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पेट्रोल फिर पहुंचा 70 पर, इस वजह से लगातार बढ़ रहे दाम

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत दिलाने के लिए  केंद्र सरकार ने अक्टूबर में एक्साइज ड्यूटी घटा दी थी, लेकि‍न इसका असर खत्म होता नजर आ रहा है. मंगलवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत फिर से 70 रुपये के पार पहुंच गई है. यहां एक लीटर के लिए लोगों को 70.53 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. वहीं, डीजल के लिए 60.66 रुपये प्रति लीटर चुकाना पड़ रहा है.

दिल्ली में मंगलवार को एक लीटर पेट्रोल 70.55 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है दिल्ली में मंगलवार को एक लीटर पेट्रोल 70.55 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत दिलाने के लिए  केंद्र सरकार ने अक्टूबर में एक्साइज ड्यूटी घटा दी थी, लेकि‍न इसका असर खत्म होता नजर आ रहा है. मंगलवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत फिर से 70 रुपये के पार पहुंच गई है. यहां एक लीटर के लिए लोगों को 70.53 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. वहीं, डीजल के लिए 60.66 रुपये प्रति लीटर चुकाना पड़ रहा है.

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यह कीमतें फिर उस स्तर पर पहुंच गई हैं, जो एक्साइज ड्यूटी घटाने से पहले थीं. दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं. इसका सीधा असर घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ रहा है. दिन-प्रतिदिन कीमतें घटने की बजाय बढ़ती ही जा रही हैं. पेट्रोल की कीमतें 3 अक्टूबर के स्तर पर पहुंच गई हैं. तीन अक्टूबर को एक लीटर पेट्रोल के लिए दिल्ली में लोग 70.88 रुपये चुका रहे थे.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय ब्रेंट क्रूड की कीमत 67 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई है. पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ रही इन कीमतों की  वजह से जीएसटी काउंसिल पर इन्हें नई टैक्स नीति के दायरे में लाने का दबाव बनाया जा रहा है.

पेट्रोल-डीजल की कीमतों से आम आदमी को राहत पहुंचाने के लिए इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की जा रही है. महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगटीवार और ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान समेत वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इसे जीएसटी के दायरे में लाने की बात कह चुके हैं. इससे उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल यह फैसला लिया जा सकता है.

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लगातार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से जीएसटी काउंसिल पर इसे जीएसटी के तहत लाने का दबाव बन रहा है. ऐसे में काउंस‍िल आने वाली बैठक में इस पर विचार विमर्श कर सकती है.

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