मुख्यधारा में लाने की कोशिश वाकई कोई ऐसा काम कर रही है जिससे कहा जा सके कि नई संस्था ने वह काम 60 महीनों में कर दिखाया जिसे पूर्व की सरकारों ने 60 वर्षों तक करने में असफलता पाई है?

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement