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रद्द किए गए भारतीय पासपोर्ट पर तीन देशों की यात्रा कर आया नीरव मोदी: इंटरपोल

पंजाब नेशनल बैंक को 13400 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाने वाले नीरव मोदी को लेकर लगातार जांच जारी है. भारत सरकार ने उसका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया है.

नीरव मोदी (FILE PHOTO) नीरव मोदी (FILE PHOTO)
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

पंजाब नेशनल बैंक को 13400 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाने वाले नीरव मोदी को लेकर लगातार जांच जारी है. भारत सरकार ने उसका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया है. लेक‍िन इंटरपोल के मुताबिक इस रद्द पासपोर्ट के बूते वह तीन देशों की यात्रा कर आया. वो भी चार बार. इंटरनेशनल क्र‍िमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन इंटरपोल ने भारतीय जांच एजेंसियों को यह जानकारी दी है.

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इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से यह बात जाहिर की है. रिपोर्ट के मुताबिक 5 जून को इंटरपोल ने भारतीय जांच एजेंसियों को एक पत्र भेजा. इसमें एजेंसी ने बताया कि 15 मार्च से 31 मार्च के बीच नीरव मोदी ने अमेरिका, ब्रिटेन और हॉन्गकॉन्ग की यात्रा की. ये सभी यात्राएं उसने भारत सरकार की तरफ से रद्द किए गए पासपोर्ट पर की हैं. इंटरपोल के मुताबिक उसने चार बार इस पासपोर्ट के सहारे सफर किया है.

विदेश मंत्रालय ने 24 फरवरी को नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के पासपोर्ट को रद्द कर दिया था. इससे पहले मंत्रालय ने इन दोनों को नोटिस भेजा था. जिसमें उनसे ये बताने को कहा गया था कि आख‍िर उनका पासपोर्ट रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए. दोनों की तरफ से इस नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया.

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नियमों के मुताबिक जब किसी व्यक्ति के पासपोर्ट को रद्द कर दिया जाता है, तो इसकी जानकारी एयरपोर्ट और अन्य ऐसी ही जगहों पर देनी जरूरी होती है. इसके अलावा पासपोर्ट अथॉरिटी को भी इसकी जानकारी देनी होती है.

बता दें कि हाल ही में सीबीआई ने इंटरपोल का दरवाजा खटखटाया है. उसने इंटरपोल से नीरव मोदी के ख‍िलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाने को लेकर बात की है.

इंटरपोल की तरफ से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाने के बाद इन लोगों पर श‍िकंजा कसना आसान हो जाएगा. माना जा रहा है कि नोटिस जारी होने के बाद इंटरपोल में शामिल देशों के लिए इन दोनों को गिरफ्तार करना आसान हो जाएगा.

बता दें कि नीरव मोदी ने फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेक‍िंग का सहारा लेकर पंजाब नेशनल बैंक को 13400 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाया था. इसमें बैंक के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई थी.

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